पाकिस्‍तान में चुनाव आयोग की बड़ी कार्रवाई, 154 सांसदों विधायकों की सदस्‍यता निलंबित की, जानें वजह

पाकिस्‍तान में चुनाव आयोग ने सांसदों विधायकों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। पाकिस्‍तानी निर्वाचन आयोग ने कुल 154 सांसदों विधायकों की सदस्‍यता को रद कर दिया है। पाक चुनाव आयोग ने यह कार्रवाई क्‍यों की है इसकी वजह जानने के लिए पढ़ें यह रिपोर्ट...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Tue, 19 Jan 2021 12:11 AM (IST) Updated:Tue, 19 Jan 2021 02:36 AM (IST)
पाकिस्‍तान में चुनाव आयोग की बड़ी कार्रवाई, 154 सांसदों विधायकों की सदस्‍यता निलंबित की, जानें वजह
पाकिस्‍तानी निर्वाचन आयोग ने 154 सांसदों विधायकों की सदस्‍यता को रद कर दिया है।

इस्‍लामाबाद, एएनआइ/पीटीआइ। पाकिस्‍तान के निर्वाचन आयोग (Election Commission of Pakistan, ECP) ने अपनी संपत्तियों का विवरण पेश करने में विफल रहने पर सीनेट और प्रांतीय विधानसभाओं के 154 सदस्यों की सदस्यता को निलंबित कर दिया है। समाचार एजेंसी पीटीआइ के मुताबिक, 154 सांसदों और विधायकों की सदस्यता को अस्‍थाई तौर पर निलंबित किया गया है। इन सांसदों और विधायकों ने अपनी संपत्तियों का वार्षिक ब्‍यौरा नहीं दिया था।  

समाचार एजेंसी एएनआइ ने पाकिस्‍तान के अखबार डॉन के हवाले से बताया है कि ये 154 सांसद और विधायक तब तक निलंबित रहेंगे जब तक कि अपनी संपत्तियों का वार्षिक ब्‍यौरा (financial statements) जमा नहीं कर देते। यह पहली बार नहीं है कि पाकिस्‍तान के निर्वाचन आयोग ने ऐसी सख्‍त कार्रवाई की है। पाकिस्‍तानी अखबार के मुताबिक पाक में निर्वाचन आयोग हर साल ऐसी लापरवाही पर कई सांसदों और विधायकों की सदस्‍यता को अस्‍थाई तौर पर निलंबित कर देता है। 

समाचार एजेंसी पीटीआइ के मुताबिक, जिन पाकिस्‍तानी सांसद विधायकों की सदस्‍यता निलंबित की गई है उनमें अंतर-प्रांतीय समन्वय मंत्री फहमिदा मिर्जा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री फवाद चौधरी और समुद्री मामलों के मंत्री हैदर जैदी शामिल हैं। पाकिस्‍तान में नियम है कि हर साल सांसदों विधायकों को अपनी आय या संपत्ति का ब्‍यौरा जमा करना होगा। सांसदों विधायकों को हर साल दिसंबर महीने में ऐसा करना होता है। 

पाकिस्‍तान में चुनाव अधिनियम 2017 की धारा 137(1) के मुताबिक सांसदों और विधायकों के लिए हर साल 31 दिसंबर तक पत्नी और आश्रित बच्चों की संपत्तियों और दायित्वों के बारे में भी स्टेटमेंट दाखिल करना अनिवार्य हैं। कानून के मुताबिक सांसदों और विधायकों की सदस्यता तब तक निलंबित रहती है जब तक वे अपनी संपत्तियों के स्टेटमेंट दाखिल नहीं कर देते। चुनाव आयोग ने पिछले साल भी 300 से ज्यादा सांसदों-विधायकों को निलंबित किया था। हालांकि कानूनी अनिवार्यता पूरी करने के बाद ज्यादातर सांसदों और विधायकों की सदस्यता बहाल हो गई थी। 

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