अफगानिस्तान में बाल अधिकारों के गंभीर उल्लंघन से यूनिसेफ चिंतित, बोला- खोना पड़ रहा बचपन

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) ने अफगानिस्तान के कंधार प्रांत में इमाम बरगाह-ए-फातिमा मस्जिद में हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की थी और हमले के अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने की आवश्यकता को रेखांकित किया था।

By Manish PandeyEdited By: Publish:Mon, 18 Oct 2021 12:45 PM (IST) Updated:Mon, 18 Oct 2021 12:45 PM (IST)
अफगानिस्तान में बाल अधिकारों के गंभीर उल्लंघन से यूनिसेफ चिंतित, बोला- खोना पड़ रहा बचपन
शिया मस्जिद में हुए विस्फोट में दो 17 वर्षीय लड़कों की हुई थी मौत।

काबुल, एएनआइ। यूनाइटेड नेशंस चिल्ड्रेंस फंड (यूनिसेफ) ने अफगानिस्तान में गंभीर बाल अधिकारों (child rights violations) के उल्लंघन में वृद्धि पर चिंता व्यक्त की है। यूनिसेफ ने कहा है कि अफगानिस्तान के हालात के लिए बच्चों को अपना बचपन खोना पड़ रहा है।

यूनिसेफ अफगानिस्तान ने कंधार के एक शिया मस्जिद में हाल ही में हुए विस्फोट में दो 17 वर्षीय लड़कों के मारे जाने पर दुख जताया। विस्फोट में 60 से अधिक लोग मारे गए और 80 से अधिक घायल हुए थे। इस्लामिक स्टेट खुरासान (आइएसआइएस-के) ने विस्फोट की जिम्मेदारी ली। खामा प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, अपने टेलीग्राम चैनल पर आइएसआइएस-के ने कहा कि हमला उनके द्वारा किया गया था।

यूनिसेफ अफगानिस्तान ने ट्वीट किया, 'जुमे की नमाज के दौरान कंधार में एक मस्जिद पर हुए हमले में 17 साल के दो लड़कों की कथित तौर पर मौत हो गई थी। यूनिसेफ अफगानिस्तान में गंभीर बाल अधिकारों के उल्लंघन में वृद्धि के बारे में चिंतित है। हर हाल में बच्चों की रक्षा की जानी चाहिए।'

इससे पहले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) ने अफगानिस्तान के कंधार प्रांत में इमाम बरगाह-ए-फातिमा मस्जिद में हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की थी और हमले के अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने की आवश्यकता को रेखांकित किया था।

यूएनएससी द्वारा जारी एक बयान में सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने पीड़ितों के परिवारों के प्रति अपनी गहरी सहानुभूति और संवेदना व्यक्त की और उन्होंने घायलों के शीघ्र और पूर्ण स्वस्थ होने की कामना की। सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने फिर दोहराया कि आतंकवाद अपने सभी रूपों में अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरों में से एक है।

देश पर तालिबान के अधिग्रहण के बाद अफगानिस्तान में हिंसा बढ़ने की खबरों के बीच संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) ने इस महीने की शुरुआत में मानवाधिकारों की निगरानी के लिए विशेषज्ञों की एक टीम स्थापित करने का फैसला लिया था।

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