तो इसका मतलब डब्‍ल्‍यूएचओ के पास भी नहीं है महामारी में मारे गए स्‍वास्‍थ्‍यकर्मियों का सही आंकड़ा

कोरोना महामारी में मरने वालों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। इस दौरान हजारों की संख्‍या में स्‍वास्‍थ्‍यकर्मियों ने भी अपनी जान गंवाई है। हालांकि इसका सही आंकड़ा अब तक विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के पास भी नहीं है।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Fri, 22 Oct 2021 12:41 PM (IST) Updated:Fri, 22 Oct 2021 12:41 PM (IST)
तो इसका मतलब डब्‍ल्‍यूएचओ के पास भी नहीं है महामारी में मारे गए स्‍वास्‍थ्‍यकर्मियों का सही आंकड़ा
स्‍वास्‍थ्‍यकर्मियों की मौतों को लेकर अनुमान ही लगा रहा है डब्‍ल्‍यूएचओ

जिनेवा (यूएन)। कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया में अब तक 4,945,940 लोगों की जिंदगी की सांसें थाम दी हैं। वहीं यदि स्‍वास्‍थ्‍यकर्मियों की बात करें तो इस महामारी की वजह से कितने स्‍वास्‍थ्‍यकर्मी अब तक मौत के आगोश में जा चुके हैं इसका सही आंकड़ा विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के पास भी नहीं है। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन की तरफ से अनुमान लगाया गया है कि इस महामारी में करीब 80 हजार से 1.80 लाख स्‍वास्‍थ्‍यकर्मियों तक की मौत पूरे विश्‍व में हुई है। ये अनुमान जनवरी 2020 से मई 2021 के बीच के दौर का लगाया गया है। संगठन की तरफ से लगाया गया ये अनुमान उस जानकारी पर आधारित है जिसमें मई 2021 तक इस महामारी से करीब 34.50 लाख लोगों की मौत के बारे में मिली थी।

डब्‍ल्‍यूएचओ ने इस बात की भी आशंका जताई है कि जितनी मौतों की जानकारी विश्‍व से उन्‍हें प्राप्‍त हुई है हकीकत में हुई मौतें इससे करीब 60 फीसद अधिक हो सकती हैं। संगठन की तरफ से इस महामारी से उबरने के लिए वैश्विक साझीदारी और बेहतर संरक्षा पर बल दिया गया है। संगठन ने ये भी कहा है कि हैल्‍थ सेक्‍टर में काम करने वाले लोगों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। संगठन प्रमुख डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने जिनेवा में पत्रकारों से बात करते हुए ये बातें कही हैं। उन्‍होंने कहा कि हर देश के हैल्‍थ सिस्‍टम की रीढ़ की हड्डी उसमें काम करने वाला व्‍यक्ति है। इसलिए उसकी सुरक्षा हर हाल में करने की जरूरत है।

टैड्रास ने कहा कि इस महामारी ने हमें ये बता दिया है कि हम इन कर्मियों पर कितने निर्भर हैं। लेकिन जो हमारे स्‍वास्‍थ्‍य की देखभाल करते हैं वहीं सरंक्षण के बिना रह जाते हैं। इस बात से ये समझने की बेहद जरूरत है कि हम कितने नाजुक हालात में हैं। यूएन की संबंधित एजेंसियों ने भी महामारी के दौर में स्‍वास्‍थ्‍यकर्मियों पर हुए मानसिक और शारीरिक दबाव पर चिंता जताई है। महामारी के दौर में इन स्‍वास्‍थ्‍यकर्मियों को कई कई घंटे काम करना पड़ा है। उन स्‍वास्‍थ्‍यकर्मियों की मौत बेहद चिंता का विषय है। टैड्रोस ने पूरी दुनिया से ये सुनिश्चित करने का आहवान किया है कि इन स्‍वास्‍थ्‍यकर्मियों को हर हाल में प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीन उपलब्‍ध करवाई जानी चाहिए।

संगठन के मुताबिक सितंबर 2021 तक विश्‍व में करीब पांच में से केवल दो स्वास्थ्यकर्मियों को ही कोविड वैक्‍सीन की दो खुराक मिल सकी थीं। ये भी अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग है। इसमें साफतौर पर अंतर दिखाई देता है। जैसे अफ्रीका में तो दस में से केवल एक स्‍वास्‍थ्‍यकर्मी को की टीके की दो खुराक मिल सकी हैं। वही अधिक आय वाले देशों में 80 फीसद स्‍वास्‍थ्‍यकर्मियों को दो खुराक मिल चुकी हैं। संगठन का कहना है कि विश्‍व के करीब 82 देश वैक्‍सीनेशन में काफी पीछे हैं। इनमें से करीब 75 फीसद देशों में तो वैक्‍सीन की पर्याप्‍त आपूर्ति तक सुनिश्चित नहीं हो सकी है।

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