अफगानिस्तान में तालिबान की नई सरकार को मान्यता देने की जल्दी में नहीं है अमेरिका
अमेरिका समेत पूरी दुनिया की नजर तालिबान पर है। इस क्रम में व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने कहा कि अमेरिका तालिबान सरकार को मान्यता देने की जल्दी नहीं है। यह इस पर निर्भर करेगा कि तालिबान आगे क्या कदम उठाता है।
वाशिंगटन, एएनआइ। अमेरिका को अफगानिस्तान में तालिबान की नई इस्लामी सरकार को मान्यता देने की जल्दी नहीं है। वह तालिबान सरकार के कामकाज के आधार पर इसका फैसला करेगा। स्पुतनिक की रिपोर्ट के मुताबिक व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी (Press Secretaru Jen Psaki) ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि तालिबान सरकार को मान्यता देने की जल्दी नहीं है। यह इस पर निर्भर करेगा कि तालिबान आगे क्या कदम उठाता है। अमेरिका समेत पूरी दुनिया की नजर तालिबान पर है। एक सवाल के जवाब में साकी ने कहा कि मान्यता देने की समय सीमा पर वह कुछ नहीं कह सकती हैं। यह इस बात पर निर्भर करेगा कि तालिबान का जमीन पर बर्ताव कैसा होता है।
अखुंंद को बनाया गया है कार्यवाहक प्रधानमंत्री
बता दें कि मंगलवार को अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज हुए तालिबान ने अपनी सरकार का गठन कर लिया है। तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर के बेहद करीबी रहे मुल्ला हसन अखुंद अफगानिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनाए गए वहीं तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख मुल्ला अब्दुल गनी बरादर और अब्दुल सलाम हनफी को उप प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया है।
तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्ला मुजाहिद ने यहां प्रेस कांफ्रेंस में देश में अंतरिम इस्लामी सरकार के गठन की घोषणा की। नई सरकार में 33 मंत्री बनाए गए हैं जिनमें अमेरिका की गठबंधन सेना और अफगानिस्तान सरकार के खिलाफ दो दशकों तक लड़ने वाले तालिबान के शीर्ष नेताओं को प्रमुखता दी गई है। मुजाहिद ने बताया कि फिलहाल अंतरिम सरकार के लिए ये नियुक्तियां की गई हैं। प्रधानमंत्री नियुक्त किए गए मुल्ला हसन अखुंद
(Mullah Mohammad Hasan Akhund)कंधार से ताल्लुक रखते हैं और तालिबान के संस्थापकों में से हैं। उन्होंने 'रहबरी शूरा' के प्रमुख के रूप में 20 साल तक काम किया और तालिबान के प्रमुख मुल्ला हिबातुल्ला अखुंदजादा के करीब माने जाते हैं। बता दें कि 15 अगस्त को समूचा अफगानिस्तान तालिबान के हाथों में चला गया।