इमरान सरकार ने शर्तों के साथ विपक्ष के 'आजादी मार्च' को दी हरी झंडी

पाक सरकार जमीयत-उलेमा-ए-इस्‍लाम फजल को 31 अक्‍टूबर को आजादी मार्च की अनुमति देने को तैयार है बशर्ते यह मार्च कानून सम्‍मत हो

By Ramesh MishraEdited By: Publish:Thu, 24 Oct 2019 09:23 AM (IST) Updated:Thu, 24 Oct 2019 09:43 AM (IST)
इमरान सरकार ने शर्तों के साथ विपक्ष के 'आजादी मार्च' को दी हरी झंडी
इमरान सरकार ने शर्तों के साथ विपक्ष के 'आजादी मार्च' को दी हरी झंडी

इस्‍लामाबाद, एजेंसी । पाकिस्‍तान सरकार जमीयत उलेमा ए इस्लाम-फजल को 31 अक्‍टूबर को 'आजादी मार्च' की अनुमति देने को तैयार है, बशर्ते यह मार्च कानून सम्‍मत हो। इमरान सरकार ने कहा है कि उसे 'आजादी मार्च' में कोई दिक्‍कत नहीं, लेकिन जमीयत को अदालतों द्वारा निर्धारित मापदंडों का पालन करना होगा। जमीयत उलेमा का एक प्रतिनिधिमंडल दल प्रधानमंत्री इमरान खान से मिला और उनके समक्ष अपनी सिफारिशें रखी। इसके बाद बुधवार को उनको शर्तों के साथ आजादी मार्च की अनुमति मिली। बैठक के बाद सरकार ने यह फैसला लिया कि प्रस्‍तावित आजादी मार्च को हरी झंडी के साथ सुप्रीम कोर्ट के फैसले की व्‍याख्‍या की गई।

क्‍या है आजादी मार्च की शर्ते 

बैठक के दौरान यह निर्णय लिया गया कि "सरकार, लोकतांत्रिक आदर्शों को बनाए रखने के अपने दृढ़ विश्वास के साथ, प्रस्तावित आज़ादी मार्च को अनुमति देगी, यदि यह कानून और संविधान के दायरे में पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के फैसलों में व्याख्या की गई हो और इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ”, प्रधान मंत्री कार्यालय (पीएमओ) द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है। प्रधानमंत्र कार्यालय में एक अधिकार के डॉन को बताया कि लोकतंत्र में विपक्ष के पास विरोध का अधिकार है। हमारी सरकार इसमें पूण आस्‍था रखती है। लेकिन यह आंदोलन अदालतों के फैसलों के अनुकूल होना चाहिए। इसका नागरिकों के सुविधाओं पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए।

इमरान खान को अक्षम प्रधानमंत्री कहा

बता दें पाकिस्तान में प्रमुख दक्षिणपंथी धार्मिक पार्टी ने 'अक्षम' इमरान खान सरकार को हटाने के लिए 27 अक्टूबर से आजादी मार्च का एलान किया था। पार्टी ने देश में आर्थिक संकट के लिए इमरान सरकार को दोषी ठहराया था। जमीयत उलेमा ए इस्लाम-फजल के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान ने गुरुवार को इस आशय की घोषणा की। जबकि दो दिन पहले ही शीर्ष विपक्षी पार्टियों पीएमएल-एन और पीपीपी ने सरकार के खिलाफ किसी भी एकल संघर्ष का विरोध किया था। साथ ही आम सहमति विकसित करने के लिए सभी दलों की बैठक बुलाने का फैसला किया था।

चुनाव परिणाम पर उठाए थे सवाल

फजलुर रहमान ने कहा था कि 'यह सरकार फर्जी चुनावों का परिणाम है। हम डी-चौक पर इकट्ठा होंगे। हम वे लोग नहीं हैं, जिन्हें आसानी से तितर-बितर किया जा सकता है।' उन्होंने आगे कहा, 'सभी विपक्षी पार्टियां इस बात पर सहमत हैं कि नए सिरे से चुनाव कराए जाएं ताकि पता चल सके कि किसे वास्तविक जनादेश हासिल है।' उन्होंने इस धारणा को खारिज कर दिया कि वह अकेले आगे बढ़ रहे हैं। फजलुर ने कहा कि उनकी पार्टी अन्य सभी पार्टियों के साथ संपर्क में है और उनके साथ सलाह मशविरा करके ही फैसले ले रही है।

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