पाक पहुंचे गुतेरस ने कहा- भारत में बने नए कानूनों से लोगों की छिनेगी नागरिकता

पाकिस्तान बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर उत्पीडि़त हो रहे हिंदुओं सिखों और अन्य अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Wed, 19 Feb 2020 11:46 PM (IST) Updated:Wed, 19 Feb 2020 11:46 PM (IST)
पाक पहुंचे गुतेरस ने कहा- भारत में बने नए कानूनों से लोगों की छिनेगी नागरिकता
पाक पहुंचे गुतेरस ने कहा- भारत में बने नए कानूनों से लोगों की छिनेगी नागरिकता

इस्लामाबाद, प्रेट्र। भारत के अंदरूनी मामले में दखल देते हुए संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतेरस ने कहा है कि किसी को भी नागरिकता विहीन करने से बचाव के लिए हर संभव उपाय किए जाएं। पाकिस्तान दौरे पर आए गुतेरस ने यह बात भारत के नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) की बाबत कही है।

गुतेरस ने कहा- भारत के सीएए को लेकर चिंतित हूं

एक अखबार से साक्षात्कार में गुतेरस ने कहा, भारत में नागरिकता को लेकर कानून बदला है। इसे लेकर वह चिंतित हैं। उन्होंने कहा, इस इलाके में संयुक्त राष्ट्र सक्रिय भूमिका निभा रहा है। उसकी इकाई यहां पर कार्यरत है। शरणार्थियों के लिए नियुक्त संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त भी इलाके में काफी सक्रिय हैं।

भारत में बने नए कानूनों से लोगों की नागरिकता छिनेगी

आशंका है कि भारत में बने नए कानूनों से लोगों की नागरिकता छिनेगी और शरणार्थियों की संख्या बढ़ेगी। गुतेरस ने कहा, यह स्थिति रोकी जानी चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति का अधिकार है कि उसका कोई देश हो। उस देश के नाम पर उसकी पहचान हो। इसलिए किसी की नागरिकता विहीन करने से पहले उसके बचाव के हर संभव उपाय करने चाहिए।

भारत में दिसंबर में नागरिकता संशोधन कानून प्रभाव में आ चुका है

उल्लेखनीय है कि भारत में बीते दिसंबर में नागरिकता संशोधन कानून प्रभाव में आ चुका है। इसके अनुसार पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर उत्पीडि़त हो रहे हिंदुओं, सिखों और अन्य अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है। इसमें भारत में रहने वाले मुस्लिमों की नागरिकता को लेकर कोई बिंदु नहीं है। जबकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एनआरसी फिलहाल असम में लागू हुआ है। वहां पर 24 मार्च, 1971 से पूर्व से रह रहे लोगों और उनके परिजनों को भारतीय नागरिक माना गया है जबकि उसके बाद के निवासियों को बांग्लादेशी घुसपैठिया माना गया है। असम में दशकों से पड़ोसी देश बांग्लादेश से होने वाली घुसपैठ बड़ी समस्या बनी हुई है।

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