महिलाओं के खतना पर प्रतिबंध लगाएगा सूडान, धर्म त्यागना अब नहीं माना जाएगा अपराध

सूडान ने नारी सशक्तीकरण की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए महिलाओं के खतना पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। यही नहीं गैर मुस्लिमों को शराब पीने की इजाजत भी दी है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Mon, 13 Jul 2020 06:01 AM (IST) Updated:Mon, 13 Jul 2020 06:01 AM (IST)
महिलाओं के खतना पर प्रतिबंध लगाएगा सूडान, धर्म त्यागना अब नहीं माना जाएगा अपराध
महिलाओं के खतना पर प्रतिबंध लगाएगा सूडान, धर्म त्यागना अब नहीं माना जाएगा अपराध

खार्तूम, रायटर। नारी सशक्तीकरण की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए सूडान ने महिलाओं के खतना पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। इसके साथ ही देश में गैर मुस्लिमों को निजी तौर पर शराब पीने की इजाजत दी जाएगी। लगभग चार दशक से चली आ रही कट्टरपंथी इस्लामी नीतियों से पीछे हटते हुए सूडान के न्याय मंत्री नसरेडीन अब्दुलबारी ने यह एलान किया। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, सूडान की आबादी का लगभग तीन फीसद हिस्सा गैर-मुस्लिम है। पूर्व राष्ट्रपति जाफर निमीरी ने 1983 में इस्लामिक कानून लागू करने के बाद शराब पर प्रतिबंध लगा दिया था।

पिछले साल उमर अल-बशीर को सत्ता से बेदखल कर बनी नई सरकार ने सूडान में लोकतंत्र लाने, भेदभाव समाप्त करने और विद्रोहियों के साथ शांति बनाने का वादा किया है। सन 1989 में सत्ता संभालने के बाद बशीर ने इस्लामिक कानून को आगे बढ़ाया था। न्याय मंत्री ने सरकारी टेलीविजन से बात करते हुए कहा कि गैर-मुस्लिम अब निजी तौर पर शराब पीने के लिए अपराधी नहीं माने जाएंगे। हालांकि, मुसलमानों के लिए प्रतिबंध जारी रहेगा। अपराधियों को आम तौर पर इस्लामी कानून के तहत सजा दी जाएगी।

यही नहीं सूडान में धर्म त्यागना भी अब अपराध नहीं माना जाएगा। इसके अलावा महिलाओं को अब अपने बच्चों के साथ यात्रा करने के लिए अपने परिवार के पुरुष सदस्यों की अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी। सूडानी ईसाई मुख्य रूप से खार्तूम में और दक्षिण सूडान सीमा के पास नुबा पहाड़ों में रहते हैं। कुछ सूडानी पारंपरिक अफ्रीकी मान्यताओं का भी पालन करते हैं। सूडान उन देशों में से एक है जहां मह‍िलाओं के खतने की दर काफी ज्यादा रही है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक, सूडान में 87 फीसद महिलाओं का खतना किया जाता है।

चिकित्‍सा विशेषज्ञों के मुताबिक, महिलाओं के खतने से उनकी शारीरिक और मानसिक सेहत पर बुरा असर पड़ता है। यहां तक कि किडनी से लेकर यूटराइन इन्फेक्शन और गर्भ से जुड़ी परेशानियों का खतरा भी बढ़ जाता है। महिलाओं का खतना दुनिया की सबसे दर्दनाक प्रथाओं में से एक है। यह प्रक्रिया बगैर अनेस्थीसिया दिए की जाती है जो बेहद खतरनाक होती है। अमूमन यह घर पर की जाती है। कई मामलों में इसमें बच्चियों की जान तक चली जाती है। इस आदेश के बाद सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती लोगों को जागरूक करने की भी होगी।

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