इन अफगानी नागरिकों की तलाश में है तालिबान, दे रहा हर दरवाजे पर दस्तक
वैसे तो तालिबान ने वादा किया है कि यह नागरिकों को नुकसान नहीं पहुंचाएगा लेकिन यह भी सच है कि यहां के हर घर के दरवाजे पर दस्तक देकर यह पूछ रहा है कि यहां पर किसी ने अमेरिकी सेना की मदद तो नहीं की।
काबुल, एजेंसी। अफगानिस्तान की धरती से अमेरिका तो चला गया, लेकिन अब उसकी मदद करने वाले एक-एक अफगान नागरिकों की तलाश हो रही है। तालिबान इन्हें ढूंढ रहा है। यहां के हर घर के दरवाजे पर दस्तक देकर पूछा जा रहा है कि यहां पर किसी ने अमेरिकी सेना की मदद तो नहीं की। अमेरिकी सेना के लिए दुभाषिए का काम करने वाले एक अफगान नागरिक शाह ने जब आपबीती बताई तो तालिबान के असली मंसूबों का पता चला।
शाह के अप्रवासी वीजा को अब तक नहीं मिली है मंजूरी
काबुल में छिपे शाह अमेरिकी सेना के लिए दुभाषिये का काम करते थे। उन्होंने अमेरिका जाने के लिए विशेष अप्रवासी वीजा के लिए आवेदन भी दे रखा है, लेकिन अब तक उसे मंजूरी नहीं मिली है। तालिबान के डर से वह अपने गृह जनपद भाग गए। हालांकि वहां पर भी आतंकियों ने उनका पीछा नहीं छोड़ा। गनीमत यह रही कि जब तालिबानी उनके घर पहुंचे तो वह काबुल के लिए निकल चुके थे। शाह कहते हैं, 'तालिबान भले ही यह कहता है कि वह किसी से बदला नहीं लेगा। सभी को माफ को माफ कर देगा, लेकिन मुझे उन पर भरोसा नहीं है। अगर माफ ही करना है तो मुझे खोजते हुए मेरे घर क्यों आए।' ये कहानी सिर्फ एक शाह की नहीं है। अफगानिस्तान में हजारों ऐसे लोग हैं, जिन्होंने अमेरिकी सेना की मदद की है और वे सभी जानते हैं कि तालिबान उन्हें छोड़ेगा नहीं।
तालिबान के वादे पर लोगों को यकीन नहीं
तालिबान ने मुख्य हवाई अड्डे को खोलने के बाद वीजा वाले लोगों को नहीं रोकने का वादा किया है। हालांकि शाह जैसे लोग तालिबान के इस वादे पर यकीन नहीं करते हैं। उनका कहना है कि पहले भी तालिबान ने बेरहमी से शासन किया है। हम उन्हें विशेष अप्रवासी वीजा दिखाकर खुद की जान खतरे में नहीं डाल सकते हैं। अमेरिकी सैनिकों की वापसी शुरू होने के साथ ही अफगानिस्तान में तालिबान ने पैर पसारना शुरू कर दिया और अंतत: 15 अगस्त को यहां की सत्ता पर काबिज हो गया।