Human Rights Watch Report 2021: पाकिस्‍तान सरकार ने विरोधियों को कुचलने के लिए किया सत्‍ता का इस्‍तेमाल

पाकिस्‍तान सरकार जहां सत्‍ता का इस्‍तेमाल अपने विरोधियों को कुचलने के लिए कर रही है वहीं महिलाओं अल्‍पसंख्‍यक समुदायों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं पर काबू पाने में वाले लगातार नाकाम साबित हुई है। बीते वर्ष इस तरह मामले काफी बढ़े हैं।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Thu, 14 Jan 2021 02:51 PM (IST) Updated:Thu, 14 Jan 2021 02:51 PM (IST)
Human Rights Watch Report 2021: पाकिस्‍तान सरकार ने विरोधियों को कुचलने के लिए किया सत्‍ता का इस्‍तेमाल
महिलाओं के खिलाफ हिंसा में हुई बढ़ोतरी

न्‍यूयॉर्क (एएनआई)। ह्यूमन राइट्स वाच की वर्ल्‍ड रिपोर्ट 2021 में पाकिस्‍तान का बदसूरत चेहरा एक बार फिर से बेनकाब हुआ है। इसमें कहा गया है कि पाकिस्‍तान की मौजूदा इमरान खान सरकार ने अपने कार्यकाल में जहां मीडिया पर जमकर अंकुश लगाया और विरोधियों को ठिकाने लगाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी वहीं महिलाओं और अल्‍पसंख्‍यकों के खिलाफ होने वाली हिंसा को रोकने में वो पूरी तरह से विफल रही है। इसमें कहा गया है कि मानवाधिकारों की बात करने वाले और उनका समर्थन करने वाले कार्यकर्ताओं, पत्रकारों को सरकार और प्रशासन ने जमकर प्रताडि़त किया है।

प्रशासन ने इन लोगों को किनारे करने और ठिकाने लगाने के लिए नेशनल अकाउंटिबिलिटी ब्‍यूरो का भी जमकर इस्‍तेमाल किया। कहने को तो ये संस्‍था देश में होने वाले भ्रष्‍टाचार पर रोक लगाने और इस पर निगाह रखने के लिए है, लेकिन का सरकार ने इसका इस्‍तेमाल अपने विरोधियों के लिए किया। इसकी चपेट में वो आए जिन्‍होंने इमरान सरकार के खिलाफ अंगुली उठाने और जुबान खोलने की कोशिश की। इसमें पाकिस्‍तान के के प्रमुख अखबार द डॉन के एडिटर मीर शकील उर रहमान भी थे। उन्‍हें बिना जमानत के छह माह तक पकड़कर रखा गया।

ह्यूमन राइट्स वाच के एशिया के डायरेक्‍टर ब्रेड एडम का कहना है कि पाकिस्‍तान की सरकार लगातार अपने विरोधियों की जुबान को खामोश करने का काम कर रही है। सरकार के खिलाफ बोलने वालों को खतरा बढ़ गया है। इमसें सरकार के विरोधी दलों के नेता, पत्रकार और हमेशा लोकतंत्र की बात करने वाले लोग शामिल हैं। इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि पाकिस्‍तान में रहने वाले अहमदिया समुदाय के लोगों पर वर्ष 2020 में हमले काफी बढ़े हैं। इसमें कम से कम चार की हत्‍या ईशनिंदा का आरोप लगाते हुए कर दी गई। सरकार इस तरह के मामलों में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने में नाकाम साबित हुई है। अल्‍पसंख्‍यक समुदाय भी इसकी जद में रहा है।

समाचार एजेंसी एएनआई की खबर के मुताबिक अगस्‍त में पाकिस्‍तान की महिला पत्रकारों ने एक बयान में पाकिस्‍तान की सरकार और समाज की कलई खोलते हुए कहा था कि पंजाब में एक हाईवे पर एक महिला के साथ कई लोगों ने दुष्‍कर्म किया था। इस मामले में उस महिला की ही गलती बताई गई और कहा कि वो अपने पति के बिना ही रात में सफर कर रही थी। इस रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्‍तान में इस दौरान घरेलू हिंसा में भी बढ़ोतरी हुई है। ये करीब 200 फीसद तक बढ़ी है। बीते वर्ष जनवरी से मार्च के बीच और लॉकडाउन में भी हालात काफी खराब रहे।

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