तालिबान राज में खामोश हो गया अफगान संगीत, दहशत में कलाकार सुरक्षित स्थानों पर ले रहे पनाह

अफगानिस्तान में तालिबान राज में एक बार फिर अफगानी संगीत खामोश हो गया है। होटलों शादियों और चलते वाहनों में बजने वाला संगीत अब थम गया है। संगीत की महफिलें बीते दौर की यादें बनकर रह गई हैं।

By TaniskEdited By: Publish:Thu, 23 Sep 2021 05:11 PM (IST) Updated:Thu, 23 Sep 2021 05:11 PM (IST)
तालिबान राज में खामोश हो गया अफगान संगीत, दहशत में कलाकार सुरक्षित स्थानों पर ले रहे पनाह
तालिबान राज में खामोश हो गया अफगान संगीत। (फोटो- एपी)

काबुल, एपी। अफगानिस्तान में तालिबान राज में एक बार फिर अफगानी संगीत खामोश हो गया है। होटलों, शादियों और चलते वाहनों में बजने वाला संगीत अब थम गया है। संगीत की महफिलें बीते दौर की यादें बनकर रह गई हैं। संगीत के कलाकार दहशत में हैं और रोक लगने से पहले ही सुरक्षित स्थानों पर पनाह ले रहे हैं।

तालिबान सरकार ने हालांकि अभी संगीत को लेकर कोई फरमान नहीं जारी किया है, लेकिन अफगानी लोग तालिबान की फितरत से उसके अगले कदम का अंदाज लगाने लगे हैं। यही कारण है कि लोग दहशत में हैं। एक संगीतकार ने बताया कि वह संगीत के उपकरण लेकर काबुल की एक चौकी से गुजर रहा था, तालिबान ने उसके उपकरण तोड़ दिए। अफगान शास्त्रीय संगीत के उस्ताद रहीम बख्श के 21 वर्षीय बेटे मुजफ्फर बख्श ने बताया कि हालात जुल्म-ज्यादती वाले हैं।

तालिबान के एक प्रवक्ता बिलाल करीमी से जब पूछा गया कि क्या सरकार संगीत पर प्रतिबंध लगाएगी? प्रवक्ता ने बताया कि अभी इसकी समीक्षा की जा रही है। कोई अंतिम निर्णय होने के बाद इसकी घोषणा की जाएगी। अफगानिस्तान में शादियों में अब संगीत न के बराबर हो गया है। यहां कई कराओके पार्लर खुले हुए थे, जो अब बंद हो गए हैं। हाइवे पर जाने वाले ट्रकों के चालक भी तालिबान की चेकपोस्ट आने पर संगीत को बंद कर देते हैं।

अफगानिस्तान की संगीत परंपरा ईरानी और भारतीय शास्त्रीय संगीत से प्रभावित है। इसमें पाप संगीत भी है, जिसमें इलेक्ट्रानिक इंस्ट्रूमेंट और डांस बीट्स भी शामिल है। दोनों पिछले 20 वर्षों में काफी फले-फूले हैं। आमतौर पर वेडिंग हाल में संगीत और नृत्य का आयोजन होता हैं। इस दौरान पुरुषों और महिलाओं का सेक्शन अलग-अलग होता है। तालिबान ने अब तक संगीत पर आपत्ति नहीं जताई है, लेकिन उनकी मौजूदगी डराने वाली है। ऐसे में संगीतकार शो से इन्कार करते हैं। शादियों के दौरान हाल में पुरुष सेक्शन में अब लाइव संगीत या डीजे देखने को नहीं मिलता। महिला वर्ग में तालिबान लड़ाकों की पहुंच कम है। ऐसे में यहां कभी-कभी डीजे बजते हैं।

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