कर्ज में डूबे इमरान के लिए एक और बड़ी आफत, सामने आया अब तक का सबसे बड़ा बिजली घोटाला

Power Scam in Pakistan रिपोर्ट में सरकार को होने वाले नुकसान के लिए मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) के उल्लंघन को जिम्मेदार ठहराया गया है

By Dhyanendra SinghEdited By: Publish:Tue, 19 May 2020 10:47 PM (IST) Updated:Wed, 20 May 2020 07:38 AM (IST)
कर्ज में डूबे इमरान के लिए एक और बड़ी आफत, सामने आया अब तक का सबसे बड़ा बिजली घोटाला
कर्ज में डूबे इमरान के लिए एक और बड़ी आफत, सामने आया अब तक का सबसे बड़ा बिजली घोटाला

नई दिल्ली/इस्लामाबाद, आइएएनएस। पाकिस्तान में बिजली की बढ़ती लागत के कारणों का पता लगाने के प्रयास में इमरान खान सरकार ने चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कोरिडोर (CPEC) के तहत 630 मिलियन डॉलर (करीब 4770 करोड़ रुपये) से अधिक की बिजली परियोजनाओं के घोटाले का रहस्योद्घाटन किया है। इसके चलते पाकिस्तान का कर्ज 11 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है।

पाकिस्तानी मीडिया ने बताया कि बिजली क्षेत्र में नुकसान की जांच के लिए प्रधानमंत्री खान द्वारा गठित एक जांच समिति ने चीनी निजी बिजली उत्पादकों द्वारा 100 अरब पाकिस्तानी रुपये के भ्रष्टाचार का पता लगाया है।

चीनी व्यापारियों से संबंधित था यह घोटाला

इस खबर को ब्रेक करने वाले प्रॉफिट पाकिस्तान टुडे (PPT) ने सीपीईसी का कहीं भी उल्लेख नहीं किया है। पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी ने अमेरिका स्थित एक पोर्टल के एक लेख में रहस्योद्घाटन किया कि यह घोटाला सीपीईसी बिजली परियोजनाओं के लिए अनुबंधित चीनी व्यापारियों से संबंधित था। पीपीटी के अनुसार नौ सदस्यीय समिति ने 278 पन्नों की लंबी रिपोर्ट खान को पेश की।

रिपोर्ट में सरकार को होने वाले नुकसान के लिए मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) के उल्लंघन को जिम्मेदार ठहराया गया है, जिनमें स्वतंत्र विद्युत उत्पादकों (आइपीपी), सरकारी समझौतों की स्थापना की लागत, ईंधन की खपत में कथित गबन, बिजली शुल्क, डॉलर में लाभ की गारंटी और बिजली खरीद की कुछ शर्ते शामिल हैं।

60 से अधिक बिजली संयंत्रों से संबंधित दस्तावेजों की हुई जांच

समिति में आठ संगठनों के सदस्य थे, जिसमें आश्चर्यजनक रूप से प्रमुख जासूसी एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आइएसआइ) भी शामिल थी। आठ महीने की अवधि में समिति द्वारा 60 से अधिक बिजली संयंत्रों से संबंधित दस्तावेजों की जांच की गई।

रिपोर्ट के अनुसार, नेशनल इलेक्ट्रि पावर रेगुलेटरी अथॉरिटी (एनईपीआरए) द्वारा निर्धारित 15 फीसद की सीमा के विपरीत स्वतंत्र विद्युत उत्पादक 50 से 70 फीसद वार्षिक लाभ कमा रहे हैं। समिति ने दावा किया है कि आइपीपी के मालिकों ने अनुबंध के समय अतिरिक्त टैरिफ प्राप्त करने के लिए अतिरिक्त लागत दिखाई।

कंपनियों द्वारा तैयार की गई पावर प्लांट की लागत को भी अधिकारियों ने स्वीकार कर लिया। आइपीपी ने 1994 के बाद से 350 अरब पाकिस्तानी रुपये प्राप्त किए हैं। समिति के अनुसार, आइपीपी मालिकों ने ईंधन की खपत में अनुचित मुनाफा कमाया, जबकि एनईपीआरए ने कभी भी खपत की दक्षता का अनुमान नहीं लगाया।

chat bot
आपका साथी