पाकिस्‍तान ने नया नक्‍शा जारी कर जम्‍मू-कश्‍मीर समेत इन क्षेत्रों को बताया अपना, भारत ने कहा- बेवकूफाना हरकत

नेपाल के बाद पाकिस्‍तान ने भी भारत के साथ विवाद वाले क्षेत्रों को लेकर एक नक्‍शा जारी किया है। इस नए नक्‍शे में भारत के कई क्षेत्रों को अपना बताया है।

By Tilak RajEdited By: Publish:Tue, 04 Aug 2020 07:50 PM (IST) Updated:Tue, 04 Aug 2020 11:33 PM (IST)
पाकिस्‍तान ने नया नक्‍शा जारी कर जम्‍मू-कश्‍मीर समेत इन क्षेत्रों को बताया अपना, भारत ने कहा- बेवकूफाना हरकत
पाकिस्‍तान ने नया नक्‍शा जारी कर जम्‍मू-कश्‍मीर समेत इन क्षेत्रों को बताया अपना, भारत ने कहा- बेवकूफाना हरकत

इस्‍लामाबाद, आइएएनएस। कश्मीर पर बाजी पूरी तरह से हाथ से निकलने की बेचैनी पाकिस्तान सरकार को कितनी है, इसका पता मंगलवार को पीएम इमरान खान की कैबिनेट की तरफ से पाकिस्तान के नये राजनीतिक मानचित्र जारी करने से चलता है। इस मानचित्र में ना सिर्फ समूचे जम्मू व कश्मीर, लेह-लद्दाख को पाकिस्तान का हिस्सा बताया गया है बल्कि गुजरात के जूनागढ़ और सर क्रीक लाइन को भी पाकिस्तान में शामिल करके दिखाया गया है। कहने की जरूरत नहीं कि कश्मीर से धारा 370 हटाने के भारत के फैसले की पहली वर्षगांठ पर यह मानचित्र जारी किया गया है और जानकार बताते हैं कि इसके पीछे पीएम खान का मुख्य उद्देश्य घरेलू राजनीति में कश्मीर के जरिए अपनी उपयोगिता बनाये रखना है। यही वजह है कि पाकिस्तान के कई वरिष्ठ पत्रकारों ने भी इसे एक महज नाटक करार दिया है।

भारत ने भी इस 'नाटक' को उतनी ही तवज्जो दी है, जितनी कि जरूरत है। विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी जानकारी में कहा गया है कि, 'हमने पाकिस्तान के पीएम इमरान खान की तरफ से जारी तथाकथित राजनीतिक मैप देखा है। यह राजनीतिक मूर्खता का एक ऐसा कदम है जिसमें भारत के गुजरात, संघीय प्रदेश जम्मू व कश्मीर और लद्दाख पर दावा पेश किया गया है। इस हास्यास्पद दावे का ना तो कोई कानूनी आधार है और ना ही अंतरराष्ट्रीय विश्वसनीयता। असलियत में यह नई कोशिश पाकिस्तान की दूसरों की जमीन हड़पने की आक्रामक रवैये को बताता है, जिसे वे सीमा पार आतंकवाद के समर्थन से चलाते हैं।'

भारतीय विदेश मंत्रालय के इस बयान में बहुत हद तक सच्चाई भी नजर आती है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण तो यह है कि पाकिस्तान ने एक तरह से वर्ष 1947 के बंटवारे के समय किये गये तमाम वैधानिक कोशिशों को ठुकरा दिया है। मसलन, जूनागढ़ में किये गये जनमतसंग्रह को भी खारिज कर दिया है और सर क्रीक लाइन को भी अपना हिस्सा बताया है। जूनागढ़ में वर्ष 1948 में जनमत संग्रह भी हो चुका है और वहां के 99.95 फीसद लोगों ने भारत के साथ रहने का फैसला किया था।

बहरहाल, पाकिस्तान के पीएम खान ने नया मानचित्र जारी करते हुए कहा, 'यह पाकिस्तानी अवाम की महत्वाकांक्षा है। इसे पाकिस्तान सरकार, कैबिनेट, विपक्षी नेता व कश्मीरी अवाम का समर्थन हासिल है। इसके साथ हमने 5 अगस्त, 2019 को भारत के गैर कानूनी फैसले को भी खारिज कर दिया है और अब यही पाकिस्तान का आधिकारिक मैप होगा।'

पाकिस्तान सरकार पहले ही यह ऐलान कर चुकी है कि 5 अप्रैल को काला दिवस के तौर पर मनाएगा। हाल ही में पाकिस्तान सरकार ने कश्मीर हाईवे का नाम बदल कर श्रीनगर हाइवे कर दिया है और विदेश मंत्री शाह मेहमूद कुरैशी ने यह दावा किया है कि कश्मीर में पाकिस्तानी झंडा फहराया जाएगा। इस दावे के बावजूद जमीनी तौर पर इस मानचित्र से कुछ नहीं बदलता है। अब देखना होगा पाकिस्तान क्या अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों, विदेशी सरकार, डिजिटल मैप जारी करने वाली अंतरराष्ट्रीय कंपनियों आदि को इस बात के लिए तैयार कर लेती है कि वे इस नये मानचित्र का इस्तेमाल करें। पाकिस्तान से पहले नेपाल ने अपना नया मानचित्र जारी किया गया था कि जिसमें भारत के लीपुलेख, कालापानी व लिंपियाधुरा को अपने हिस्से में दिखाया था।

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