73 सालों के बाद भी नहीं मिली पाकिस्तान को आजादी, पाकिस्तानी पत्रकार का दावा

पाकिस्तान 73 साल बाद भी आजादी के लिए संघर्ष कर रहा है। पाकिस्तानी पत्रकार ने सरकार पर हमला बोलते हुए किए कई खुलासे।

By Nitin AroraEdited By: Publish:Sat, 15 Aug 2020 09:58 AM (IST) Updated:Sat, 15 Aug 2020 02:32 PM (IST)
73 सालों के बाद भी नहीं मिली पाकिस्तान को आजादी, पाकिस्तानी पत्रकार का दावा
73 सालों के बाद भी नहीं मिली पाकिस्तान को आजादी, पाकिस्तानी पत्रकार का दावा

इस्लामाबाद, एएनआइ। पत्रकार मारवी ने कहा कि पाकिस्तान 73 साल बाद भी आजादी के लिए संघर्ष कर रहा है क्योंकि खैबर पख्तूनख्वा, बलूचिस्तान, सिंध, गिलगित-बाल्टिस्तान और अन्य क्षेत्रों के लोगों को आजादी मिलनी बाकी है। उन्होंने पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस, जो 14 अगस्त को मनाया जाता है, कहा कि पाकिस्तान आजादी के 73 साल को चिह्नित करता है, लेकिन पाकिस्तान अभी भी स्वतंत्रता के लिए संघर्ष कर रहा है। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा, 'खैबर पख्तूनख्वा, बलूचिस्तान, सिंध, गिलगित-बाल्टिस्तान, पाक के हिस्से वाले कश्मीर, मीडिया, संसद, एक्टिविस्ट, 1000 लापता लोग, ... कोई भी स्वतंत्र नहीं है। जन्मदिन मुबारक हो पाकिस्तान!'

पाकिस्तान देश में रह रहे अल्पसंख्यकों जैसे शियाओं, अहमदियों, हिंदुओं, सिखों और ईसाइयों के साथ बदतर व्यवहार करता है। प्रधान मंत्री इमरान खान ने 14 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र को अपने संबोधन के दौरान एक बार फिर कश्मीर मुद्दे को उठाया था। बता दें कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री द्वारा कश्मीर का मुद्दा उठाए जाने से कुछ घंटे पहले, अहमदी अल्पसंख्यक समुदाय के एक बुजुर्ग को पेशावर में हमलावरों ने गोली मार दी थी।

वर्षों से पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय जैसे बलूच, पश्तून, महाजिर, कश्मीरी, बाल्टिस, ईसाई और हिंदू, पाकिस्तान सरकार और सेना दोनों के हाथों उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं। शुक्रवार को वॉयस फॉर सिंधी मिसिंग पर्सन्स और अन्य मानवाधिकार संगठनों ने सिंध में लापता व्यक्तियों के परिवारों के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए एक विरोध रैली का आयोजन किया और इस दौरान उन्होंने नारे लगाए, 'ये जो देहशदगर्दी है, इसके पीछे वर्दी है।' यानी वे साफ कह रहे हैं कि इन आतंकवादी गतिविधियों के पीछे वर्दी शामिल हैं और इससे उनका निशाना पाकिस्तानी सेना के ऊपर है।

पाकिस्तान पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए बल प्रयोग किया, जिसमें लापता व्यक्तियों के परिवार के सदस्य और मानवाधिकार कार्यकर्ता, कराची प्रेस क्लब के बाहर थे।

chat bot
आपका साथी