चीन का ईरान के साथ बड़ा समझौता चाबहार बंदरगाह को लेकर भारत के लिए है खतरनाक, जानें बलोच संगठन ने क्यों जताई आशंका
एफबीएम के प्रमुख ने कहा है कि होरमुज जलडमरू से लेकर इराक की सीमा तक के प्राकृतिक संपदा से संपन्न इलाके पर चीन की खास नजर है। इस इलाके में करीब एक करोड़ लोग बसे हैं। चीन इन्हें हटाकर उस जगह पर कब्जा करना चाहता है।
नई दिल्ली, आइएएनएस। एक बलोच अलगाववादी समूह ने चीन और ईरान के बीच हुए 25 साल के बड़े समझौते पर भारत को आगाह किया है। कहा है कि चीन और ईरान के इस समझौते से चाबहार बंदरगाह को लेकर भारत-ईरान का समझौता खतरे में पड़ सकता है। भारत का निवेश बेकार जा सकता है। फ्री बलूचिस्तान मूवमेंट (एफबीएम) के प्रमुख हिर्बीयार मारी ने चीन-ईरान के बीच हुए 25 साल के समझौते की निंदा की है।
समझौते से महत्वपूर्ण ईरान के बंदरगाह भी चीन के कब्जे में चले जाएंगे
कहा है कि इस समझौते से चीन ईरानी व्यापार के सभी क्षेत्रों पर कब्जा कर लेगा। इस समझौते से रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण ईरान के बंदरगाह भी चीन के कब्जे में चले जाएंगे। इनमें होरमुज जलडमरू मध्य का वह महत्वपूर्ण समुद्री इलाका भी होगा, जहां से दुनिया भर के तेल टैंकर खाड़ी में प्रवेश करते हैं और बाहर आते हैं। चीन ने ईरान में 400 अरब डॉलर (करीब 30 लाख करोड़ रुपये) के निवेश का समझौता किया है। यह निवेश 25 साल में होगा।
बदले में चीन को ईरान से बहुत सस्ती दर पर तेल और ईरान से सभी क्षेत्रों में व्यापार का मौका मिलेगा। इस समझौते के तहत चीन को बलूचिस्तान के बंदरगाहों में काम करने का मौका मिलेगा। इसके अतिरिक्त चीन को कई द्वीप पट्टे पर मिलेंगे और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण भूखंडों का भी कब्जा मिलेगा।
चाबहार बंदरगाह पर कब्जा करना चाहेगा चीन
एफबीएम के प्रमुख ने कहा है कि होरमुज जलडमरू से लेकर इराक की सीमा तक के प्राकृतिक संपदा से संपन्न इलाके पर चीन की खास नजर है। इस इलाके में करीब एक करोड़ लोग बसे हैं। चीन इन्हें हटाकर उस जगह पर कब्जा करना चाहता है और वहां जमीन के नीचे मौजूद खनिज संपदा पर कब्जा करना चाहता है। यह तेल और प्राकृतिक गैस के लिहाज से दुनिया का दूसरे नंबर का संपन्न इलाका है। चीन ने बलूचिस्तान को लेकर ऐसा ही समझौता पाकिस्तान के साथ किया है और उसके ग्वादर बंदरगाह पर कब्जा कर लिया है।
जल्द ही वह वहां की प्राकृतिक संपदा पर कब्जा करने के साथ ही इलाके में बड़ा नौसैनिक अड्डा बना सकता है। ऐसे में चीन बिल्कुल भी नहीं चाहेगा कि चाबहार बंदरगाह पर भारत की मौजूदगी रहे। भारत के लिए वह ईरान, अफगानिस्तान और मध्य एशिया में प्रवेश का मार्ग है। भारत को वहां से विस्थापित कर चीन चाबहार पर कब्जा करने के साथ ही भारत के क्षेत्रीय हितों को भी कमजोर करेगा।