कोरोना महामारी के बीच UN की बड़ी चिंता, आधी आबादी के हक एवं सुरक्षा का किया आह्वान
महिलाओं एवं लड़कियों के स्वास्थ्य और अधिकारों की रक्षा करें। महासचिव ने कहा कि लिंग आधारित हिंसा को समाप्त करने का संकल्प लें ।
संयुक्त राष्ट्र, एजेंसी। कोरोना महामारी के बीच संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने महिलाओं और लड़कियों के स्वास्थ्य और अधिकारों को लेकर चिंता प्रगट की है। महासचिव ने महिलाओं और लड़कियों के स्वास्थ्य और अधिकारों की रक्षा के लिए प्रयासों का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आइए हम महिलाओं के यौन शोषण से रक्षा करें और प्रजनन स्वास्थ्य देखभाल के लिए कार्य करें। उन्होंने दुनिया के देशों से जोर देकर कहा कि महिलाओं एवं लड़कियों के स्वास्थ्य और अधिकारों की रक्षा करें। महासचिव ने कहा कि लिंग आधारित हिंसा को समाप्त करने का संकल्प लें।
कोरोना ने हमारी चुनौतियों को और भी बड़ा और सघन किया
विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा कि कोरोना महामारी ने हमारी चुनौतियों को और भी बड़ा और सघन कर दिया है। इसे और कठिन बना दिया है, लेकिन इसे अपने संकल्प से जीतना होगा। गुंडेरेस ने कहा कि महामारी ने समाज में व्याप्त असमनताओं की खाई को और बड़ा कर दिया है। खासकर दुनिया में महिलाएं और लड़कियों की समस्याएं और भी जटिल हुईं हैं।
लॉकडाउन का असर महिला स्वास्थ्य सेवाओं पर
उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौरन लॉकडाउन से कई देशों की स्वास्थ्य प्रणालियां पूरी तरह से ध्वस्त हो गईं हैं। महासचिव ने कहा कि इसका सीधा असर महिला स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ रहा है। इसके चलते लिंग आधारित हिंसा में वृद्धि हुई है। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) की रिपोर्ट बताती है कि अगर लॉकडाउन छह महीने तक जारी रहता है तो इसका सीधा असर अल्प और मध्यम आय वर्ग वाली 4.7 करोड़ महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ेगा। महासचिव ने कहा इसमें 70 लाख महिलाएं अनचाहा गर्भधारण करेंगे। 31 करोड़ महिलाएं लिंग आधारित हिंसा का शिकार होंगी।
हर वर्ष 12 करोड़ लड़कियां शादी के होती हैं मजबूर
महासचिव ने कहा कि प्रत्येक वर्ष लाखों लड़कियों को उन प्रथाओं के अधीन किया जाता है, जो उन्हें शारीरिक और भावनात्मक रूप से नुकसान पहुंचाती है। उन्होंने 2020 की विश्व जनसंख्या का हवाला देते हुए कहा कि हर वर्ष 12 करोड़ लड़कियों को शादी के लिए मजबूर किया जाता है। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण वैश्विक लॉकडाउन से यह स्थिति और बदतर होगी। संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष अधिकारी ने कहा कि अनुभव और शोध यह बताते हैं कि निचले वर्ग में लिंग-आधारित मानदंडों और दृष्टिकोणों को बदल सकते हैं।