अफगानिस्तान में भारत की ओर से निर्मित प्रतिष्ठानों को तबाह करना चाहता है पाक, आतंकियों को दिए निर्देश

अफगानिस्‍तान पर कब्‍जे की कोशिश कर रहे तालिबान को पा‍कि‍स्‍तान की इमरान खान सरकार खुलेआम मदद दे रही है। आईएसआई कई वर्षों से आतंकियों को अफगानिस्‍तान में भारत निर्मित संपत्तियों को निशाना बनाने का निर्देश दे रही है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Sun, 18 Jul 2021 03:48 PM (IST) Updated:Mon, 19 Jul 2021 01:44 AM (IST)
अफगानिस्तान में भारत की ओर से निर्मित प्रतिष्ठानों को तबाह करना चाहता है पाक, आतंकियों को दिए निर्देश
अफगानिस्‍तान पर कब्‍जे की कोशिश कर रहे तालिबान को पा‍कि‍स्‍तान की इमरान खान सरकार खुलेआम मदद दे रही है।

काबुल, एएनआइ/आइएएनएस। अफगानिस्तान पर कब्जे के लिए जारी जंग के बीच पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ ने भारत की ओर से चलाई जा रही परियोजनाओं को निशाने पर ले लिया है। पिछले दो दशकों में भारत ने अफगानिस्तान में कई परियोजनाओं का निर्माण किया है। इन्हें लगाने में भारत ने न सिर्फ अरबों डालर खर्च किए हैं, बल्कि इनके साथ उसके रणनीतिक हित भी जुड़े हुए हैं। अफगानिस्तान के 34 प्रांतों में भारत की मदद से तकरीबन 500 छोटी-बड़ी परियोजनाओं को या तो अंजाम दे दिया गया है या फिर उन पर काम जारी है।

आतंकियों को दिए यह निर्देश

इसमें सबसे अहम परियोजना ईरान के चाबहार पोर्ट से अफगानिस्तान के देलारम तक की सड़क परियोजना है। भारत पहले ही सलमा डैम का निर्माण कर चुका है, जिससे 42 मेगावाट बिजली बनती है। इसके अलावा भारत ने काबुल में संसद भवन का निर्माण भी किया है। पाकिस्तान ने तालिबान और अफगान सेना से लड़ रहे अपने लड़ाकों को भारत द्वारा तैयार किए गए प्रतिष्ठानों को तबाह करने के निर्देश दिए हैं।

10 हजार से अधिक लड़ाके पहुंचे अफगानिस्तान

अफगानिस्तान में तालिबान व अन्य आतंकवादी संगठनों को पाक सेना और उसकी खुफिया एजेंसी आइएसआइ संचालित कर रही है। ऐसी खबरें हैं कि अशरफ गनी सरकार से लड़ने के लिए पाकिस्तान के 10 हजार से अधिक लड़ाके अफगानिस्तान पहुंच गए हैं। अफगानिस्तान की निगरानी करने वाले सरकारी सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तानी और तालिबान लड़ाकों को विशेष निर्देश के साथ भारत द्वारा निíमत संपत्तियों को निशाना बनाने और वहां भारतीय सद्भावना के किसी भी संकेत को हटाने के लिए भेजा गया है।

शिक्षा के क्षेत्र में दिया था बहुत बड़ा योगदान

भारत ने अफगानिस्तान में शिक्षा के क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान दिया था और उसके शिक्षकों और सहायक कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने में बड़ी भूमिका निभाई थी। हक्कानी नेटवर्क सहित पाकिस्तान समर्थित इस्लामिक आतंकी समूह वहां भारत के खिलाफ वर्षों से सक्रिय हैं। भारतीय पक्ष इस मुद्दे पर भी असमंजस में है कि क्या उसे काबुल में अपनी उपस्थिति बनाए रखने की अनुमति दी जाएगी या नहीं। अभी तक कट्टरपंथी इस्लामी समूह द्वारा कोई आश्वासन या संकेत नहीं दिया गया है जिसे भारत के विरोध के रूप में देखा जाए।

भारतीय एजेंसियों की कड़ी नजर

भारतीय एजेंसियां काबुल हवाई अड्डे की स्थिति पर भी करीब से नजर रखे हुए हैं, जो अब बहुत लंबे समय तक अमेरिकी सुरक्षा में नहीं रहने वाला है। बगराम हवाई अड्डे सहित अमेरिकियों के अधीन कई हवाई क्षेत्र तालिबान के साथ चल रहे सत्ता संघर्ष के कारण खाली हो गए हैं। नागरिक कार्यों में लगे भारतीय कामगारों को भी बाहर जाने को कहा गया है। भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी वैपकास के कुछ अधिकारी बांध परियोजनाओं के लिए वहां रुके हुए थे। भारत ने हाल ही में काबुल शहर को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए शहतूत बांध परियोजना का एलान किया था।

अफगान वायु सेना को चेतावनी दी

वहीं अफगानिस्तान टाइम्स ने अपने संपादकीय में कहा है कि पाकिस्तानी सेना नहीं चाहती कि अफगान लोग अपने मुल्‍क के दुश्मनों से लड़ें। अधिकारियों के मुताबिक पाकिस्तान ने बेशर्मी की हद करते हुए स्पिन बोल्डक सीमावर्ती जिले में तालिबान लड़ाकों पर किसी भी हमले के खिलाफ अफगान वायु सेना को चेतावनी दी है। वैसे यह पहली बार नहीं है कि अफगान लोगों को पड़ोसी देश से इस तरह के शत्रुतापूर्ण व्‍यवहार का सामना करना पड़ रहा है।

पाकिस्तान तालिबान का गॉडफादर

संपादकीय में कहा गया है कि यह बेशर्मी और दुश्मनी की चरम सीमा है जिसे पाकिस्तानी सेना और इमरान सरकार प्रदर्शित कर रही है। यह स्पष्ट रूप से साबित हो गया है कि पाकिस्तान तालिबान का गॉडफादर है। यह पाकिस्तान द्वारा अफगानिस्तान में शुरू किया गया एक छद्म युद्ध है। यह दुर्भायपूर्ण है कि तालिबान आतंकी इस्लामाबाद की ओर से अपने ही लोगों का खून बहा रहे हैं। संपादकीय में कहा गया है कि ऐसे अफगानिस्‍तान की सरकार को पाकिस्‍तान को बेनकाब करना चाहिए...

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