यूनेस्को ने कहा- कोरोना के कारण दुनिया के 85 करोड़ छात्र नहीं जा पा रहे स्कूल और विश्वविद्यालय
102 देशों में राष्ट्रीय स्तर पर स्कूल बंद हैं और 11 अन्य देशों में स्थानीय शट डाउन है। यह संख्या बढ़ सकती है।
पेरिस, एएनआइ। 85 करोड़ से ज्यादा बच्चे और युवा यानी दुनिया में छात्रों की आबादी का लगभग आधा हिस्सा स्कूलों और विश्वविद्यालयों से दूरी बनाए रखने को मजबूर हो गया है। यह संकट कोरोना वायरस महामारी के कारण उठ खड़ा हो गया है। यह जानकारी संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने दी है।
85 करोड़ छात्र स्कूलों और विश्वविद्यालयों से दूर हैं
यूनेस्को ने कहा, '17 मार्च 2020 तक कोविड-19 महामारी के कारण 85 करोड़ युवा और बच्चे जो दुनिया भर में छात्रों की करीब आधी आबादी है, स्कूलों और विश्वविद्यालयों से दूर हैं। 102 देशों में राष्ट्रीय स्तर पर स्कूल बंद हैं और 11 अन्य देशों में स्थानीय शट डाउन है। यह संख्या बढ़ सकती है।'
स्कूल और विश्वविद्यालयों के बंद होने से शिक्षा क्षेत्र के लिए अप्रत्याशित चुनौती
यूनेस्को ने कहा है कि स्कूल और विश्वविद्यालयों के बंद होने की स्थिति शिक्षा क्षेत्र के लिए अप्रत्याशित चुनौती है। वैश्विक संस्था ने कहा है, 'दुनिया भर के देश डिस्टेंस लर्निग सॉल्यूशन से शून्यता भरने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन बंदी की अवधि की अनिश्चितता उनके प्रयासों में और जटिलता पैदा कर रही है। इसमें समय के अनुरूप वीडियो क्लास जैसे वैकल्पिक उपाय शामिल हैं।'
आवश्यक सेवाएं जो लॉकडाउन के दायरे से बाहर रहेंगी
-खानपान की वस्तुएं, फल-सब्जियों,पेयजल, रसोई गैस (घरेलू व कॉमर्शियल) तथा पशुचारे की आपूर्ति
-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की आपूर्ति करने वाली सभी फूड प्रोसेसिंग इकाइयां
-पेट्रोल/डीजल/सीएनजी पंप
-धान मिलें
-दुग्ध प्लांट, डेयरी यूनिट, पशुचारा बनाने वाली इकाइयां
-दवा और अन्य फार्मास्यूटिकल्स की दुकानें
-स्वास्थ्य सेवाएं
-चिकित्सा और स्वास्थ्य से जुड़े उपकरणों का निर्माण करने वाली इकाइयां
-बैंक व एटीएम
-टेलीकॉम सेवाएं-बीमा कंपनियां
-डाकघर
-गोदामों में गेहूं और चावल की लोडिंग और अनलोडिंग का कार्य
-आवश्यक वस्तुओं/सेवाओं व खाद्य पदार्थों की आपूर्ति के लिए परिवहन सेवाएं।
लॉकडाउन के साथ जन स्वास्थ्य के पर्याप्त कदम उठाने होंगे: डब्लूएचओ
विश्व स्वास्थ्य संगठन ( डब्लूएचओ ) का मानना है कि कोरोना को हराने के लिए शहरों और देशों को लॉकडाउन करने से ही काम नहीं चलेगा। लॉकडाउन के साथ जन स्वास्थ्य के पर्याप्त कदम उठाते रहने होंगे नहीं तो यह बीमारी फिर पनप सकती है।