अफगानिस्तान में अब नहीं होगा नई सरकार का शपथ ग्रहण, जानें तालिबान ने क्या बताई इसकी वजह
अफगानिस्तान में तालिबान सरकार ने शपथ ग्रहण समारोह को रद कर दिया है। तालिबान का कहना है कि शपथ ग्रहण समारोह संसाधनों और पैसे की बर्बादी है। हालांकि समारोह रद करने के पीछे असल वजह सहयोगियों के दबाव को माना जा रहा है।
नई दिल्ली, जेएनएन। अफगानिस्तान में तालिबान सरकार ने शपथ ग्रहण समारोह को रद कर दिया है। तालिबान का कहना है कि शपथ ग्रहण समारोह संसाधनों और पैसे की बर्बादी है। हालांकि समारोह रद करने के पीछे असल वजह सहयोगियों के दबाव को माना जा रहा है। बता दें कि ऐसी रिपोर्टें थी कि तालिबान अपनी सरकार को 11 सितंबर को शपथ दिला सकता है। तालिबान का कहना है कि इस्लामिक अमीरात के नेतृत्व अब काम करना शुरू कर दिया है।
तालिबान बोला- सरकार ने शुरू किया काम
तालिबान के सदस्य इनामुल्ला समांगनी ने ट्विटर पर कहा, 'नई अफगान सरकार के शपथ ग्रहण समारोह को कुछ दिन पहले रद कर दिया गया था। लोगों को भ्रमित नहीं करने के लिए इस्लामिक अमीरात के नेतृत्व ने कैबिनेट के एक हिस्से की घोषणा कर दी है और उसने काम भी शुरू कर दिया है।'
इन देशों को भेजा था न्यौता
मंगलवार को अंतरिम सरकार के गठन का एलान करने वाले तालिबान ने शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए रूस, चीन, पाकिस्तान, करत और ईरान को न्योता भी भेजा था। उसके न्योते पर रूस का बयान भी आ गया था। रूस ने समारोह में शामिल होने से इन्कार कर दिया था।
इसलिए टाला कार्यक्रम
सूत्रों के हवाले से खबर आ रही थी कि तालिबान अपनी सरकार को 11 सितंबर को शपथ दिला सकता है। 11 सितंबर अमेरिका में आतंकी हमले की 20वीं बरसी है। माना जा रहा है कि तालिबान के सहयोगियों ने उसे ऐसा नहीं करने के लिए मनाया होगा।
सवाल उठा रहे थे तमाम देश
अंतरिम सरकार में सिर्फ तालिबान के सदस्यों को ही जगह देने से पहले से ही अमेरिका समेत दुनिया के दूसरे देश उस पर सवाल उठा रहे थे। तालिबान ने समावेशी सरकार के गठन का वादा किया था लेकिन अंतरिम सरकार में सिर्फ कट्टरपंथियों को जगह दी गई। सरकार में शामिल कई चेहरे संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधित लोगों की सूची में शामिल हैं। महिलाओं को भी जगह नहीं मिली है।
सहयोगियों के दबाव में रद हुआ समारोह
रूसी समाचार एजेंसी तास ने शुक्रवार को कहा था कि सहयोगियों के दबाव के चलते शपथ ग्रहण समारोह को रद किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका और नाटो के उसके सहयोगी कतर सरकार पर दबाव बना रहे थे कि वह तालिबान को समारोह रद करने के लिए कहे क्योंकि यह बहुत ही अमानवीय होगा। उसे यह भी समझाया गया कि समारोह से तालिबान को मान्यता मिलने की उम्मीदों को भी धक्का लग सकता है।