WHO ने खतरनाक ओमिक्रान को 'वैरिएंट आफ कंसर्न' की श्रेणी में क्‍यों डाला? जानें- क्‍या है इसके गंभीर मायने

आखिर क्‍या है वैरिएंट आफ कंसर्न। क्‍या है इसके मायने। किस आधार पर किसी वैरिएंट को वैरिएंट आफ कंसर्न की कैटगरी में रखा जाता है ? वैरिएंट आफ कंसर्न कितना खतरनाक है ? विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने अब तक कितने वैरिएंट्स को कंसर्न और इंटरेस्ट घोषित कर चुका है ?

By Ramesh MishraEdited By: Publish:Sun, 28 Nov 2021 12:05 PM (IST) Updated:Sun, 28 Nov 2021 05:53 PM (IST)
WHO ने खतरनाक ओमिक्रान को 'वैरिएंट आफ कंसर्न' की श्रेणी में क्‍यों डाला? जानें- क्‍या है इसके गंभीर मायने
WHO ने खतरनाक ओमिक्रान को 'वैरिएंट आफ कंसर्न' की श्रेणी में क्‍यों डाला।

नई दिल्‍ली, जेएनएन। दक्षिण अफ्रीका में मिले कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रान को लेकर विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने खतरे की घंटी बजा दी है। यह वायरस बहुत तेजी से फैल रहा है और डेल्‍टा वैरिएंट से ज्‍यादा खतरनाक है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने इस वैरिएंट को ‘वैरिएंट आफ कंसर्न’ की कैटेगरी में रखा है। ओमिक्रान वैरिएंट के खतरे को देखते हुए कई देशों ने दक्षिण अफ्रीका से आने वाले यात्रियों पर प्रतिबंध लगा दिया है। आखिर क्‍या है वैरिएंट आफ कंसर्न। क्‍या है इसके मायने। किस आधार पर किसी वैरिएंट को वैरिएंट आफ कंसर्न की कैटगरी में रखा जाता है ? वैरिएंट आफ कंसर्न कितना खतरनाक है? विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन अब तक कितने खतरनाक वैरिएंट्स को कंसर्न और इंटरेस्ट की श्रेणी में डाल चुका है ?

कितना खतरनाक है वैरिएंट आफ कंसर्न

किसी वायरस के संक्रामकता की गति और खतरे को लेकर दो भागों में बांटा गया है। वैरिएंट आफ इंटरेस्ट और दूसरा वैरिएंट आफ कंसर्न। वैरिएंट आफ इंटरेस्ट की तुलना में वैरिएंट आफ कंसर्न ज्यादा संक्रामक और खतरनाक है। साथ ही वैरिएंट आफ कंसर्न ब्रेकथ्रू मामलो को तेजी से बढ़ा सकता है और वैक्सीन के असर को भी कम कर सकता है। अभी तक विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने कोरोना वायरस के चार वैरिएंट्स- अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा को वैरिएंट आफ कंसर्न की कैटगरी में रखा है। कोरोना के यह चारों वैरिएंट अलग-अलग देशों में तबाही मचा चुके है। भारत में भी कोरोना की दूसरी लहर डेल्टा वैरिएंट की वजह से ही आई थी। इसके अलावा वैरिएंट आफ इंटरेस्ट की कैटेगरी में इटा, आयोटा, कप्पा, जीटा, एप्सिलोन और थीटा को रखा था। हालांकि इन वैरिएंट्स का प्रभाव कम होने के बाद इन्हें इस लिस्ट से हटा दिया गया।

वैरिएंट आफ कसंर्न की कैटगरी में खतरनाक वायरस

कोरोना वायरस के प्रसार के दौरान विश्‍व स्‍वाथ्‍य संगठन अब तक पांच खतरनाक वैरिएंट्स को 'वैरिएंट आफ कसंर्न' की श्रेणी में डाल चुका है। दरअसल, वैरिएंट आफ कसंर्न वे वैरिएंट्स हैं, जो तेजी से फैलते हैं। गंभीर लक्ष्‍ण दिखाते हैं। उन पर वैक्‍सीन का प्रभाव बेअसर होता है या वैक्‍सीन के असर को कम कर देते हैं।

1- अल्‍फा वैरिएंट : कोरोना वायरस के इस वैरिएंट का असर ब्रिटेन में था। सितंबर, 2020 में ब्रिटेन में इस वायरस ने भारी तबाही मचाई थी। इसके चलते हजारों की जानें गईं थी। वायरस के प्रसार को रोकने के लिए देश में सख्‍त लाकडाउन लगाया गया था।

2- बीटा वैरिएंट : दक्षिण अफ्रीका में बीटा वैरिएंट ने खतरनाक रूप ग्रहण किया था। मई, 2020 में दक्षिण अफ्रीका और उसके आस-पास के देशों में इस वायरस ने भारी तबाही मचाई थी।

3- गामा वैरिएंट: नवंबर, 2020 में ब्राजील और उसके आस-पास के इलाके इस वायरस की चपेट में थे। इस वैरिएंट ने लाखों लोगों को अपनी चपेट में लिया। ब्राजील उन देशों में शामिल था, जहां कोरोना का सर्वाधित प्रभाव था।

4- डेल्‍टा वैरिएंट: अक्‍टूबर, 2020 में यह वैरिएंट भारत में कहर बनकर आया। देश में लाखों लोग इस वायरस की चपेट में आए। लाखों लोग काल के गाल में समा गए। इसके चलते देश कई महीनों तक कठोर प्रतिबंधों में रहा।

5- ओमिक्रान वैरिएंट: नवंबर, 2021 में यह वायरस सुर्खियों में है। इस वैरिएंट की चपेट में दुनिया के कई मुल्‍क हैं। हाल में विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने इस वैरिएंट को लेकर अलर्ट जारी किया है। यह अब तक का सबसे खतरनाक वैरिएंट है। भारत ने भी इस वैरिएंट पर अपनी चिंता जताई है।

वैरिएंट आफ कंसर्न श्रेणी के क्‍या है मानक

1- वैरिएंट के प्रसार होते ही विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन उसकी गहन निगरानी करता है। वायरस को वैरिएंट आफ इंटरेस्‍ट की श्रेणी में डाला जाता है। इसके बाद इस वायरस पर गहन शोध किया जाता है। अगर अध्‍ययन में यह पाया जाता है कि वैरिएंट तेजी से प्रसार कर रहा है यानी वह ज्‍यादा संक्रामक है तो उसे वैरिएंट आफ कंसर्न की श्रेणी में डाल दिया जाता है।

2- वैरिएंट की कैटेगरी अलग-अलग पैमानों के आधार पर निर्धारित की जाती है। किसी वैरिएंट को वैरिएंट आफ इंटरेस्ट की कैटेगरी में डालने के लिए इन बातों का ख्याल रखा जाता है। इसके तहत वायरस के मूल स्ट्रक्चर में कोई जेनेटिक बदलाव हो रहा है कि नहीं। इसको इस रूप में जान सकते हैं कि उसका ट्रांसमिशन बढ़ जाना, बीमारी का लेवल बढ़ जाना, उस पर वैक्सीन का असर कम होना।

3- विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन समय-समय पर इसकी समीक्षा करता है। संगठन वैरिएंट्स को इंटरेस्ट और कंसर्न की कैटेगरी से जोड़ता-घटाता रहता है। किसी वैरिएंट की कैटेगरी बदलने से पहले टेक्नीकल एडवाइजरी ग्रुप उसका डिटेल्ड एनालिसिस करता है। ग्रुप की सिफारिशों के बाद ही वैरिएंट की कैटेगरी बदलने का फैसला लिया जाता है।

कहां से आया ओमिक्रान वैरिएंट, बेअसर क्‍यों है वैक्‍सीन ?

इस वैरिएंट की उत्‍पत्ति को लेकर अभी कुछ साफ नहीं है। यह माना जा रहा है कि यह किसी ऐसे शख्स से फैला है, जो एड्स से संक्रमित था। टुलियो डि ओलिवीरा के अनुसार मई, 2020 में दक्षिण अफ्रीका में जो बीटा वैरिएंट मिला था, वह भी एड्स से संक्रमित व्यक्ति से ही फैला था। दक्षिण अफ्रीका के प्रिटोरिया और उससे लगे इलाकों में सबसे तेजी से इसका प्रसार हुआ था। इसके बाद वैज्ञानिकों ने जिनोमिक सीक्वेंसिंग कर केसेस बढ़ने की वजह पता की तब इस वैरिएंट का पता चला। यह माना जा रहा है कि इस वैरिएंट पर वैक्‍सीन बेअसर हो रही है। इसकी वजह यह बताई जा रही है कि चूंकि वैक्सीन को चीन में मिले वायरस के हिसाब से बनाया गया है और ये स्ट्रैन उस मूल वायरस से अलग है।

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