सीरियाई सेना ने अपने ही लोगों पर वर्ष 2017-18 में किया था कैमिकल अटैक! OPCW की जांच में हुआ खुलासा

संयुक्‍त राष्‍ट्र की निगरानी वाले आयोग OPCW ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि सीरियाई सेना ने वर्ष 2018 में शराकिब इलाके में रासायनिक हमला किया था। इसमें नर्व एजेंट और क्‍लोरीन गैस का इस्‍तेमाल किया गया था।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Wed, 14 Apr 2021 10:31 AM (IST) Updated:Wed, 14 Apr 2021 10:31 AM (IST)
सीरियाई सेना ने अपने ही लोगों पर वर्ष 2017-18 में किया था कैमिकल अटैक! OPCW की जांच में हुआ खुलासा
संयुक्‍त की निगरानी वाले आयोग ने माना सीरिया में हुआ था रासायनिक हमला

वाशिंगटन (संयुक्‍त राष्‍ट्र)। 4 फरवरी 2018 की रात को सीरियाई सेना ने शराकिब कस्‍बे पर हैलीकॉप्‍टर से कैमिकल अटैक किया था। इस बात के पुख्‍ता सुबूत अंतरराष्‍ट्रीय रायायनिक शस्‍त्र निषेध आयोग (OPCW/Organisation for the Prohibition of Chemical Weapons) जांच के दौरान मिले हैं। आयोग ने इस घटना के तीन वर्ष बाद अपनी रिपोर्ट को जारी कर दिया है। इस रिपोर्ट को संयुक्‍त राष्‍ट्र महानिदेशक एंटोनियो गुटारेस को भी सौंप दिया गया है। इसमें कहा गया है कि आयोग के पास ये विश्‍वास करने का पूरा आधार है कि सीरियाई सेना ने आम लोगों पर उस रात क्‍लोरीन गैस से जानलेवा कैमिकल अटैक किया था।

जांच टीम ने अपनी दूसरी रिपोर्ट में जो निष्‍कर्ष निकाले हैं उनमें कहा गया है कि इसमें क्‍लोरीन गैस का इस्‍तेमाल किया गया था। हैलीकॉप्‍टर से इसका एक सिलेंडर गिराया गया था। इसकी गैस बड़ी तेजी से काफी इलाके में फैल गई थी, जिससे कम से कम एक दर्जन लोग खासा प्रभावित हुए थे। हालांकि इस हमले में किसी की जान नहीं गई थी। आपको बता दें क्‍लोरीन गैस के हमले में लोगों को आंखों में जलन और सांस लेने संबंधित परेशानी शुरू हो जाती है। इसका अधिक मात्रा में उपयोग इंसान की जान तक ले सकता है।

इस रिपोर्ट पर यूएन महासचिव गुटारेस ने गहरी चिंता जताई है। उन्‍होंने इस बाबत हुई एक पत्रकार वार्ता में कहा किया की ये बेहद चिंता का विषय है, जिसकी यूएन कड़ी निंदा करता है। उन्‍होंने कहा कि इस तरह के हमले को किसी भी सूरत में और कहीं भी बर्दाश्‍त नहीं किया जा सकता है। इसके जिम्‍मेदार लोगों को कानून के दायरे में लाना और सजा दिलाना भी जरूरी है। उन्‍होंने कहा कि उन लोगों का पता लगाया जाना चाहिए जो इसके पीछे जिम्‍मेदार हैं। आपको बता दें कि जिस इलाके में ये अटैक किया गया था वो सीरियाई वायु सेना की टाइगर फोर्सेस के नियंत्रण में आता है।

यूएन महासचिव ने इस दौरान ये भी कहा कि जांच को लेकर सीरियाई सरकार से कोई सहयोग नहीं मिला है। सरकार ने जांच आयोग द्वारा पूछे गए सलावों का न तो जवाब ही दिया है और न ही दूसरी मांगी गई जानकारियां हासिल कराई हैं। ये सरासर कैमिकल वैपंस कंवेंशन का घोर उल्‍लंघन है।

गौरतलब है कि इस हमले को लेकर आयोग ने अपनी पहली रिपोर्ट वर्ष 2020 में जारी की थी। इसमें कहा गया था कि सीरियाई सेना ने मार्च 2017 में अल्‍लतामेनाह में कैमिकल अटैक किया था। इसमें नर्व एजेंट गैस, जो कि कुछ ही देर में इंसान का दम घोटकर उसकी जान लेती है, का और क्लोरीन गैस का इस्‍तेमाल किया था। आपको यहां पर ये भी बता दें कि यूएन कंवेंशन की कार्यकारी संस्‍था ओपीसीडब्‍ल्‍यू के करीब 193 सदस्‍य देश हैं। ये आयोग विश्‍व को कैमिकल वैपंस से पूरी तरह से मुक्‍त करने और इसके लिए किए गए प्रयासों की निगरानी करता है। 1997 में ये वजूद में आया था। इसके वजूद में आने के बाद विश्‍व से करीब 98 फीसद कैमिकल वैपंस को नष्‍ट कर दिया गया था।

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