तालिबान से बातचीत के लिए काबुल पहुंचे पाकिस्तान के विदेश मंत्री कुरैशी, आइएसआइ चीफ भी हैं साथ

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने तालिबान के नेतृत्व वाली अफगानिस्तान की अंतरिम सरकार के साथ बातचीत करने के लिए खुफिया एजेंसी आइएसआइ प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद के साथ गुरुवार को काबुल पहुंचे। यह दौरा एक दिन का है।

By TaniskEdited By: Publish:Thu, 21 Oct 2021 05:18 PM (IST) Updated:Thu, 21 Oct 2021 05:18 PM (IST)
तालिबान से बातचीत के लिए काबुल पहुंचे पाकिस्तान के विदेश मंत्री कुरैशी, आइएसआइ चीफ भी हैं साथ
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी।

इस्लामाबाद, पीटीआइ। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने तालिबान के नेतृत्व वाली अफगानिस्तान की अंतरिम सरकार के साथ बातचीत करने के लिए खुफिया एजेंसी आइएसआइ प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद के साथ गुरुवार को काबुल पहुंचे। यह दौरा एक दिन का है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के अनुसार इस यात्रा के दौरान पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी के अन्य अफगान नेताओं से मुलाकात करेगा।

पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के अनुसार दोनों पक्षों के बीच वार्ता द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने और अलग-अलग क्षेत्रों में सहयोग पर केंद्रित होगी। विदेश मंत्री क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के मुद्दों पर पाकिस्तान के दृष्टिकोण को भी साझा करेंगे।पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल ऐसे समय में अफगानिस्तान दौरे पर गया है जब हाल ही में मास्को में चीन, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और रूस के अधिकारियों की बैठक हुई है। अगले हफ्ते अफगानिस्तान के पड़ोसियों और रूस के विदेश मंत्रियों की बैठक तेहरान में होनी है।

बता दें कि गत 15 अगस्त को अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद से तालिबान शासन अलग-थलग पड़ा हुआ है। वह चाहता है कि उसे वैश्विक मान्यता मिले, लेकिन विश्व के तमाम देशों ने उसे मान्यता देने से इन्कार कर दिया है। वहीं, पाकिस्तान चाहता है कि तालिबान को मान्यता मिले। 4 सितंबर को लेफ्टिनेंट जनरल हमीद अचानक से काबुल पहुंच गए थे। तब तालिबान सरकार बनाने को लेकर संघर्ष कर रहा था। उनकी यात्रा के तीन दिन बाद तालिबान ने एक अंतरिम सरकार की घोषणा की।

माना जाता है कि तालिबान पर पाकिस्तान का दबदबा है और उसने अमेरिका के साथ उनकी शांति वार्ता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके परिणामस्वरूप 2020 का दोहा समझौता हुआ। पाकिस्तान पर अक्सर राष्ट्रपति अशरफ गनी के नेतृत्व वाली अफगानिस्तान सरकार द्वारा तालिबान को सहायता देने का आरोप लगाया जाता था। वह बार-बार इन आरोपों का खंड़न करता रहा है।

यह भी पढ़ें: तालिबान का दुनिया को आश्वासन, उसकी जमीन का दूसरे देशों के खिलाफ नहीं होगा इस्तेमाल

chat bot
आपका साथी