पाकिस्तानी सेना के खिलाफ सड़कों पर उतरे सिंधी, बुलंद की आजादी की मांग

सिंध प्रांत के लोगों ने गुरुवार 17 जनवरी को पाकिस्तानी सेना के खिलाफ सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी पाकिस्तान से सिंध की आजादी की मांग कर रहे थे।

By Digpal SinghEdited By: Publish:Fri, 18 Jan 2019 09:34 AM (IST) Updated:Fri, 18 Jan 2019 09:40 AM (IST)
पाकिस्तानी सेना के खिलाफ सड़कों पर उतरे सिंधी, बुलंद की आजादी की मांग
पाकिस्तानी सेना के खिलाफ सड़कों पर उतरे सिंधी, बुलंद की आजादी की मांग

सिंध, एजेंसी। Pakistan एक तरफ भारत में अशांति फैलाने की अपनी नीति से बाज नहीं आता, दूसरी तरफ उसके अपने देश में ही माहौल अराजक है। घड़ी-घड़ी कश्मीर का राग अलापने वाले पाकिस्तान को सिंध और बलूचिस्तान के लोगों की चीखें नहीं सुनाई देतीं। शायद यही कारण है कि इन क्षेत्रों के लोग पाकिस्तान के हुकमरानों के कानों तक आवाज पहुंचाने के लिए समय-समय पर सड़क पर उतर आते हैं।

सिंध प्रांत के लोगों ने गुरुवार 17 जनवरी को पाकिस्तानी सेना के खिलाफ सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी पाकिस्तान से सिंध की आजादी की मांग कर रहे थे। यह प्रदर्शन सिंधुदेश आंदोलन के संस्थापक गुलाम मुर्तजा सयद (जीएम सयद) की 115वीं जयंति के अवसर पर किया गया।

बता दें कि पाकिस्तान बनने के बाद जीएम सयद ही वो पहले राजनीतिक शख्स थे, जिन्हें 1948 में जेल में डाल दिया गया। सयद ने सिर्फ 16 साल की उम्र में अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी। उस वक्त उन्होंने 17 मार्च 1920 को सिंध के अपने शहर सान में खिलाफत कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया था।

सयद ने अपने जीवन के करीब 30 साल जेल और हाउस अरेस्ट के रूप में काटे। पाकिस्तान में उन्हें यातनाएं दी गईं, क्योंकि वह सिंध के खिलाफ पाकिस्तान की नीतियों के मुखर विरोधी थे। अमनेस्टी इंटरनेशनल ने उन्हें 1995 में प्रिजनर ऑफ कॉन्सेंस (prisoner of conscience) की संज्ञा दी। आखिरकार 26 अप्रैल 1995 को उनका कराची में नजरबंदी के दौरान ही निधन हो गया था।

एक तरफ पाकिस्तान अपने ही देश में अगल होने के लिए छटपटा रहे सिंध और बलूचिस्तान के लोगों की आवाजों को इस तरह दबाता आया है और दूसरी तरफ वह भारत के जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद की चिंगारी भड़काता है। जम्मू-कश्मीर के अधिसंख्य लोग भारत के संविधान में आस्था रखते हैं और उन्हें पाकिस्तान की कुटिल चालों के बारे में पता है। कुछ भटके हुए लोग जरूर पाकिस्तान की बातों में आ जाते हैं, लेकिन इनकी संख्या बहुत कम है। उधर पाकिस्तान में सिंध और बलूचिस्तान, पाकिस्तान से अलग होने के लिए छटपटा रहे हैं।

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