अफगानिस्तान में तालिबानी सत्ता को कबूल नहीं करेगा यूरोपीय संघ, किसी सूरत में नहीं देगा मान्यता
यूरोपीय संघ ने साफ कर दिया है कि वो तालिबान के सत्ता में आने पर भी उसको मान्यता नहीं देगा। ईयू के अफगानिस्तान में प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख का कहना है कि वो राजनीतिक समाधान की कोशिशें लगातार करते रहेंगे।
काबुल (एएनआई)। अमेरिका की अफगानिस्तान से वापसी के साथ ही यहां पर कब्जे को लेकर तालिबान और अफगान सेना के बीच जबरदस्त जंग जारी है। तालिबान बड़ी तेजी के साथ आगे बढ़ रहा है। अमेरिका और अफगान सेना लगातार उनको पीछे खदेड़ने के लिए पूरी ताकत लगा रही है। तालिबान को पूरी उम्मीद है कि वो एक बार फिर से अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज हो जाएगा।
इस बीच यूरोपीय संघ ने इसको लेकर एक बड़ा बयान दिया है। ईयू ने कहा है कि यदि अफगानिस्तान में तालिबान सत्ता पाने में कामयाब हो जाता है तो वो और दूसरे देश भी उसको किसी भी सूरत में मान्यता नहीं देगा। अफगानिस्तान के लिए यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख थॉमस निकोलसन ने ये बात कही है।
यूरोपीय संघ के राजदूत ने अफगानिस्तान के ताजा हालातों पर भी चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा है कि हम जितना संभव हो यहां के विकास में अपना योगदान देना चाहते हैं। हम राजनीतिक तौर पर भी इसका समाधान निकालने में शामिल होंगे। उन्होंने ये भी कहा कि अफगानिस्तान के मुद्दे पर बातचीत के लिए के लिए तालिबान ने कोई प्रपोजल नहीं दिया था। लेकिन यदि वो वर्ष 1990 की ही तरह इस्लामिक अमीरात का प्लान देते हैं तो इसको मंजूर नहीं किया जाएगा।
आपको बता दें कि जब से अफगानिस्तान से अमेरिका और नाटो सेना ने यहां से वापसी की शुरुआत की है, तब से तालिबान के हमलों में काफी तेजी आ गई है। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने यहां तक कहा है कि पिछले, दो दशकों के दौरान तालिबान और अधिक क्रूर हुआ है। एक वर्चुअल बैठक के दौरान गनी ने कहा है कि हां,उनके अंदर बदलाव आया है, लेकिन ये बदलाव नकारात्मक रूप से आया है। उनकी यहां पर शांति कायम करने और विकास करने की कोई इच्छा नहीं है। उन्होंने ये भी कहा है कि हम शांति चाहते हैं, लेकिन वो लोगों की चुनी गई सरकार का सरेंडर चाहते हैं।
गनी ने इस दौरान अफगान वाचडॉग की उस रिपोर्ट का भी जिक्र किया है जिसमें बताया गया है कि इस वर्ष के शुरूआती छह माह में 1677 आम नागरिकों की मौत हुई है। इसके अलावा 3644 लोग घायल भी हुए हैं। ये आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2020 की तुलना में मौतें 80 फीसद तक बढ़ गई हैं।