पाकिस्तान उलेमा काउंसिल ने किया हिंदू मंदिर के निर्माण का समर्थन, बुलाएगी बैठक

पाकिस्तान के धार्मिक मामलों के मंत्रालय ने इस्लामिक विचार परिषद को पत्र लिखकर राजधानी में मंदिर निर्माण के लिए सरकार की आर्थिक मदद पर उससे राय मांगी है।

By Tilak RajEdited By: Publish:Sat, 11 Jul 2020 11:07 PM (IST) Updated:Sat, 11 Jul 2020 11:07 PM (IST)
पाकिस्तान उलेमा काउंसिल ने किया हिंदू मंदिर के निर्माण का समर्थन, बुलाएगी बैठक
पाकिस्तान उलेमा काउंसिल ने किया हिंदू मंदिर के निर्माण का समर्थन, बुलाएगी बैठक

इस्लामाबाद, प्रेट्र। पाकिस्तान में मुस्लिमों के एक शीर्ष संगठन ने इस्लामाबाद में पहले हिंदू मंदिर के निर्माण का समर्थन किया है। पाकिस्तान उलेमा काउंसिल (पीयूसी) ने कहा है कि पाकिस्तान का संविधान देश में रहने वाले मुस्लिमों और गैर-मुस्लिमों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया है। काउंसिल के चेयरमैन हाफिज मुहम्मद ताहिर महमूद अशरफ ने कहा, 'हम मंदिर निर्माण पर विवाद की निंदा करते हैं। कट्टरपंथी मौलवियों द्वारा ऐसा करना उचित नहीं है। पाकिस्तान उलेमा परिषद बैठक बुलाएगी।'

पाकिस्तान के धार्मिक मामलों के मंत्रालय ने इस्लामिक विचार परिषद को पत्र लिखकर राजधानी में मंदिर निर्माण के लिए सरकार की आर्थिक मदद पर उससे राय मांगी है। कुछ मुस्लिम समूह मंदिर का विरोध कर रहे हैं। धार्मिक मामलों के मंत्री नूरुल हक कादरी ने बुधवार को कहा था कि मंदिर निर्माण से संबंधित कोई समस्या नहीं है। लेकिन असली मुद्दा यह है कि क्या इसे सार्वजनिक धन से बनाया जा सकता है? सरकार ने कृष्ण मंदिर के लिए 10 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। राजधानी के एच-9 प्रशासनिक संभाग में 20,000 वर्ग फीट में यह मंदिर बनेगा। अशरफ ने कहा कि जो लोग मंदिर निर्माण का विरोध कर रहे हैं, वे शरिया की गलत व्याख्या कर रहे हैं।

इधर, भारत के अंतरराष्ट्रीय योग ध्यान गुरु स्वामी दीपांकर जी महाराज ने मंदिर विरोध पर घोर आपत्ति दर्ज कराते हुए इसे पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला बताया है। उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार से पाकिस्तान में हिंदू व अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे अन्याय व मंदिर निर्माण में अड़ंगा लगा रहे लोगों पर कार्रवाई के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबाव बनाने की भी मांग की है। साथ ही उन्‍होंने कहा कि आजादी के समय पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समाज 24% था। लेकिन आज मात्र 2% ही रह गया है। जिसके पीछे वहां की कट्टरपंथी ताकतें व पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की सोची समझी साजिश।

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