पोलियो अभियान का विरोध करने वाला तालिबान अब देगा कोरोना टीकाकरण को समर्थन

अफगानिस्‍तान में कोविड-19 महामारी को दूर करने में तालिबान सरकार की मदद करेगा। तालिबान का कहना है कि वो इसके लिए कोरोना वायरस के टीकाकरण को भी समर्थन देगा और इसमें सरकार की मदद भी जरूर ही करेगा।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Thu, 28 Jan 2021 01:58 PM (IST) Updated:Thu, 28 Jan 2021 02:35 PM (IST)
पोलियो अभियान का विरोध करने वाला तालिबान अब देगा कोरोना टीकाकरण को समर्थन
तालिबान अब देगा कोरोना टीकाकरण को समर्थन

काबुल (रॉयटर्स)। कोरोना वायरस से जूझते अफगानिस्‍तान में तालिबान राष्‍ट्रीय स्‍तर पर इसके टीकाकरण को समर्थन देने का एलान किया है। एक बयान में तालिबान ने कहा हे कि वो कोरोना वायरस से निजात दिलाने के लिए चलने वाले टीकाकरण का समर्थन करेगा। कई वर्षों में ये पहला मौका है कि जब तालिबान ने अफगान सरकार का किसी मुद्दे पर समर्थन किया है। तालिबान की तरफ से यहां तक कहा गया है कि वो इस काम में सरकार की मदद करने को भी तैयार है।

आपको बता दें कि तालिबान की तरफ से आए इस समर्थन के कई अहम मायने हैं। आपको यहां पर ये भी बताना जरूरी है कि तालिबान ने पूर्व में सरकार द्वारा चलाए जा रहे पोलियो उन्‍मूलन के लिए घर-घर जाकर दवा पिलाने का न सिर्फ विरोध किया था बल्कि इसमें अवरोध भी पैदा किए थे। तालिबान का कहना था कि ऐसा करके सरकार उनके खिलाफ जासूसी कर रही है जिसका इस्‍तेमाल उनके ऊपर ड्रोन हमला कर उन्‍हें मारने के लिए किया जा रहा है। इसी वजह से 2018 से पहले इस अभियान में कमी आई थी, लेकिन बाद में इसमें तेजी आई।

तालिबान ने इसके बाद न सिर्फ अपने इलाकों में स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं के लिए सरकारी अधिकारियों को आने की इजाजत दी बल्कि इसमें उनकी मदद भी की। वहीं इस काम में जुटे अधिकारियों का कहना है कि ये अभियान तालिबान की जासूसी के लिए नहीं बल्कि देश को पोलियो मुक्‍त करने के लिए चलाया गया है। इसी तरह से कोविड-19 टीकाकरण भी देश से इस महामारी को दूर करने के लिए है।

आपको बता दें कि अफगानिस्‍तान को हाल ही में विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन की तरफ से कोवैक्‍स प्रोग्राम के तहत 112 मिलियन डॉलन की मदद की गई है। ये मदद विश्‍व के गरीब देशों को इस बीमारी से निजात दिलाने के तौर पर की गई है। इसकी जानकारी देते हुए अफगान सरकार के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि इससे देश की 38 करोड़ की आबादी में से हर पांच व्‍यक्तियों में से एक को मदद पहुंचाई जा सकेगी।

आपको बता दें कि कोवैक्‍स की सुविधा के तहत वर्ष 2021 तक करीब दो अरब खुराक मुहैया करवानी है। इसमें ने करीब 20 फीसद विश्‍व के उन 92 देशों में पहुंचानी हैं जहां के लोग बेहद गरीबी में जीवन निर्वाह करते हैं। ये देश इस महामारी से खुद से उबरने में नाकाम हैं। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने इन देशों को इस महामारी से निजात दिलाने के मकसद से 6 अरब डॉलर का फंड एकत्रित किया है। हालांकि संगठन का मानना है कि अभी इस काम के लिए उसको दो अरब डॉलर की राशि और चाहिए होगी। ये राशि इस वर्ष वैक्‍सीन की उपलब्‍धता के लिए तय की गई है। ब्रिटेन की सरकार ने 734 मिलियन डॉलर और अमेरिका ने करीब तीन अरब डॉलर की राशि दी है।

अफगानिस्‍तान के उप स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री वाहिद मजरुह का कहना है कि उन्‍हें अभी वैक्‍सीन को पाने में छह माह का समय लगेगा। इसको लेकर आथरिटी लगातार कंपनियों के संपर्क में हैं और इस बात की हर मुमकिन कोशिश की जा रही है कि ये काम जल्‍द से जल्‍द हो सके। गौरतलब है कि अफगानिस्‍तान में कोरोना वायरस के अब तक 54,854 मामले सामने आ चुके हैं जबकि 2,390 मरीजों को इसकी वजह से जान से हाथ धोना पड़ा है।

विशेषज्ञों का कहना है कि यहां पर जांच का काम काफी धीमी रफ्तार से है इस वजह से भी यहां पर मामले कम हैं। इनका कहना है कि यहां पर मौतों और कुल मामलों का आंकड़ा मौजूदा आंकड़ों से कहीं अधिक है। अफगानिस्‍तान को भारत ने भी एस्‍ट्राजेनेका की पांच लाख खुराक मुहैया करवाई हैं। जहां तक तालिबान के समर्थन का सवाल है तो विशेषज्ञ मानते हैं कि तालिबान इस मुद्दे पर शुरुआत से बढ़त बनाने की कोशिश कर रहा है। वह इसका फायदा उठाना चाहता है कि वो सरकार के साथ मिलकर काम कर रहा है।

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