भारत से व्यापार को लेकर पाकिस्तान की ढुलमुल नीति उसी पर भारी, जानें किन आशंकाओं को मिला बल

मार्च में जब सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा का पाकिस्तान और भारत के संबंधों पर बयान आया था तब माना जा रहा था कि दोनों देशों के रिश्तों पर जमी बर्फ पिघलने वाली है। बाजवा ने दोनों देश के संबंध में सुधार और स्थिरता लाने की जरूरत बताई थी।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Mon, 26 Apr 2021 01:33 PM (IST) Updated:Mon, 26 Apr 2021 01:43 PM (IST)
भारत से व्यापार को लेकर पाकिस्तान की ढुलमुल नीति उसी पर भारी, जानें किन आशंकाओं को मिला बल
भारत के साथ व्यापार संबंध बहाल करने को लेकर पाकिस्तान प्रधानमंत्री इमरान खान

पेशावर, एएनआइ। भारत के साथ व्यापार संबंध बहाल करने की पाकिस्तान की ढुलमुल नीति उसी पर भारी पड़ रही है। प्रधानमंत्री इमरान खान की रणनीतिक मामलों पर आधारित विदेश नीति में आर्थिक मामलों को भी शामिल कर दिए जाने से देश की मुश्किल बढ़ गई है। एशिया टाइम्स में एक लेख के जरिये एफएम शकील ने कहा है कि भारत से कपास और चीनी आयात करने की पाकिस्तान की घोषणा की हवा निकल जाने से देश में सत्ता के दो केंद्र होने की सोच को बल मिला है। चुनी हुई सरकार की भारत से व्यापार बहाल करने की सोच को सैन्य सत्ता ने पलट दिया। नतीजतन भारत से व्यापार शुरू करने की घोषणा रद करनी पड़ी। 

कपास और चीनी के आयात की घोषणा रद होने से इमरान की कमजोरी उजागर

मार्च में जब सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा का पाकिस्तान और भारत के संबंधों पर बयान आया था तब माना जा रहा था कि दोनों देशों के रिश्तों पर जमी बर्फ पिघलने वाली है। बाजवा ने दोनों देश के संबंध में सुधार और स्थिरता लाने की जरूरत बताई थी। साथ ही कश्मीर मसला बातचीत के जरिये सुलझाने की बात कही थी। इससे पहले दोनों देशों के बीच सीमा पर गोलीबारी बंद करने का समझौता हुआ था। लेकिन व्यापारिक संबंधों में बंदिश बनी रहने से संबंध सामान्य बनाने की सोच गलत साबित हुई। विशेषज्ञों के अनुसार भारत से कपास और चीनी के आयात की घोषणा के पटरी से उतर जाने से प्रधानमंत्री खान की कमजोरी उजागर हुई है। इससे पता चला है कि वह सेना पर पूरी तरह से आश्रित हैं। संबंधों में सुधार के लिए जो करना है-सेना को करना है, सरकार के हाथ में कुछ नहीं है।

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