हित साधने में जुटा पाक, अफगान के साथ करेगा रुपये में व्यापार; विदेशी मुद्रा भंडार में होगी डालर की बचत

कनाडा के थिंक टैंक इंटरनेशनल फोरम फार राइट्स एंड सिक्युरिटी ने कहा है कि पाकिस्तान ने अफगानिस्तान की सकारात्मक तरीके से मदद नहीं की है बल्कि साजिश रचकर तालिबान का सत्ता पर कब्जा कराया है। ऐसा पाकिस्तान ने क्षेत्र में रणनीतिक बढ़त प्राप्त करने के लिए किया।

By Monika MinalEdited By: Publish:Sat, 11 Sep 2021 03:25 AM (IST) Updated:Sat, 11 Sep 2021 03:25 AM (IST)
हित साधने में जुटा पाक, अफगान के साथ करेगा रुपये में व्यापार; विदेशी मुद्रा भंडार में होगी डालर की बचत
अफगानिस्तान के साथ रुपये में व्यापार करेगा पाकिस्तान

कराची, एएनआइ।  अफगानिस्तान में तालिबान को सत्ता पर काबिज कराने के बाद पाकिस्तान अब उसके जरिये अपने आर्थिक हित साधने में भी जुट गया है। पाकिस्तान अब अफगानिस्तान के साथ अपना व्यापार बढ़ाएगा और उसमें अपनी मुद्रा रुपये का इस्तेमाल करेगा। इससे पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में डालर की बचत होगी और उसकी मुद्रा रुपये को भी मजबूती मिलेगी।

अफगानिस्तान के साथ रुपये में व्यापार करने की जानकारी पाकिस्तान के वित्त मंत्री शौकत तरीन ने सीनेट की वित्त एवं व्यापार मामलों की स्थायी समिति को दी है। पाकिस्तान बिजनेस फोरम के उपाध्यक्ष अहमद जवाद ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है। कहा है कि इससे देश के खजाने के साथ ही निर्यातकों को भी सहूलियत होगी। साथ ही अफगानिस्तान के कारोबारी भी अपनी मुद्रा में पाकिस्तान के साथ व्यापार कर सकेंगे। इससे दोनों देशों को फायदा होगा। जवाद ने सुझाव दिया कि पाकिस्तान सरकार को ऐसे देशों से बात करनी चाहिए जिनके साथ रुपये में व्यापार हो सके। इससे पाकिस्तान और उन सभी देशों को फायदा होगा।

अफगानिस्तान के चलते मुश्किल में फंसेगा पाकिस्तान

अफगानिस्तान में पाकिस्तान ने जिस तरह चुनी हुई सरकार को हटाकर तालिबान को सत्ता पर कब्जा करने में सहयोग दिया, आने वाले समय में वह उस पर भारी पड़ेगा। अफगानिस्तान में जैसे-जैसे तालिबान की सरकार मजबूत होगी, वैसे-वैसे पाकिस्तान के लिए मुश्किल बढ़ती जाएगी। यह बात कनाडा के थिंक टैंक इंटरनेशनल फोरम फार राइट्स एंड सिक्युरिटी ने कही है। कहा है कि पाकिस्तान ने अफगानिस्तान की सकारात्मक तरीके से मदद नहीं की है बल्कि साजिश रचकर तालिबान का सत्ता पर कब्जा कराया है। ऐसा पाकिस्तान ने क्षेत्र में रणनीतिक बढ़त प्राप्त करने के लिए किया। लेकिन कुछ समय बाद जब तालिबान काबुल में मजबूत हो जाएंगे और अपनी व्यवस्था सुगठित कर लेंगे, तब पाकिस्तान के लिए मुश्किल पैदा होनी शुरू हो जाएगी। क्योंकि तब तालिबान पाकिस्तान के लिए नहीं अफगानिस्तान और अपने हित के लिए कार्य करेंगे।

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