जलवायु शिखर सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र महासचिव बोले, प्रलय को टालने के लिए घोषित करें जलवायु आपातकाल

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुतेरस (Antonio Guterres) ने शनिवार को जलवायु शिखर सम्मेलन में वैश्विक नेताओं का आह्वान करते हुए कहा कि वे प्रलयंकारी ग्लोबल वार्मिग को रोकने के लिए अपने-अपने देश में जलवायु आपातकाल की घोषणा करें।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Sat, 12 Dec 2020 10:16 PM (IST) Updated:Sat, 12 Dec 2020 10:16 PM (IST)
जलवायु शिखर सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र महासचिव बोले, प्रलय को टालने के लिए घोषित करें जलवायु आपातकाल
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुतेरस ने शनिवार को जलवायु शिखर सम्मेलन को संबोधित किया...

लंदन, रायटर। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतेरस ने दुनिया के नेताओं का आह्वान किया है कि वे प्रलयंकारी ग्लोबल वार्मिग (पृथ्वी के बढ़ते तापमान) को रोकने के उपाय करने के लिए अपने-अपने देश में जलवायु आपातकाल की घोषणा करें। वह शनिवार को जलवायु शिखर सम्मेलन में उद्घाटन भाषण दे रहे थे। एक दिन की इस वर्चुअल बैठक को दुनिया के कई नेताओं ने संबोधित किया। वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये बैठक को संबोधित करते हुए गुतेरस ने कहा, 'क्या कोई इससे इन्कार कर सकता है कि हम एक गंभीर आपात हालात का सामना कर रहे हैं।'

उन्होंने आगे कहा, 'इसीलिए आज, मैं दुनिया के नेताओं का आह्वान करता हूं कि वे अपने देशों में तब तक के लिए जलवायु आपातकाल की घोषणा करें, जब तक कि कार्बन उत्सर्जन में कटौती के लक्ष्य को हासिल नहीं कर लिया जाता।' गुतेरस ने कहा कि कोरोना महामारी के तबाह हो गई अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए जो आर्थिक पैकेज घोषित किए गए हैं, उससे भविष्य में कार्बन गैसों को कम रखने का एक अच्छा अवसर मिला है। लेकिन उन्होंने चेतावनी देते हुए यह भी कहा कि इस दिशा में तेजी से काम नहीं हो रहा है।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा कि अब तक जी-20 के देश कार्बन गैसों की कटौती करने के उपायों की तुलना में परंपरागत तेल के उत्पादन से जुड़े सेक्टरों को उबारने पर 50 फीसद अधिक खर्च कर रहे हैं। यह स्वीकार नहीं है। सम्मेलन के सह-आयोजक ब्रिटेन ने विदेशों में परंपरागत तेल से जुड़ी परियोजनाओं को प्रत्यक्ष सरकारी मदद खत्म करने के अपने संकल्प को दोहराया। ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने तेल पर निर्भरता कम करने के लिए सभी को मिलकर काम करना चाहिए।

मालूम हो कि पेरिस समझौते के पांच साल पूरे होने पर इस सम्मेलन का आयोजन किया गया है। इसका मकसद पृथ्वी का तापमान बढ़ाने वाली ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन में ज्यादा से ज्यादा कटौती करने के लिए विभिन्न देशों को प्रेरित करना है। वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में भारत की हिस्सेदारी महज 6.8 फीसद है जबकि चीन की हिस्सेदारी 30 फीसद तक है।

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