तालिबान ने अफगान मीडिया पर लगाई और पाबंदियां, इस्लाम विरोधी सामग्री के प्रकाशन पर प्रतिबंध

अफगानिस्तान में मीडिया की स्वतंत्रता को और अधिक पाबंदिया लगाने और दमन करने के लिए तालिबान ने पत्रकार संगठनों के लिए 11 नियमों का एलान किया है। राष्ट्रीय हस्तियों के प्रति अपमानजनक सामग्री के प्रकाशन पर भी प्रतिबंध।

By Manish PandeyEdited By: Publish:Sat, 25 Sep 2021 02:00 PM (IST) Updated:Sat, 25 Sep 2021 02:00 PM (IST)
तालिबान ने अफगान मीडिया पर लगाई और पाबंदियां, इस्लाम विरोधी सामग्री के प्रकाशन पर प्रतिबंध
तालिबान ने पत्रकार संगठनों के लिए 11 नियमों का एलान किया है।

काबुल, एएनआइ। अफगानिस्तान में मीडिया की स्वतंत्रता पर कुछ और पाबंदियां लगाते हुए तालिबान ने पत्रकार संगठनों के लिए 11 नियमों का एलान किया है। इन नियमों के तहत इस्लाम के विरुद्ध किसी सामग्री के प्रकाशन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। राष्ट्रीय हस्तियों के प्रति अपमानजनक सामग्री का प्रकाशन भी प्रतिबंधित कर दिया गया है। पत्रकारों से कहा गया है कि वे अपनी रिपोर्टो की जानकारी सरकारी मीडिया दफ्तर को दें।

अमेरिका स्थित प्रेस स्वतंत्रता संगठन के एक वरिष्ठ सदस्य स्टीवन बटलर ने कहा कि हमें अफगानिस्तान के पत्रकारों से सैकड़ों ईमेल प्राप्त हो रहे है। वहां के पत्रकार डरे हुए हैं और हमसे मदद मांग रहे हैं। टोलो न्यूज ने बताया कि अफगान सरकार के पतन के बाद से अफगानिस्तान में 150 से अधिक मीडिया आउटलेट्स ने अपना संचालन बंद कर दिया है क्योंकि वे अपने दिन-प्रतिदिन के कार्यों को करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि तालिबान लगातार मीडिया के 'सूचना के अधिकार' में हस्तक्षेप कर रहा है, जिससे पत्रकार संगठनों के काम में बाधा आ रही है।

द न्यूयार्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, देश में तेजी से बढ़ रही आर्थिक मंदी के बीच कुछ प्रमुख समाचार पत्रों को अपना परिचालन बंद कर केवल आनलाइन प्रकाशन के लिए मजबूर किया गया है। इस महीने की शुरुआत में तालिबान ने लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को हटाने के बाद बनी नई सरकार के खिलाफ प्रदर्शनों को कवर करने वाले पत्रकारों पर भी कार्रवाई की गई है। वैश्विक समुदाय से किए गए अपने वादों के विपरीत तालिबान मीडिया कर्मियों के बुनियादी मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रहा है। उन्हें लगातार परेशान किया जा रहा है, प्रताड़ित किया जा रहा है और कई पत्रकारों को अपनी जान भी गवानी पड़ी है।

यही नहीं तालिबान ने निजी टीवी चैनलों पर दिखाए जा रहे कंटेंट में बदलाव भी किया गया है। महत्वपूर्ण समाचार बुलेटिन, राजनीतिक बहस, मनोरंजन और संगीत कार्यक्रमों और विदेशी नाटकों को तालिबान सरकार के अनुरूप कार्यक्रमों से बदल दिया गया है। इस बीच, कमिटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (सीपीजे) ने तालिबान से अफगानिस्तान में पत्रकारों को हिरासत में लेना तुरंत बंद करने और मीडिया को प्रतिशोध के डर के बिना स्वतंत्र रूप से काम करने की अनुमति देने को कहा है।

काबुल में अफगानिस्तान के सरकारी सूचना मीडिया केंद्र के निदेशक दावा खान मेनापाल की अगस्त के पहले सप्ताह में हत्या कर दी गई थी। दो दिन बाद पक्तिया घग रेडियो के पत्रकार तूफान उमर की तालिबान लड़ाकों ने हत्या कर दी। काबुल पर कब्जे के तुरंत बाद तालिबान लड़ाकों ने पत्रकारों की तलाश शुरू कर दी। कई को प्रताड़ित किया गया जबकि कुछ मार दिए गए।

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