सिंध में पैसे देकर कोई कुछ भी कर सकता है, प्रांत में नहीं है सरकार जैसी कोई चीज- चीफ जस्टिस ऑफ पाकिस्तान
चीफ जस्टिस ऑफ पाकिस्तान ने सिंध की सरकार को लताड़ लगाई है कि यदि वो प्रांत में अतिक्रमण और अवैध निर्माण करने वाले लोगों पर लगाम नहीं लगा सकती है तो फिर वो प्रांत कैसे चला सकती है।
इस्लामाबाद (एएनआई)। पाकिस्तान के चीफ जस्टिस गुल्जार अहमद ने सिंध में लगातार सार्वजनिक जगहों पर हो रहे अतिक्रमण और निर्माण को लेकर प्रांतीय सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने यहां तक कहा है कि सरकार कनाडा के इशारे पर काम कर रही है। देश के प्रधान न्यायधीश ये कटाक्ष कोर्ट के समक्ष आई एक सिविल मिसलिनिएस एप्लीकेशन पर सुनवाई के दौरान किए हैं। इसमें कोर्ट का ध्यान खाली पड़ी जमीन पर लैंड माफिया के कब्जे की तरफ दिलाया गया था। इसमें राजनीतिक पार्टियों की सहभागिता भी बताई गई थी।
समाचार एजेंसी एएनआई ने डेली टाइम्स के हवाले से बताया है कि जस्टिस गुलजार ने सिंध में बन रहे शाहराह ए फैसल टावर के निर्माण से जुड़े एक मामले में कहा कि कनाडा में बैठा यूनुस मेमन प्रांतीय सरकार को कनाडा से चला रहा है। उन्होंने ये भी कहा कि यदि सरकार ऐसे नाले की सफाई नहीं कर सकती है तो वो प्रांत कैसे चलाएगी। जस्टिस गुल्जार यहीं पर नहीं रुके बल्कि उन्होंने कहा कि सरकार का कराची की जनता से जुड़े मसलों से कोई लेना देना नहीं है बल्कि बिल्डिंग कंट्रोल ऑथरिटी को पैसे देकर जो मन में है वो करिए। सिंध में सरकार नाम की कोई चीज नहीं रह गई है।
कोर्ट ने प्रांत के एडवोकेट जनरल से जानना चाहा कि सरकार कैसे इस बात को पुख्ता कर सकती है कि वो इन तमाम चीजों पर निगरानी रख सकती है। ये सब काम केंद्र की सरकार करने को मजबूत है लेकिन क्या प्रांतीय सरकार ये सब कुछ कर पाने में असमर्थ है। यदि ऐसा है तो वो राज्य को कैसे चला सकती है। कोर्ट ने कहा कि उन्होंने एक वर्ष पहले इस तरह के गंदे नालों को साफ करने का आदेश दिया था लेकिन सरकार हर बार कोई न कोई समसया बताकर समय टालती रहती है। उन्होंने ये भी कहा कि मेमन जैसे लोग कम नहीं हुए हैं बल्कि लगातार बढ़ रहे हैं। प्रांत में कई जगहों पर सर्विस रोड तक का अतिक्रमण किया जा चुका है और सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है।
जस्टिस गुल्जार ने सुनवाई के दौरान कहा कि प्रांतीय सरकार को एजूकेशन प्रोजेक्ट के तहत ढाई खरब से अधिक रुपये दिए गए थे, जिसका काम 2014 में शुरू होकर 2017 में खत्म हुआ था। इसी तरह से डेढ़ खबर रुपये पानी के लिए तरस रहे लोगों के लिए रिवर्स ऑस्मोसिस प्लांट लगाने के लिए दिए गए थे। इस बात की जिम्मेदारी ऑथरिटी को है कि वो शहर के विकास और समस्याओं के हल के लिए क्या फैसला लेती है।
ऑथरिटी कोई बजट पास करती है तो उसका इस्तेमाल लोगों के हक के लिए नहीं किया जाता है। ये बेहद गंभीर मसला है। इस दौरान उन्होंने रेल मंत्रालय को भी हालिया कुछ रेल हादसों केलिए आड़े हाथों लिया। उन्होंने पीएम से अपील की कि इसको सुधारने के लिए तेजी से काम किया जाए। उन्होंने रेलवे मंत्री द्वारा दिए गए बयान पर भी कड़ी आपत्ति जताई।