संसद पर हमले के मामले से बरी किए गए इमरान खान, नवाज शरीफ के शासन में हुई थी घटना

प्रधानमंत्री इमरान खान ने जस्टिस राजा जावेद अब्बास हसन की अदालत से इसी सप्ताह दरख्वास्त की थी कि वह घटना में शामिल नहीं थे इसलिए उन्हें मामले से बरी किया जाए। अभियोजन पक्ष ने भी इमरान की अर्जी पर कोई आपत्ति नहीं की।

By Dhyanendra SinghEdited By: Publish:Thu, 29 Oct 2020 08:05 PM (IST) Updated:Thu, 29 Oct 2020 08:05 PM (IST)
संसद पर हमले के मामले से बरी किए गए इमरान खान, नवाज शरीफ के शासन में हुई थी घटना
उस समय पुलिस के साथ हुए टकराव में तीन लोग मारे गए थे और 26 घायल हुए थे।

इस्लामाबाद, प्रेट्र। पाकिस्तानी संसद पर 2014 में हुए हमले के मामले में आतंकवाद निरोधी अदालत ने प्रधानमंत्री इमरान खान को बरी कर दिया है। जबकि विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी समेत कई मंत्रियों पर मुकदमा चलाने के लिए 12 नवंबर को अदालत में हाजिर होने का उन्हें समन भेजा गया है। अदालत ने राष्ट्रपति आरिफ अल्वी के खिलाफ चल रही कानूनी प्रक्रिया रोक दी है। राष्ट्रपति होने के चलते अल्वी पर कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती।

31 अगस्त, 2014 को इमरान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी (PTI) और पाकिस्तान अवामी तहरीक (पीएटी) के कार्यकर्ताओं ने संसद और प्रधानमंत्री आवास में घुसने की कोशिश की तो पुलिस से उनका टकराव हो गया था। ये दोनों पार्टियां उस समय विपक्ष में थीं। तब पुलिस ने इमरान, उनकी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं पर आतंकवाद निरोधी कानून के तहत मामला दर्ज किया था। घटना उस समय हुई थी जब पीटीआइ और पीएटी के कार्यकर्ता संसद के समक्ष धरना दे रहे थे और भाषणों के बीच अचानक उत्तेजित होकर वे संसद की ओर चल दिए थे। बताया गया है कि उस समय पुलिस के साथ हुए टकराव में तीन लोग मारे गए थे और 26 घायल हुए थे।

अभियोजन पक्ष ने इमरान की अर्जी में नहीं की कोई आपत्ति

प्रधानमंत्री इमरान खान ने जस्टिस राजा जावेद अब्बास हसन की अदालत से इसी सप्ताह दरख्वास्त की थी कि वह घटना में शामिल नहीं थे, इसलिए उन्हें मामले से बरी किया जाए। अभियोजन पक्ष ने भी इमरान की अर्जी पर कोई आपत्ति नहीं की। इसी के बाद अदालत ने इमरान को मामले से बरी कर दिया। सरकारी वकील अब्दुल्ला बाबर अवान ने यह जानकारी दी। अब्दुल्ला प्रधानमंत्री के संसदीय मामलों के सलाहकार बाबर अवान के बेटे हैं। पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) पार्टी की सरकार के समय के इस मामले के ज्यादा आगे जाने की संभावना नहीं है। क्योंकि अभियोजन पक्ष ही इसे राजनीतिक कारणों से कड़ी धाराओं में दर्ज किया गया मामला बता रहा है। इसमें स्वतंत्र गवाह भी नहीं हैं।

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