बिलावल भुट्टो ने की इमरान के पीओके जनमत संग्रह प्रस्ताव की आलोचना, कहा- वे कश्मीर के बारे में हमेशा गलत बोलते हैं

इमरान खान ने पीओके में चुनाव जीतने के लिए फेंका रेफरेंडम का पासा। कश्मीर में संयुक्त राष्ट्र के बाद दूसरा रेफरेंडम करवाने का किया ऐलान। रविवार को पीओके में होना है विधानसभा चुनाव कोरोना के भी मामले बढ़े।

By Shashank PandeyEdited By: Publish:Sun, 25 Jul 2021 09:52 AM (IST) Updated:Sun, 25 Jul 2021 09:52 AM (IST)
बिलावल भुट्टो ने की इमरान के पीओके जनमत संग्रह प्रस्ताव की आलोचना, कहा- वे कश्मीर के बारे में हमेशा गलत बोलते हैं
कश्मीर में रेफरेंडम का ख्वाब देख रहे इमरान खान।(फोटो: दैनिक जागरण)

इस्लामाबाद, एएनआइ। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में जनमत संग्रह कराने के प्रधानमंत्री इमरान खान के प्रस्ताव को शनिवार को खारिज कर दिया। ताकि इस जनमत संग्रह से यह तय किया जा सके कि निवासी पाकिस्तान के साथ रहना चाहते हैं या एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में। जियो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, पीपीपी अध्यक्ष ने कराची में मीडिया से बात करते हुए कहा कि पीएम इमरान खान हमेशा कश्मीर के बारे में गलत बात कहते हैं। बिलावल ने कहा कि वह(इमरान खान) कश्मीर के लोगों को मूर्ख और देशद्रोही मानते हैं। शुरू से ही पीपीपी ने हमेशा कहा है कि कश्मीरी लोगों को अपनी किस्मत खुद तय करनी चाहिए।

बिलावल भुट्टो की ये टिप्पणी नेशनल असेंबली में विपक्ष के नेता शाहबाज शरीफ द्वारा कश्मीरियों को स्वतंत्रता का विकल्प चुनने का अधिकार देने वाले प्रधानमंत्री के बयान को खारिज करने के कुछ घंटों बाद आई है। शाहबाज ने कहा था कि पूरा देश जम्मू-कश्मीर विवाद और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों पर पाकिस्तान की ऐतिहासिक स्थिति के अलावा किसी और चीज को खारिज करता है। शाहबाज ने कहा कि जम्मू-कश्मीर विवाद का फैसला संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में हुए पारदर्शी और स्वतंत्र जनमत संग्रह के अनुसार होगा और यह पाकिस्तान और कश्मीर के लोगों की स्थिति है।

पीओके के सुधानहोटी जिले के तरार खल में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए पीएम इमरान खान ने कहा कि मुझे नहीं पता कि पीओके को प्रांत बनाने की बातें कहां से आई हैं। हालांकि, मैं अब जो स्पष्ट करना चाहता हूं, वह यह है कि 1948 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के दो प्रस्ताव थे, जो कश्मीर के लोगों को अपना भविष्य तय करने का अधिकार देते थे। संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के अनुसार, लोगों को यह तय करना था कि क्या वे भारत में शामिल होना चाहते हैं या पाकिस्तान में?

chat bot
आपका साथी