सैन्य तख्तापलट के बाद म्यांमार में पीड़ितों की आपबीती, भिक्षु को बनाया मेंढक, एकाउंटेंट को दिए गए बिजली के झटके

भिक्षु को मेंढ़क की तरह चलने पर मजबूर किया गया उन्हें ऐसे बंदीगृह में रखा गया जहां शौचालय नहीं था। छह दिन बाद भिक्षु को पुलिस थाने भेजा गया जहां उन्हें 50 अन्य कैदियों के साथ एक काल कोठरी में रखा गया। वहीं भी यातनाएं जारी रहीं।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Publish:Thu, 28 Oct 2021 05:18 PM (IST) Updated:Thu, 28 Oct 2021 05:41 PM (IST)
सैन्य तख्तापलट के बाद म्यांमार में पीड़ितों की आपबीती, भिक्षु को बनाया मेंढक, एकाउंटेंट को दिए गए बिजली के झटके
बिजली के झटके, हिरासत में प्रताड़ना, म्यांमार में जारी है सेना का कहर

जकार्ता, एपी। म्यांमार में इस साल फरवरी में सैन्य तख्तापलट के बाद से ही प्रताड़नाओं का दौर अपने चरम पर है। एक बौद्ध संन्यासी को मानसिक यातना देने के लिए मेंढक की तरह कुदाया गया, एक एकाउंटेंट को बिजली के झटके दिए गए और एक कलाकार को सिर पर तब तक मारा गया, जब तक कि वह बेहोश नहीं हो गया। म्यांमार की सेना सैकड़ों की तादाद में युवाओं और खासकर लड़कों को बंदी बना रही है और उनके मन में हमेशा-हमेशा के लिए डर बैठाने के इरादे से शवों को छिन्न-भिन्न करके आतंक का साम्राज्य बना रही है। वैश्विक महामारी के दौर में चिकित्सकों को भी नहीं बख्शा गया है। फरवरी से लेकर अब तक सुरक्षा बलों ने 1200 से अधिक लोगों को बंदी बनाया है और 131 या उससे भी अधिक लोगों को मौत के घाट उतार दिया है।

सेना की पकड़ से भागते समय 31 वर्षीय भिक्षु को गोली मारी गई, उन्हें हथकड़ी लगाई गई और डंडों तथा राइफलों से पीटा गया। सुरक्षा बलों ने उनके सिर, छाती और पीठ में लात मारी। उन्होंने आपराधिक इरादे के सुबूत बनाने के लिए भिक्षु और अन्य प्रदर्शनकारियों की गैसोलीन की बोतलों के साथ फोटो खिंचवाई। सैनिकों ने भिक्षु को आम लोगों जैसे कपड़े पहनने को मजबूर किया और उन्हें मांडले पैलेस में बनाए गए उत्पीड़न केंद्र भेज दिया। भिक्षु कहते हैं, 'वह पूछताछ केंद्र किसी नर्क की तरह था।'

भिक्षु को मेंढ़क की तरह चलने पर मजबूर किया गया, उन्हें ऐसे बंदीगृह में रखा गया जहां शौचालय नहीं था। छह दिन बाद भिक्षु को पुलिस थाने भेजा गया जहां उन्हें 50 अन्य कैदियों के साथ एक काल कोठरी में रखा गया। वहीं भी यातनाएं जारी रहीं।

पहले से तैयार बयान पर जबरन कराए हस्ताक्षर

इसीतरह, पुलिस थाने में 21 साल के लेखपाल (एकाउंटेंट) से पूछताछ शुरू हुई, उसे लात-घूंसों से पीटकर उसके सिर पर मारा गया। फिर उसकी आंखों पर पट्टी बांधकर उसे यंगून के पूछताछ केंद्र ले जाया गया। एक सैनिक ने उससे पूछा कि श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोटों से उसका क्या संबंध है। जब उसने किसी भी संबंध से इन्कार किया तो उसे फिर बुरी तरह से पीटा। सैनिकों ने पाइप से उसकी पीठ पर मारा और छाती पर लात मारी। वह उसे शरीर के केवल उन्हीं हिस्सों पर मारते थे जिन्हें कपड़ों से छिपाया जा सके। वह बेहोश हो चुका था। उसके सिर पर बर्फ का पानी डालकर उसे जगाया गया। इसके बाद उसे बिजली के झटके दिए गए। उसे पूछताछ केंद्र से तब जाकर छोड़ा जब उसके परिजनों ने अधिकारियों को पैसे दिए। लेकिन इसके तुरंत बाद सैनिक उसे एक अन्य पूछताछ केंद्र ले गए। जहां उसे बुरी तरह से फिर पीटा गया और अंधेरे कमरे में रखा गया। आखिरकार उसे उस बयान पर हस्ताक्षर करने पड़े जो पहले से तैयार किया गया था। एकाउंटेंट के पिता ने फिर से पैसे दिए जिसके बाद उसे छोड़ा गया।

21 साल के कलाकार को गिरफ्तार कर सिर पर किए गए कई हमले

एक युवा कलाकार के अनुभव भी कुछ ऐसे ही रहे। सुरक्षा बलों ने एक प्रदर्शन के दौरान 21 साल के कलाकार को गिरफ्तार किया और उसके सिर पर तब तक मार की जब तक कि वह बेहोश नहीं हो गया। जब वह जागा तो उसने सुना की एक सैनिक कह रहा था, 'तीन लड़कों को मौत के घाट उतार चुका हूं।' कलाकार बताता है, 'वह हमें जान से मारने वाले थे।' लेकिन तभी स्थानीय पुलिस वहां आ गई और उसने सैनिकों से कहा कि वह इस युवक की हत्या नहीं कर सकते। इसके बाद कलाकार को पुलिस थाने और उसके बार यंगून के पूछताछ केंद्र ले जाया गया जहां उसे चार दिन रखा गया। फिर उसे एक जेल में तीन महीने तक रखा गया।

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