पाकिस्तान में मुहाजिर और सिंधी अपने अधिकारों के लिए मिलकर लड़ेंगे
मुहाजिरों पर सेना के अत्याचार पर एमएक्यूएम नेता ने कहा। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू सत्ता में मुस्लिमों को 27 फीसद हिस्सेदारी देना चाहते थे। अब जो मुसलमान भारत से पाकिस्तान आए हैं उन्हें दो फीसद की भी हिस्सेदारी नहीं मिली है।
लंदन, एएनआइ। पाकिस्तान की फौज का मुहाजिरों पर अत्याचार कम नहीं हो रहा है। सेना यहां से उन्हें पूरी तरह साफ करना चाहती है, लेकिन लाखों की संख्या में रहने वाली इस कौम को खत्म नहीं किया जा सकता। अब वक्त आ गया है कि सिंध प्रांत में रहने वाले मुहाजिर सिंधियों के साथ मिलकर अपने अधिकार और आजादी की लड़ाई लड़ें।
मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (एमक्यूएम) के संस्थापक और नेता अल्ताफ हुसैन ने कहा है कि पाकिस्तान की सेना एक के बाद एक मुहाजिरों (विभाजन के समय भारत से गए मुस्लिम) की हत्या कर रही है। वह कुछ लोगों को मार तो सकती है, लेकिन पूरी तरह खत्म नहीं कर सकती है। रविवार को कार्यकर्ताओं की एक सभा को संबोधित करते हुए अल्ताफ हुसैन ने कहा है कि हमने मुहाजिर शब्द अपनी पहचान के लिए रखा था। बस अब यही हमारी पहचान है। हमारे बुजुर्गो ने इस्लाम के नाम पर भारत को तोड़ दिया और मुस्लिमों के लिए अलग से पाकिस्तान बना लिया। अब सवाल उठता है कि पाकिस्तान बनाने से किसको फायदा हुआ।
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू सत्ता में मुस्लिमों को 27 फीसद हिस्सेदारी देना चाहते थे। अब जो मुसलमान भारत से पाकिस्तान आए हैं, उन्हें दो फीसद की भी हिस्सेदारी नहीं मिली है।
ऐसी स्थिति में अब अपने हक की लड़ाई लड़ने का समय आ गया है। हम मुहाजिर और सिंधी मिलकर सिंध के आजाद होने की लड़ाई लड़ेंगे। जहां सिंधी और मुहाजिरों दोनों को ही उनके अधिकार हासिल हो सकें।