G-7 countries and India: ब्रिक्‍स के बाद जी-7 में भारत की मौजूदगी के क्‍या है मायने ? भारतीय विदेश नीति का दुनिया ने माना लोहा - एक्‍सपर्ट व्‍यू

विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना कि ब्रिक्‍स के ठीक बाद जी-7 का सम्‍मेलन बेहद अहम है। इसमें भारत की मौजुदगी चीन अखर रही होगी। जी-7 दुनिया के वो देश हैं जो दुनिया की आर्थिक व्‍यवस्‍था का माडल तैयार करते हैं।

By Ramesh MishraEdited By: Publish:Mon, 27 Jun 2022 07:20 PM (IST) Updated:Mon, 27 Jun 2022 07:39 PM (IST)
G-7 countries and India: ब्रिक्‍स के बाद जी-7 में भारत की मौजूदगी के क्‍या है मायने ? भारतीय विदेश नीति का दुनिया ने माना लोहा - एक्‍सपर्ट व्‍यू
ब्रिक्‍स के बाद जी-7 में भारत की मौजुदगी के क्‍या है मायने। फाइल फोटो।

नई दिल्‍ली, जेएनएन। G-7 countries and India: रूस और चीन वाले ब्रिक्‍स सम्‍मेलन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका और पश्चिमी देशों वाले G-7 के शिखर सम्मेलन के लिए रविवार से दो दिवसीय यात्रा पर जर्मनी में हैं। स्कोल्ज ने दक्षिणी जर्मनी में शिखर सम्मेलन के सुरम्य स्थल श्लास एल्मौ में आगमन पर उनका स्वागत किया गया है इससे यह साबित होता है कि भारत ब्रिक्‍स के लिए जितना उपयोगी है उतना ही वह जी-7 के लिए भी खास है। ब्रिक्‍स के साथ क्‍वाड और जी-7 में भारत की मौजूदगी क्‍या दर्शाती है। इन सब मसलों पर विशेषज्ञों की क्‍या राय है।

1- विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना कि ब्रिक्‍स के ठीक बाद जी-7 का सम्‍मेलन बेहद अहम है। इसमें भारत की मौजूदगी चीन को जरूर अखर रही होगी। जी-7 दुनिया के वो देश हैं जो दुनिया की आर्थिक व्‍यवस्‍था का माडल तैयार करते हैं। उन्‍होंने कहा कि जी-7 जैसे संगठन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी यह दर्शाती है कि भारत की एक स्‍वतंत्र नीति है। यह भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्‍यवस्‍था और दुनिया में उसके बढ़ते दबदबे को दर्शाता है। कोरोना महामारी के दौरान भारत ने दुनिया को यह दिखा दिया कि भारत अब एक सक्षम और स्‍वावलंबी राष्‍ट्र है। कोरोना महामारी के काल में जब पूरी दुनिया में कोहराम मचा था उस वक्‍त पूरे विश्‍व की नजर भारत पर टिकी थी। भारत ने हर स्‍तर पर अपने पड़ोसी और मित्र राष्‍ट्रों की मदद की थी।

2- उन्‍होंने कहा कि ब्रिक्‍स के बाद भारत की जी-7 में मौजूदगी भारत की स्‍वतंत्र विदेश नीति की ओर संकेत देती है। भारत ने यह दिखा दिया कि वह चीन और रूस के साथ ब्रिक्‍स में खड़ा है तो वह अमेरिका व पश्चिमी देशों के साथ जी-7 में भी उपस्थिति है। यही कारण है कि भारतीय विदेश नीति का लोहा पूरी दुनिया मान रही है। पूरी दुनिया में भारत का मान बढ़ रहा है। जी-7 में प्रधानमंत्री मोदी ने पूरी दुनिया को यह संदेश दिया कि भारत का लक्ष्‍य सतत विकास है। उसका संकल्‍प इस दिशा में आगे बढ़ना है। वह किसी गुटबाजी का हिस्‍सा नहीं हो सकता है। भारत क्‍वाड का सदस्‍य देश है तो वह ब्रिक्‍स का भी हिस्‍सा है।

3- उन्‍होंने कहा कि G-7 शिखर सम्मेलन में भारत की हिस्सेदारी एक प्रमुख आर्थिक और लोकतांत्रिक शक्ति के रूप में भारत की रणनीतिक स्थिति को प्रतिबिंबित करती है। वर्ष 2020 में अमेरिका द्वारा भी भारत को शिखर सम्मेलन के लिए भी आमंत्रित किया गया था, हालांकि यह सम्मेलन महामारी के कारण नहीं हो सका था। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के शासनकाल के दौरान भी भारत ने पांच बार G-7 के सम्मेलनों में भाग लिया था। भारत के लिए यह व्यापार, कश्मीर मुद्दे और रूस तथा ईरान के साथ भारत के संबंधों पर G-7 सदस्यों से विचार-विमर्श करने के लिये एक बेहतर मंच उपलब्ध कराता है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, ब्रिक्स और G-20 आदि अंतरराष्‍ट्रीय संगठनों में हिस्सेदारी के साथ भारत विभिन्न अंतरराष्‍ट्रीय मंचों के माध्यम से एक बेहतर वैश्विक व्यवस्था के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

4- उन्‍होंने कहा कि उम्‍मीद के मुताबिक इस सम्‍मेलन में रूस यूक्रेन जंग का मसला ही छाया रहा। सम्मेलन में सभी नेताओं ने संयुक्‍त रूप से बेलारूस को रूसी परमाणु मिसाइल ट्रांसफर करने को गंभीर चिंता करार दिया। इटली के प्रधानमंत्री मारियो ड्रैगी ने कहा कि G-7 देश यूक्रेन के साथ एकजुट हैं, क्योंकि रूस के खिलाफ युद्ध में हार सभी लोकतंत्रों के लिए हार होगी। ड्रैगी ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की के साथ एक सत्र के दौरान नेताओं से कहा कि हम यूक्रेन के साथ एकजुट हैं, क्योंकि अगर यूक्रेन हारता है, तो सभी लोकतंत्र हार जाते हैं। अगर यूक्रेन हारता है, तो यह तर्क देना कठिन होगा कि लोकतंत्र सरकार का एक प्रभावी माडल है।

क्‍या है ग्रुप आफ सेवन

यह एक अंतर-सरकारी संगठन है, जिसका गठन वर्ष 1975 में किया गया था। वैश्विक आर्थिक शासन, अंतरराष्‍ट्रीय सुरक्षा और ऊर्जा नीति जैसे सामान्य हित के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए ब्‍लाक की वार्षिक बैठक होती है। जी-7 देश यूके, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और अमेरिका हैं। सभी जी-7 देश और भारत G-20 का हिस्सा हैं। जी-7 का कोई औपचारिक संविधान या कोई निश्चित मुख्यालय नहीं है। वार्षिक शिखर सम्मेलन के दौरान नेताओं द्वारा लिए गए निर्णय गैर-बाध्यकारी होते हैं। भारत के अलावा आस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया को भी अतिथि देशों के रूप में शिखर सम्मेलन की कार्यवाही में भाग लेने हेतु आमंत्रित किया गया था। 

जर्मनी में मोदी का हुआ भव्‍य स्‍वागत

गौरतलब है कि दुनिया के सात सबसे अमीर देशों के समूह जी-7 के अध्यक्ष के रूप में जर्मनी इस शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है। इस सम्मेलन की शुरुआत से पहले, प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो के साथ हाथ मिलाया और गर्मजोशी से स्‍वागत किया। इस शिखर सम्मेलन में दुनिया के सात सबसे अमीर देशों के नेता यूक्रेन पर रूस के आक्रमण, खाद्य सुरक्षा और आतंकवाद समेत विभिन्न महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करेंगे। बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी जी-7 सम्मेलन के लिए रविवार से दो दिवसीय यात्रा पर जर्मनी में हैं। वह ऊर्जा, खाद्य सुरक्षा, आतंकवाद से मुकाबला, पर्यावरण और लोकतंत्र जैसे मुद्दों पर समूह के नेताओं और सहयोगियों के साथ विचार-विमर्श करेंगे। उन्होंने कहा कि मैं आज जी7 शिखर सम्मेलन में शिरकत करूंगा, जिसमें हम विभिन्न महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करेंगे।

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