तहरीक-ए-तालिबान ने पत्रकारों को दी चेतावनी, कहा- आतंकवादी और चरमपंथी शब्दों का ना करें इस्तेमाल

टीटीपी के प्रवक्ता मोहम्मद खुरासानी ने सोमवार को सोशल मीडिया पर जारी एक बयान में कहा कि उनका संगठन मीडिया की उन खबरों पर नजर रख रहा है जिसमें टीटीपी के लिए आतंकवादी और चरमपंथी जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है।

By Manish PandeyEdited By: Publish:Wed, 08 Sep 2021 11:53 AM (IST) Updated:Wed, 08 Sep 2021 01:15 PM (IST)
तहरीक-ए-तालिबान ने पत्रकारों को दी चेतावनी, कहा- आतंकवादी और चरमपंथी शब्दों का ना करें इस्तेमाल
पाकिस्तानी तालिबान ने आतंकवादी कहे जाने पर पत्रकारों को दी चेतावनी

पेशावर, प्रेट्र। प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने पाकिस्तानी मीडिया और पत्रकारों को उन्हें 'आतंकवादी संगठन' कहने के खिलाफ चेतावनी दी और कहा कि ऐसा किए जाने पर उन्हें 'शत्रु' माना जाएगा। टीटीपी के प्रवक्ता मोहम्मद खुरासानी ने सोमवार को सोशल मीडिया पर जारी एक बयान में कहा कि उनका संगठन मीडिया की उन खबरों पर नजर रख रहा है, जिसमें टीटीपी के लिए 'आतंकवादी और चरमपंथी' जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है।

'डान' समाचारपत्र ने टीटीपी के आनलाइन बयान के हवाले से कहा, 'टीटीपी के लिए इस तरह के विशेषणों का इस्तेमाल करना मीडिया और पत्रकारों की पक्षपातपूर्ण भूमिका को दर्शाता है।' खुरासानी ने कहा, 'टीटीपी के लिए इस तरह के विशेषण के इस्तेमाल का मतलब है कि पेशेवर मीडिया अपने कर्तव्य के प्रति बेईमान है और वे अपने लिए दुश्मन पैदा करेंगे।' खुरासानी ने कहा कि इसलिए मीडिया को उन्हें तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के नाम से संबोधित करना चाहिए।

पाकिस्तानी तालिबान का गठन 2007 में हुआ था और सरकार ने अगस्त, 2008 में नागरिकों पर हमलों के बाद इसे एक प्रतिबंधित संगठन के रूप में सूचीबद्ध किया था। टीटीपी का पहला प्रमुख बैतुल्ला महसूद 2009 में अमेरिका द्वारा ड्रोन हमले में मारा गया था।

पाकिस्तान सरकार ने 2014 की अपनी राष्ट्रीय कार्य योजना में टीटीपी के सहयोगी समूहों पर प्रतिबंध लगा दिया था और मीडिया द्वारा तथाकथित आतंकवादियों के महिमामंडन किए जाने पर रोक लगा दी थी। आतंकवाद के खिलाफ सरकार की लड़ाई की चपेट में आकर अभी तक कई पाकिस्तानी पत्रकार मारे गए हैं।

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