जानें- किस देश में अवैध रूप से जेलों में बंद है लाखों लोग, यूएन की रिपोर्ट से हुआ खुलासा
यूएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक सीरियाई जेलों में अवैध रूप से लाखों लोग बंद हैं। इनमें से कई बाहर निकलने की उम्मीद में दम तोड़ चुके हैं तो कई इस राह पर आगे बढ़ते जा रहे हैं
जेनेवा (संयुक्त राष्ट्र)। सीरिया पर आई संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट बेहद चौकाने वाली है। इस रिपोर्ट में यूएन के जांच आयोग ने खुलासा किया है कि वहां पर लाखों लोग ऐसे हैं जिन्हें मनमाने ढंग से हिरासत में रखा गया है। ऐसे में इन लोगों का भविष्य पूरी तरह से अनिश्चितता के साए में है। आयोग ने ऐसे समय में अपनी ये रिपोर्ट दी है जब कुछ समय पहले ही यहां के सीमावर्ती इलाकों पर बाइडन प्रशासन में पहली बार बमबारी की गई थी। इसके बाद इजरायल ने भी दमिश्क में बम बरसाए थे।
आपको बता दें कि सीरिया काफी लंबे समय से गृह युद्ध की आग में जल रहा है। जहां तक आयोग की इस रिपोर्ट का सवाल है तो इसमें कहा गया है कि अवैध रूप से हिरासत में रखे गए सैकड़ों लोगों की गुमनाम मौत भी हो चुकी है। इनमें से कई ऐसे भी हैं जिन्हें मौत के घाट उतार दिया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि हिरासत में रखे गए इन लोगों को बेहद अमानवीय तरीके से जेलों में ठूंस कर रखा गया है। जेलों में बंद लोगों में केवल पुरुष ही नहीं हैं बल्कि महिलाएं भी शामिल हैं। रिपोर्ट के मुताबिक कई महिलाओं के साथ बदसलूकी तक की गई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक हिरासत में लिए गए व्यक्ति को यहां पर अंतरराष्ट्रीय कानूनी दायित्वों के अनुरूप अधिकार हासिल नहीं हैं।
यूएन जांच आयोग द्वारा पेश की गई इस रिपोर्ट में जांचकर्ताओं ने बताया है कि उन्होंने करीब 2500 लोगों से इस बारे में इंटरव्यू किए हैं और जेलों में बंद कैदियों की हालात की गंभीरता का पता लगया है। रिपोर्ट के मुताबिक हिरासत में बंद सैकड़ों लोगों को मौत के मुंह में धकेला गया है। आयोग ने अपनी इस रिपोर्ट में इस तरह के कृत्य को मानवता के खिलाफ अपराध घोषित किया है। इसमें जांचकर्ताओं ने पाया है कि इस तरह का अपराध करने वालों में सीरियाई डेमोक्रैटिक फोर्सेज यानी एसडीएफ शामिल रही है जो सीरियाई सरकार के मातहत काम करती है।
आयोग की इस रिपोर्ट में केवल सीरियाई सरकार पर ही सवाल खड़े नहीं किए हैं बल्कि सीरिया में लोगों की जिंदगी को नरक बनाने के लिए इस्लामिक स्टेट को भी जिम्मेदार ठहराया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि आइएस ने यहां पर भयानक नरसंहार को अंजाम दिया है। आपको बता दें कि सीरिया में गृह युद्ध की शुरुआत मार्च 2011 से हुई थी जब लोग सीरिया की सरकार के खिलाफ हुए प्रदर्शनों में सड़कों पर उतरे थे। इसको दबाने के लिए सरकार ने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। प्रदर्शन को दबाने के लिए सरकार ने जिस तरह की कार्रवाई की उसमें लाखों लोगों की जान गई। दुनिया के कई बड़े देश सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद पर प्रदर्शनकारियों पर सख्ती करने और उन्हें जान से मरवाने के आरोप लगते रहे हैं। इसके अलावा उनके ऊपर सीरियाई संकट को और बढ़ाने का भी आरोप लगता आया है।
इस आयोग के आयुक्त कैरेन कोनिंग का कहना है कि उनके पास इस बात के पर्याप्त सुबूत हैं कि अवैध रूप से हिरासत में रखे गए लोगों के पीछे सीरियाई सरकार का हाथ है और वो उन लोगों के साथ अमानवीय बर्ताव करते हैं। इसके बाद भी हर कोई अपने ऊपर लगे आरोपों को बेबुनियाद बताता है। इतना ही नहीं वो अपने सुरक्षा बलों की जांच कराने से भी इनकार कर देते हैं। सरकार जेलों की स्थिति की जांच कराने की बजाए अपने आरोपों को छिपाने और सुबूतों को नष्ट करने का काम करती है। जांच आयोग इस रिपोर्ट को अगले सप्ताह जेनेवा में यूएन मानवाधिकार परिषद को सौंपेगा। आयोग ने इस रिपोर्ट के बनाने के लिए 100 से अधिक जेलों की जांच की है। इस जाँच में, गृहयुद्ध की शुरुआत से आज तक हुए प्रदर्शनों में हिरासत में लिए गए पुरुषों, महिलाओं और बच्चों की परिस्थितियों की जांच की गई है।