दुनिया के दबाव में जैश-ए-मुहम्मद के अड्डे पर पाकिस्‍तान सरकार का कब्‍जा

पाकिस्तान सरकार के हवाले से कहा गया है कि पंजाब सरकार ने बहावलपुर स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद मुख्यालय को अपने नियंत्रण में ले लिया है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Fri, 22 Feb 2019 08:13 PM (IST) Updated:Sat, 23 Feb 2019 07:34 AM (IST)
दुनिया के दबाव में जैश-ए-मुहम्मद के अड्डे पर पाकिस्‍तान सरकार का कब्‍जा
दुनिया के दबाव में जैश-ए-मुहम्मद के अड्डे पर पाकिस्‍तान सरकार का कब्‍जा

लाहौर, एजेंसी। बढ़ते वैश्विक दबाव के समक्ष घुटने टेकते हुए पाकिस्तान सरकार ने शुक्रवार को आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद के मुख्यालय का प्रशासनिक नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया। 14 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ पर हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी जैश-ए-मुहम्मद ने ही ली थी।

बहावलपुर में है मुख्यालय
पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने बताया कि पंजाब सरकार ने बहावलपुर में जैश-ए-मुहम्मद के मुख्यालय का नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया है। इस परिसर में मदरेस्सतुल साबिर और जामा-ए-मस्जिद सुभानल्लाह स्थित हैं और इसके कामकाज के प्रबंधन के लिए प्रशासक भी नियुक्त कर दिया है। बहावलपुर लाहौर से 400 किमी दूर स्थित है। जैश-ए-मुहम्मद के इस मुख्यालय परिसर में स्थित इस्लामिक मदरसे में 70 शिक्षक हैं और वहां करीब 600 छात्र इस्लाम की तालीम हासिल कर रहे हैं।

इमरान की अध्यक्षता में बैठक में लिया फैसला
पाकिस्तान के आतंरिक मंत्रालय की ओर से जारी बयान में भी कहा गया है कि जैश के खिलाफ कार्रवाई प्रधानमंत्री इमरान खान की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक में लिए गए फैसले के मुताबिक ही की गई है।

गुरुवार को ही पाकिस्तान ने 2008 के मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के नेतृत्व वाले जमात-उद-दावा और उसकी वित्तीय शाखा फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन पर प्रतिबंध लगा दिया था। इससे पहले आतंरिक मंत्रालय ने दोनों संगठनों को निगरानी सूची में रखा हुआ था। जमात-उद-दावा को लश्कर-ए-तैयबा का मुख्य संगठन माना जाता है। जून, 2014 में अमेरिका ने इसे विदेशी आतंकी संगठन घोषिषत कर दिया था।

बौखलाए पाक ने सुरक्षा परिषद को लिखा पत्र
इस्लामाबाद। अंतरराष्ट्रीय दबाव से बौखलाए पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को पत्र लिखकर कहा है कि भारत क्षेत्रीय सुरक्षा को खतरा पैदा कर रहा है। परिषद के अध्यक्ष एंटोलियो नोडांग मबा को लिखे पत्र में पाक विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने लिखा है, 'भारत की आक्रामकता और पाकिस्तान के खिलाफ सेना के इस्तेमाल के अंदेशे से हमारे क्षेत्र की खराब हो रही सुरक्षा स्थिति की ओर मैं आपका ध्यान तत्काल आकर्षित करना चाहता हूं। इस स्थिति से अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को खतरा पैदा हो गया है।' उन्होंने भारत पर बिना किसी सुबूत के पाकिस्तान पर पुलवामा हमले के लिए जिम्मेदार ठहराने का आरोप भी लगाया।  

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की निंदा का हुआ असर
पाकिस्तान ने यह कदम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा जैश-ए-मुहम्मद का नाम लेकर पुलवामा हमले की निंदा किए जाने के एक दिन बाद उठाया है। गुरुवार को ही पाकिस्तान के घनिष्ठ मित्र चीन समेत 15 देशों वाली सुरक्षा परिषद ने एक बयान जारी कर बेहद कड़े शब्दों में पुलवामा हमले को 'जघन्य और कायराना' आतंकी हमला करार दिया था। साथ ही परिषद ने ऐसे 'निंदनीय कार्यो' के साजिशकर्ताओं और वित्त पोषण करने वालों की जिम्मेदारी तय करने और दंडित किए जाने की जरूरत पर बल दिया था।

जैश-ए-मुहम्मद पाकिस्तान का एक (जिहादी) आतंकी संगठन है, जिसका प्रमुख उद्देश्य भारत से कश्मीर को अलग करना है। इसके अलावा यह संगठन पश्चिमी देशों में भी आतंक फैलाने का काम करता है। इस संगठन की स्थापना पाकिस्तान के पंजाब के मौलाना मसूद अजहर ने साल 2000 के मार्च महीने में की थी।

आपको बता दें कि साल 1999 में कंधार विमान अपहरण में भी इसी संगठन के नेता मौलाना मसूद अज़हर को छुड़ाने के लिए किया गया था। जिसके बाद अजहर ने इस आतंकी संगठन की नींव रखी। इस आतंकी संगठन में हरकत-उल-अंसार और हरकत-उल-मुजाहिदीन के कई आतंकी शामिल हैं। इस संगठन का मुखिया मौलाना मसूद अज़हर खुद भी हरकत-उल-अंसार का महासचिव रह चुका था।

भारत में कई हमलों की ली जिम्मेदारी
इस संगठन को भारत में हुए कई आतंकी हमलों का जिम्मेदार माना जाता है। साल 2002 जनवरी में पाकिस्तान ने भी इसे आतंकी संगठन बताकर बैन कर दिया था जिसके बाद इस संगठन ने अपना नाम बदलकर 'ख़ुद्दाम उल-इस्लाम' कर लिया था। यह संगठन भारत, अमेरिका और ब्रिटेन द्वारा जारी आतंकवादी संगठनों की सूची में शामिल है। इस अपहरण कांड में भारत ने अजहर के साथ दो और आतंकी संगठन के मुखिया को छोड़ा था।

आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद की गतिविधियां   आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद के आतंकियों के लिए आत्मघाती हमले करना सबसे पसंदीदा तरीका है। संगठन के मुखिया मौलाना मसूद अज़हर कट्टरपंथी विचारों वाले संदेश सोशल मीडिया और सीडी, डीवीड के द्वारा कश्मीर की घाटी में भेजकर युवाओं को अपनी ओर आकर्षित करता है। जानिए आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद के बारे खास बातें जैश-ए-मोहम्मद का मतलब होता है ‘मुहम्मद की सेना’। इस्लाम के पैगंबर मुहम्मद को धरती पर अल्लाह का आखिरी पैगंबर माना जाता है। लेकिन यह एक आतंकी संगठन है जिसे भारत समेत कुछ पश्चिमी देशों में आतंक फैलाने के लिए किया जा रहा है। यह खतरनाक आतंकी संगठन कश्मीर को भारत से अलग करने के लिए बनाया गया है। घाटी में इस संगठन ने कई बार हमले किए यह संगठन पीओके से ऑपरेट होता है। जैश-ए-मुहम्मद कश्मीर के सबसे खतरनाक आतंकी संगठनों में से है। पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान ने साल 2002 से इस आतंकी संगठन को प्रतिबंधित कर दिया है। इसके अलावा इस संगठन को ऑस्ट्रेलिया, यूएई, कनाडा, ब्रिटेन, अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र भी इसे आतंकी संगठन मानते हैं। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के मौलाना मसूद अजहर ने जैश-ए-मुहम्मद आतंकी संगठन का तैयार किया आपको बता दें कि अजहर वही आतंकी है जिसे अटल सरकार में कंधार विमान अपहरण के बाद भारत से छुड़ाया गया था। सूत्रों की मानें तो इस आतंकी संगठन के निर्माण में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI अफगानिस्तान का तालिबान, ओसामा बिन लादेन और पाकिस्तान के कई सुन्नी संगठनों ने मदद की। दिसंबर 2001 में भारतीय संसद पर हुए हमले में भी इसी आतंकी संगठन (जैश-ए-मुहम्मद) का हाथ था। इस मामले में प्रोफेसर अफजल गुरु समेत चार आतंकियों को गिरफ्तार किया गया और अफजल को फांसी की सजा दी गई। इस संगठन (जैश-ए-मुहम्मद) की हाफिज सईद के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से भी अच्छी दोस्ती रही है 2001 में भारतीय संसद हमले को दोनों संगठनों ने मिलकर अंजाम दिया था। इसी संगठन ने साल 2002 फरवरी में पाकिस्तान की राजधानी कराची में अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल का अपहरण करके हत्या कर दी थी। साल 2009 में पुलिस ने इस आतंकी संगठन (जैश-ए-मुहम्मद) के 4 आतंकियों को गिरफ्तार कर लिया था। ये आतंकी न्यूयॉर्क में बम धमाके और अमेरिकी वायुसेना पर हमले की साजिश रच रहे थे।

कश्मीर की घाटी में हिंसा फैलाना मुख्य उद्देश्य
इस आतंकी संगठन की स्थापना का मुख्य उद्देश्य जम्मू और कश्मीर की घाटी में हिंसा फैलाना है। इस आतंकी संगठन की स्थापना के दो महीने के भीतर श्रीनगर के बदामी बाग स्थित भारतीय सेना के स्थानीय मुख्यालय पर आत्मघाती हमला किया और घटना की जिम्मेदारी अपने सिर पर ली। यह हमला 23 अप्रैल साल 2000 को किया गया जिसमें एक स्थानीय युवा को फिदायीन हमलावर बनाकर विस्फोटक से भरी कार को पुलिस मुख्यालय में हमला करवा दिया गया। इसी तरह साल 2001 के सितंबर में एक और आत्मघाती हमलावर ने विस्फोटक से भरी कार लेकर श्रीनगर की विधानसभा भवन में घुसा दी थी। इस घटना में 38 लोग मारे गए थे। इसी तरह इस संगठन ने साल 2000 के जून में कश्मीर सचिवालय में हुए हमले की जिम्मेदारी भी ली।

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