अफगानिस्तान में शांति स्थापना के लिए तालिबान से बैठक, हिंसा रोकना पहली प्राथमिकता

अमेरिका का नया प्रशासन अब फरवरी 2020 में हुए समझौते की नए सिरे से समीक्षा कर रहा है जिसके तहत उसे 1 मई तक अपनी पूरी सेना को वहां से वापस करना है। इस मामले में वाशिंगटन इस पक्ष में है कि समय सीमा को कुछ आगे बढ़ाया जाए।

By Manish PandeyEdited By: Publish:Tue, 23 Feb 2021 02:02 PM (IST) Updated:Tue, 23 Feb 2021 02:02 PM (IST)
अफगानिस्तान में शांति स्थापना के लिए तालिबान से बैठक, हिंसा रोकना पहली प्राथमिकता
लंबे समय तक ना-नुकुर के बाद आखिर फिर कतर में दोनों पक्षों के बीच बैठक हो रही है।

इस्लामाबाद, एजेंसियां। अफगानिस्तान में शांति की स्थापना के लिए एक बार फिर कतर की राजधानी दोहा में अफगान सरकार और तालिबान साथ-साथ बैठ गए हैं। अंजाम के बारे में अभी दोनों ही पक्ष कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं हैं। दोनों ने इतना कहा है कि वार्ता अच्छे माहौल में शुरू हो गई है। तालिबान के प्रवक्ता डा. मुहम्मद नईम ने सोमवार रात ट्वीट किया कि पहली जरूरत दोनों की रजामंदी से कार्यसूची को तैयार करना है।

ज्ञात हो कि जनवरी में जब एकदम वार्ता खत्म हुई थी, तब दोनों ही पक्षों ने अपनी संभावित कार्यसूची को एक दूसरे को सौंपा था। अब इस पर सहमति बननी है। अफगान सरकार, अमेरिका और नाटो तीनों की ही प्राथमिकता अब हिंसा में कमी लाना है। तालिबान ने कहा है कि यह बातचीत से ही संभव है।

अमेरिका का नया प्रशासन अब फरवरी 2020 में हुए समझौते की नए सिरे से समीक्षा कर रहा है, जिसके तहत उसे 1 मई तक अपनी पूरी सेना को वहां से वापस करना है। इस मामले में वाशिंगटन इस पक्ष में है कि समय सीमा को कुछ आगे बढ़ाया जाए। फिर भी अभी अमेरिका और नाटो दोनों ने ही अफगानिस्तान में तैनात अमेरिका के ढाई हजार सहित दस हजार सैनिकों के भविष्य का कोई फैसला नहीं किया है। अब कतर की राजधानी दोहा में शुरू हुई वार्ता के नतीजों पर ही सभी का ध्यान है। माना जा रहा है कि अफगानिस्तान की हिंसा का भविष्य भी इस वार्ता से ही तय होने वाला है।

शांति वार्ता शुरू होने के बाद अफगानिस्तान में हिंसा बढ़ी

संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट ने अफगानिस्तान में हिंसा की स्थिति को स्पष्ट किया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक पिछले सालों की तुलना में यहां हिंसा में 15 फीसद की जरूर कमी आई है, लेकिन शांति वार्ता शुरू होने से अब तक की अवधि में हिंसा बढ़ी है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 में यहां 8820 लोग मारे गए। यह पिछले साल यानी 2019 से 15 फीसद कम है, लेकिन विशेषज्ञों ने कहा है कि 2020 के अंतिम तीन महीनों में जब अफगान और तालिबान के बीच शांति वार्ता शुरू हुई, उस अवधि में यहां हिंसा तेजी से बढ़ी। यह अच्छा संकेत नहीं है।

chat bot
आपका साथी