नेपाल में सुप्रीम कोर्ट ने भारत को बालू, पत्थर के निर्यात पर रोक लगाई, विपक्ष और पर्यावरणविदों ने जताई थी चिंता

मुख्य न्यायाधीश चोलेंद्र शमशेर राणा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि कार्यवाहक सरकार इस निर्यात को तब तक के लिए रोक दे जब तक मामले में अंतिम फैसला नहीं आ जाता। पीठ में जस्टिस मीरा खडका हरिकृष्ण कार्की और विश्वंभर प्रसाद श्रेष्ठ भी हैं।

By Nitin AroraEdited By: Publish:Sat, 19 Jun 2021 01:16 AM (IST) Updated:Sat, 19 Jun 2021 01:16 AM (IST)
नेपाल में सुप्रीम कोर्ट ने भारत को बालू, पत्थर के निर्यात पर रोक लगाई, विपक्ष और पर्यावरणविदों ने जताई थी चिंता
नेपाल में सुप्रीम कोर्ट ने भारत को बालू, पत्थर के निर्यात पर रोक लगाई

काठमांडू, प्रेट्र। नेपाल में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक अंतरिम आदेश देकर सरकार के बालू, पत्थर और गिट्टी भारत भेजने के फैसले पर रोक लगा दी। ऐसा पर्यावरणविदों और विपक्षी नेताओं के चिंता जताने के बाद किया गया है।

मुख्य न्यायाधीश चोलेंद्र शमशेर राणा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि कार्यवाहक सरकार इस निर्यात को तब तक के लिए रोक दे, जब तक मामले में अंतिम फैसला नहीं आ जाता। पीठ में जस्टिस मीरा खडका, हरिकृष्ण कार्की और विश्वंभर प्रसाद श्रेष्ठ भी हैं। इससे पहले वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में वित्त मंत्री विष्णु पौडेल ने भारत को बालू, पत्थर और गिट्टी के निर्यात की घोषणा की थी। कहा था कि इससे देश का व्यापार घाटा कम करने में मदद मिलेगी। जबकि पर्यावरणविदों ने सरकार को इस फैसले के प्रति आगाह किया था।

कहा था कि इससे देश के पर्यावरण पर गंभीर असर पड़ेगा। आशंका जताई थी कि अगर निर्माण सामग्री का निर्यात किया गया तो देश की दक्षिणी सीमा पर स्थित पर्वत श्रृंखला को गंभीर नुकसान होगा और देश पर प्राकृतिक आपदा आने का खतरा पैदा हो जाएगा।

पिछले सप्ताह पांच पूर्व प्रधानमंत्रियों- शेर बहादुर देउबा, पुष्प कमल दहल प्रचंड, माधव कुमार नेपाल, झालानाथ खनाल और बाबूराम भट्टाराई ने केपी शर्मा ओली सरकार के इस फैसले पर कड़ा विरोध जताया था। वरिष्ठ अधिवक्ता दिनेश त्रिपाठी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के फैसले को संविधान के अनुच्छेद 30 और 51 का उल्लंघन बताया है। ये अनुच्छेद पर्यावरण संरक्षण और कार्यवाहक सरकार के अधिकारों से जुड़े हुए हैं।

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