पाकिस्तान में अगले चार वर्ष में काम करेंगे 50 लाख चीनी नागरिक, जानें किस क्षेत्र में होगा समझौता

वर्ष 2025 तक पाकिस्तान में करीब 50 लाख चीनी नागरिक काम करेंगे। स्वास्थ्य सेवा अकादमी (एचएसए) के कुलपति प्रोफेसर डा. शहजाद अली खान ने कहा लाखों चीनी नागरिकों की स्वास्थ्य जरूरतें पूरी करने के लिए हमें विशेष स्वास्थ्य सुविधाओं की जरूरत है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Wed, 22 Sep 2021 07:44 PM (IST) Updated:Wed, 22 Sep 2021 07:44 PM (IST)
पाकिस्तान में अगले चार वर्ष में काम करेंगे 50 लाख चीनी नागरिक, जानें किस क्षेत्र में होगा समझौता
वर्ष 2025 तक पाकिस्तान में करीब 50 लाख चीनी नागरिक काम करेंगे।

नई दिल्ली, आइएएनएस। वर्ष 2025 तक पाकिस्तान में करीब 50 लाख चीनी नागरिक काम करेंगे। पाकिस्तानी सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ ने कहा है कि इन चीनी नागरिकों की स्वास्थ्य संबंधी आवश्यकताएं पूरी करने के लिए पाकिस्तानी एवं चीनी मेडिकल विश्वविद्यालय, अनुसंधान संस्थान और बायोटेक्नोलाजिकल फर्म के बीच चीन पाकिस्तान स्वास्थ्य कारिडोर (सीपीएचसी) के तहत एक गठबंधन को बढ़ाया जा रहा है।

विशेष स्वास्थ्य सुविधाओं की जरूरतों को पूरा करेंगे चीनी नागरिक

स्वास्थ्य सेवा अकादमी (एचएसए) के कुलपति प्रोफेसर डा. शहजाद अली खान ने दी न्यूज अखबार से कहा, 'पाकिस्तान, अफगानिस्तान और मध्य एशियाई देशों में काम करने वाले लाखों चीनी नागरिकों की स्वास्थ्य जरूरतें पूरी करने के लिए हमें विशेष स्वास्थ्य सुविधाओं की जरूरत है। ये सुविधाएं आधुनिक और परंपरागत चिकित्सा प्रणाली पर आधारित होनी चाहिए। यह केवल चीन पाकिस्तान स्वास्थ्य कारिडोर के तहत पाकिस्तानी एवं चीनी स्वास्थ्य संस्थानों के बीच गठबंधन बढ़ाने से हासिल किया जा सकता है।'

उन्होंने कहा कि विभिन्न चीनी अकादमिक, अनुसंधान संस्थान और बायोटेक्नोलाजिकल फर्मो के बीच सहयोग समझौतों पर हस्ताक्षर अंतिम चरण में है। उन्होंने आगे बताया कि इस्लामाबाद में 23-24 सितंबर को 11वें सालाना सार्वजनिक स्वास्थ्य कांफ्रेंस के दौरान कई मेमोरेंडम आफ अंडरस्टैंडिंग पर पाकिस्तानी और चीनी संस्थान हस्ताक्षर करेंगे।

60 अरब डालर की लागत वाली है सीपीईसी परियोजना

पाकिस्‍तान की कई परियोजनाओं में चीन के काफी संख्‍या में कर्मचारी कार्यरत हैं। पाकिस्तान के बलूचिस्तान में ग्वादर बंदरगाह को चीन के झिनजियांग प्रांत से जोड़ने के लिए सीपीईसी (CPEC) चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एवं रोड इनिशिएटिव का हिस्‍सा है। इसे पूरा करने के लिए ग्वादर और आसपास के क्षेत्रों में बड़ी संख्या में चीनी विशेषज्ञ और कर्मचारी कार्यरत हैं। गुलाम कश्मीर से होकर गुजरने के कारण भारत सीपीईसी (CPEC) परियोजना को लेकर विरोध भी दर्ज कराता रहा है।

60 अरब डालर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे परियोजना की सुरक्षा के लिए चीन पूरी तरह पाकिस्तान पर निर्भर है। ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, विश्लेषकों की ओर से चेतावनी दी गई है कि अफगानिस्तान में अशांति सीपीईसी (CPEC) परियोजनाओं सहित चीन के शिनजियांग और विदेशों में उसके हितों को लक्षित करने वाले आतंकियों के लिए एक केंद्र बन सकता है और यहां संभावित खतरों से निपटने के लिए चीन और पाकिस्तान के बीच बेहतर संचार और समन्वय की आवश्यकता है।

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