श्रीलंका में 'एक देश एक कानून' की अवधारणा पर आगे बढ़ी बात, 13 सदस्यीय कार्यबल नियुक्त, कट्टर बौद्ध भिक्षु करेंगे नेतृत्व

श्रीलंका में एक देश एक कानून की अवधारणा पर बात आगे बढ़ी है। राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने इस अवधारणा की स्थापना के लिए 13 सदस्यीय कार्यबल का गठन किया है जिसका नेतृत्व बौद्ध भिक्षु को सौंपा गया है।

By TaniskEdited By: Publish:Wed, 27 Oct 2021 07:52 PM (IST) Updated:Wed, 27 Oct 2021 07:52 PM (IST)
श्रीलंका में 'एक देश एक कानून' की अवधारणा पर आगे बढ़ी बात, 13 सदस्यीय कार्यबल नियुक्त, कट्टर बौद्ध भिक्षु करेंगे नेतृत्व
श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे। (फोटो- एएनआइ)

कोलंबो, प्रेट्र। श्रीलंका में 'एक देश, एक कानून' की अवधारणा पर बात आगे बढ़ी है। राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने इस अवधारणा की स्थापना के लिए 13 सदस्यीय कार्यबल का गठन किया है, जिसका नेतृत्व बौद्ध भिक्षु को सौंपा गया है। राजपक्षे जब वर्ष 2019 में बहुसंख्यक बौद्ध समुदाय के जबरदस्त सहयोग से राष्ट्रपति चुने गए थे, तब 'एक देश एक कानून' उनका चुनावी नारा था।

'एक देश एक कानून' अवधारणा की स्थापना के लिए गठित कार्यबल का प्रमुख कट्टर बौद्ध भिक्षु गलगोडा अठथे ज्ञानसार को बनाया गया है। ज्ञानसार की बोडु बाला सेना (बीबीएस) या बौद्ध शक्ति बल को वर्ष 2013 में मुस्लिम विरोधी दंगों में आरोपित बनाया गया था। चार मुस्लिम विद्वान भी इस कार्यबल के सदस्य हैं, लेकिन अल्पसंख्यक तमिलों को कोई प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया है।

मंगलवार को जारी राजपत्र के अनुसार इस कार्यबल को 'एक देश एक कानून' की अवधारणा के क्रियान्वयन का मसौदा तैयार करने का काम सौंपा गया है। यह कार्यबल राष्ट्रपति राजपक्षे को मासिक प्रगति रिपोर्ट सौंपेगा। कार्यबल 28 फरवरी, 2022 तक अंतिम रिपोर्ट पेश करेगी।

इस्लामी चरमपंथ से मुकाबले के लिए एसएलपीपी ने दिया बढ़ावा

'एक देश एक कानून' की अवधारणा को सत्तारूढ़ श्रीलंका पोडुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) ने बढ़ावा दिया था, ताकि वह बढ़ते इस्लामी चरमपंथ का मुकाबला करने के लिए बहुसंख्यक सिंहली समुदाय का समर्थन हासिल कर सके। देश में शरिया कानून लागू करने के प्रयास का राष्ट्रवादी समूहों ने विरोध करते हुए कहा था कि यह मुस्लिम चरमपंथ को बढ़ावा देता है।

ईस्टर हमले के बाद अवधारणा को मिला बल

वर्ष 2019 में ईस्टर के दिन हुए आत्मघाती हमले के बाद 'एक देश एक कानून' की अवधारणा को और बल मिला। इस हमले में 11 भारतीय सहित 270 से अधिक लोग मारे गए थे। हमले के लिए चरमपंथी इस्लामी समूह नेशनल तौहीद जमात (एनटीजे) को जिम्मेदार ठहराया गया था। आइएस से जुड़े एनटीजे के नौ स्थानीय आत्मघाती हमलावरों ने सिलसिलेवार धमाकों को अंजाम दिया था।

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