पाकिस्‍तान पर लटकी है एफएटीएफ की तलवार, एक माह में देनी होगी अपडेट रिपोर्ट

पाकिस्‍तान को एफएटीएफ के बिंदुओं को पूरा करने के लिए अभी काफी कुछ काम करना है। उसको एक बार फिर से जून तक का समय दिया गया है। इस बीच उसको एक माह के अंदर आतंकी फंडिंग की रोकथाम को लेकर की गई कार्रवाई पर रिपोर्ट भी देनी होगी।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Tue, 02 Mar 2021 03:05 PM (IST) Updated:Wed, 03 Mar 2021 07:40 AM (IST)
पाकिस्‍तान पर लटकी है एफएटीएफ की तलवार, एक माह में देनी होगी अपडेट रिपोर्ट
एक माह में एफएटीएफ को देनी होगी अपडेट रिपोर्ट

इस्‍लामाबाद (पीटीआई)। पाकिस्‍तान के ऊपर से फाइनेंशियल एक्‍शन टास्‍क फोर्स (एफएटीएफ) की तलवार हटी नहीं है। पाकिस्‍तान की मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक धन शोधन और आतंकवादी वित्तपोषण पर नजर रखने वाले एफएटीएफ की 27-सूत्रीय कार्ययोजना के बकाया तीन बिंदुओं को पूरा करने के लिए कम से कम दो कानूनों को बनाना होगा। एफएटीएफ की बैठक अब जून में होनी है, लिहाजा पाकिस्‍तान को इससे पहले ही ये कवायद पूरी करनी होगी और आतंकी फंडिंग पर लगाम लगानी होगी।

अब एक माह के अंदर एफएटीएफ के समक्ष एक अपडेट रिपोर्ट पेश करनी है जिसमें उसको आतंकी फंडिंग और मनीलॉड्रिंग की रोकथाम को लेकर उठाए गए कदमों की जानकारी देनी होगी। पीटीआई ने पाकिस्‍तान के अखबार द डॉन के हवाले से बताया है कि एफएटीएफ की जरूरत के हिसाब से काम करने के लिए पाकिस्‍तान में इमरान सरकार ने करीब तीन दर्जन कानूनों में संशोधन किया है। दो और कानूनों में संशोधन को लेकर भी सरकार के सामने कोई परेशानी नहीं है।

पाकिस्‍तान में इसको लेकर कवायद भी तेज होती दिखाई दे रही है और जल्‍द से जल्‍द कानून बनाने के लिए संबंधित एजेंसियों से राय मश्विरा करने को कहा गया है। मनी लॉड्रिंग के खिलाफ बनी नेशनल एग्‍जीक्‍यूटिव कमेट की बैठक में ये बात सामने आई है। इसमें वित्‍त मंत्री अब्‍दुल हाफिज शेख ने फाइनेंशियल मॉनिटरिंग यूनिट और एफएटीएफ कॉर्डिनेटिंग कमेटी एंड इंडस्‍ट्री के चेयरमेन और उत्‍पादन मंत्री से इस बाबत सभी जरूरी चीजों को जल्‍द निपटाने को कहा है।

पाकिस्‍तान की मीडिया में कहा गया है कि सभी एजेंसियों इस बाबत एक दूसरे से लगातार समन्‍वय बनाए रखेंगी। अखबार ने लिखा है कि एनईसी एफएटीएफ के समक्ष पिछले दो वर्षों में इस दिशा में उठाए गए कदमों की रिपोर्ट अंतरराष्‍ट्रीय एजेंसी को सौंपी थी। लेकिन इस रिपोर्ट से न तो ज्‍यूरी सहमत हुई और न ही इससे कोई बेहतर संदेश ही दुनिया को मिल सका। इसके उलट यही बात सामने आई कि पाकिस्‍तान तय समय में जरूरी कार्रवाई नहीं कर सका।

आपको बता दें कि पिछले दिनों पेरिस में चली एफएटीएफ की तीन दिवसीय बैठक के बाद पाकिस्‍तान को ग्रे-लिस्‍ट में रखने का फैसला किया गया था। पहली बार पाकिस्‍तान को वर्ष 2018 में ग्रे-लिस्‍ट में डाला गया था। तब एफएटीएफ ने पाकिस्‍तान को आतंकी फंडिंग और उनके वित्‍त पोषण पर लगाम लगाने के लिए दिसंबर 2019 तक का समय दिया था। लेकिन ये समय लगातार बढ़ता चला गया।

वैश्विक महामारी के दौरान एफएटीएफ की अगस्‍त में वर्चुअल बैठक में हुई जिसमें पाकिस्‍तान के द्वारा उठाए कदमों को नाकाफी मानते हुए उसे ग्रे-सूची में ही बरकरार रखा गया था। इसके बाद नवंबर 2020 में भी इसी फैसले को बरकरार रखा गया था। इस बार की बैठक में भी पाकिस्‍तान को देशों की सामान्‍य श्रेणी में नहीं लाया गया और उसे एक नई समय सीमा दे दी गई है। आपको बता दें कि ग्रे-सूची में बने रहने के कारण भी पाकिस्तान की अर्थव्‍यवस्‍था को काफी नुकसान पहुंच रहा है।

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