पाकिस्तान में 'कपूर हवेली' के धराशायी होने का खतरा, म्यूजियम बनाने का वादा लेकिन नहीं खरीद पाई सरकार

बॉलीवुड के नामचीन अभिनेता स्व. पृथ्वीराज कपूर के परिवार की ऐतिहासिक खानदानी हवेली इतनी जर्जर हो चुकी है कि किसी भी समय खुद धराशायी हो सकती है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Sun, 12 Jul 2020 08:01 PM (IST) Updated:Mon, 13 Jul 2020 04:12 AM (IST)
पाकिस्तान में 'कपूर हवेली' के धराशायी होने का खतरा, म्यूजियम बनाने का वादा लेकिन नहीं खरीद पाई सरकार
पाकिस्तान में 'कपूर हवेली' के धराशायी होने का खतरा, म्यूजियम बनाने का वादा लेकिन नहीं खरीद पाई सरकार

पेशावर, पीटीआइ। बॉलीवुड के नामचीन अभिनेता स्व. पृथ्वीराज कपूर के परिवार की ऐतिहासिक खानदानी हवेली इतनी जर्जर हो चुकी है कि किसी भी समय खुद धराशायी हो सकती है। पाकिस्तान सरकार का इरादा इसे म्यूजियम बनाने का है लेकिन हवेली के मालिक से सौदा नहीं पट पाया। पृथ्वीराज कपूर के पोते अभिनेता स्व. ऋषि कपूर ने पेशावर के किस्सा ख्वानी बाजार स्थित 'कपूर हवेली' को म्यूजियम में बदलने का आग्रह किया था। साल 2018 में पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह मोहम्मद कुरैशी ने उनकी यह इच्छा पूरी करने की बात भी कही थी। देखरेख नहीं होने के चलते यह हवेली बेहद जर्जर हालत में है।  

इस क्षेत्र के लोगों का कहना है कि यह हवेली अब भूत बंगला बन गई है। इसकी हालत इतनी जर्जर हो गई है कि कभी भी गिर सकती है।खैबर पख्तूनख्वा की प्रांतीय सरकार हवेली का ऐतिहासिक महत्व समझती है और पर्यटकों के लिए इसके मूल स्वरूप को बचाए रखना चाहती है। सरकार ने खरीदने की कोशिश भी की, लेकिन बात कीमत पर अटक गई। सरकार की सुस्ती को देखते हुए स्थानीय लोगों को इस बात का डर है कि जर्जर हवेली कहीं खुद न गिर जाए। स्थानीय निवासी मुजीब को आज भी याद है कि उनके बचपन के दिनों में अभिनेता ऋषि कपूर अपने भाई रणधीर कपूर के साथ यहां आए थे। 

कपूर हवेली के मालिक मुहम्मद इसरार शहर के अमीर ज्वेलर हैं। वह यहां एक व्यावसायिक इमारत खड़ी करना चाहते हैं। वह तीन-चार बार हवेली को गिराने की कोशिश कर चुके हैं लेकिन नाकाम रहे। खैबर पख्तूनख्वा के हेरिटेज डिपार्टमेंट ने इस मामले में इसरार के खिलाफ एफआइआर दर्ज करा रखी है। 102 साल पहले 'कपूर हवेली' का निर्माण पृथ्वीराज कपूर के पिता बशेश्वरनाथ कपूर ने कराया था। पृथ्वीराज कपूर और उनके बेटे राज कपूर का जन्म इसी हवेली में हुआ था। 1947 में बंटवारे के बाद कपूर परिवार भारत चला गया था। 

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