तालिबान ने काबुल यूनिवर्सिटी में महिलाओं के प्रवेश पर लगाई रोक, बीए पास को बनाया है चांसलर

तालिबान की ओर से नियुक्त यूनिवर्सिटी के नए चांसलर मुहम्मद अशरफ गैरत ने सोमवार को यह एलान किया। उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी में महिलाओं के बतौर छात्रा या शिक्षिका प्रवेश करने पर अनिश्चितकाल के लिए रोक लगा दी गई है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Publish:Tue, 28 Sep 2021 07:07 PM (IST) Updated:Tue, 28 Sep 2021 07:14 PM (IST)
तालिबान ने काबुल यूनिवर्सिटी में महिलाओं के प्रवेश पर लगाई रोक, बीए पास को बनाया है चांसलर
यूनिवर्सिटी के नए चांसलर ने पढ़ने और काम करने पर रोक का किया एलान

काबुल, न्यूयार्क टाइम्स। अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान के काबिज होने के बाद से महिलाओं पर पाबंदियों का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। इस कड़ी में अब काबुल यूनिवर्सिटी में महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। तालिबान की ओर से नियुक्त यूनिवर्सिटी के नए चांसलर मुहम्मद अशरफ गैरत ने सोमवार को यह एलान किया। उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी में महिलाओं के बतौर छात्रा या शिक्षिका प्रवेश करने पर अनिश्चितकाल के लिए रोक लगा दी गई है।

मुहम्मद अशरफ ने एक ट्वीट में कहा, 'मैं काबुल यूनिवर्सिटी के चांसलर के रूप में यह एलान करता हूं कि जब तक सभी के लिए वास्तविक इस्लामिक माहौल का निर्माण नहीं हो जाता, तब तक के लिए यूनिवर्सिटी में महिलाओं के पढ़ने या काम करने पर रोक रहेगी।' तालिबान ने बीती सदी के आखिरी दशक में भी इसी तरह की नीति अपनाई थी। उस दौर के अपने पहले शासन के दौरान तालिबान ने लड़कियों को स्कूल से पूरी तरह दूर कर दिया था। महिलाओं के अकेले घर से निकलने पर रोक लगा दी थी। उनको सिर्फ पुरुष रिश्तेदार के साथ सार्वजनिक स्थानों पर जाने की इजाजत थी। तालिबान के नए कदम पर यूनिवर्सिटी की एक महिला लेक्चरर ने कहा, 'इस पवित्र स्थान पर कुछ भी गैर इस्लामिक नहीं है।' तालिबान ने कुछ दिनों पहले महिला मामलों के मंत्रालय को बंद कर उसकी जगह नया मंत्रालय खोल दिया। जबकि कामकाजी महिलाओं को घर में ही रहने को कहा है।

बीए पास को बनाया है चांसलर

दो हफ्ते पहले तालिबान ने पीएचडी धारक मुहम्मद उस्मान को हटाकर उनकी जगह बीए पास मुहम्मद अशरफ को काबुल यूनिवर्सिटी का चांसलर बना दिया। इसके विरोध में यहां के 70 शिक्षकों ने इस्तीफा दे दिया है।

महिला आश्रय केंद्र पर तालिबान का नियंत्रण

समाचार एजेंसी एपी के अनुसार, तालिबान ने उत्तरी अफगानिस्तान के पुल-ए-खुमरी शहर के इकलौते महिला आश्रय केंद्र को अपने नियंत्रण में ले लिया है। घरेलू हिंसा से तंग होकर यहां 20 महिलाओं ने शरण ली थी। सलीमा नामक एक महिला ने बताया कि उनको अपने घरों को लौटने या तालिबान के साथ जाने के विकल्प दिए गए थे। ज्यादातर महिलाओं ने अपने घरों को लौटने का निर्णय लिया।

अनिश्चित भविष्य का सामना कर रहीं लड़कियां

समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक, तालिबान राज में अफगान लड़कियों को अनिश्चित भविष्य का सामना करना पड़ रहा है। इस बात को लेकर चिंता है कि तालिबान लड़कियों को सेकेंडरी स्कूलों में पढ़ाई दोबारा शुरू करने की इजाजत देगा या नहीं। 11वीं की एक छात्रा ने उम्मीद जताई कि नई सरकार लड़कियों को पढ़ाई जारी रखने की अनुमति देगी। जबकि एक अन्य लड़की ने कहा कि वह पढ़कर जज बनना चाहती है।

chat bot
आपका साथी