श्रीलंकाई राष्‍ट्रपति के अधिकारों में बड़ा विस्‍तार, संसद ने किया संविधान में अहम संशोधन

श्रीलंकाई संसद ने संविधान में संशोधन कर राष्ट्रपति गोताबया राजपक्षे की शक्त्तियों का विस्‍तार किया है। इस संवैधानिक संशोधन के बाद श्रीलंकाई राष्‍ट्रपति को असीम शक्तियां हासिल हो गई हैं। इसके तहत देश के प्रमुख नियुक्तियां करने में संसद की भूमिका को छीन लिया गया है।

By Ramesh MishraEdited By: Publish:Fri, 23 Oct 2020 03:33 PM (IST) Updated:Fri, 23 Oct 2020 03:33 PM (IST)
श्रीलंकाई राष्‍ट्रपति के अधिकारों में बड़ा विस्‍तार, संसद ने किया संविधान में अहम संशोधन
श्रीलंका के राष्ट्रपति गोताबया राजपक्षे की फाइल फोटो। स्रोत- दैनिक जागरण।

कोलंबो, एजेंसी। श्रीलंकाई संसद ने संविधान में एक अहम संशोधन को मंजूरी दे दी है। इस संशोधन में राष्ट्रपति गोताबया राजपक्षे की शक्त्तियों का विस्‍तार किया गया है। इस संवैधानिक संशोधन के बाद श्रीलंकाई राष्‍ट्रपति को असीम शक्तियां हासिल हो गई हैं। इस संशोधन के तहत देश के प्रमुख नियुक्तियां करने में संसद की भूमिका को छीन लिया गया है। देश में अब जजों और पुलिस प्रमुख की नियुक्‍त में संसद की कोई भूमिका नहीं होगी।  संविधान के इस संशोधन के साथ वर्ष 2015 में विधाय‍िका के असीम संशोधन करने की शक्ति भी खत्‍म हो गई है। नए संशोधन को संसद ने गुरुवार को दो-दिवसीय बहस के बाद दो-तिहाई बहुमत के साथ पारित किया।

बता दें कि तमिल अलगाववादियों के खिलाफ सैन्‍य कार्रवाई के दौरान राजपक्षे श्रीलंका के रक्षा प्रमुख थे। पिछले नवंबर को वह देश के राष्‍ट्रपति निर्वाचित हुए थे। इस संशोधन के पीछे सरकार ने यह तर्क दिया कि बेहतर शासन के लिए राष्ट्रपति की शक्तियों को मजबूत करना आवश्यक था। नए कानून के तहत श्रीलंका के राष्ट्रपति के पास अपने पांच साल के कार्यकाल के बाद विधायिका को भंग करने की शक्ति होगी।

हालांकि, विपक्षी दलों ने इस संशोधन की निंदा की है। इसके विरोध में संसद भवन में कुछ सांसदों ने विरोध स्‍वरूप हाथ में लाल बैंड पहन रखा था। राजधानी शहर कोलंबो के विपक्षी विधायक हर्षा डी सिल्वा ने कहा कि राजपक्षे प्रशासन श्रीलंका को एक निरंकुशता की दिशा में धकेल रहा है। सिल्वा ने एक ट्वीट में कहा कि श्रीलंका में लोकतंत्र की रक्षा के लिए (बिल) के खिलाफ मतदान किया। कोलंबो स्थित थिंक-टैंक सेंटर फॉर पॉलिसी अल्टरनेटिव्स का मानना है कि संविधान के नए संशोधन के बाद राजपक्षे सत्‍ता के नए केंद्र के रूप में स्‍थापित होंगे। यह बेहद खतरनाक है। सरवनमट्टु ने कहा प्रभावशाली राजपक्षे परिवार ने हाल के वर्षों में श्रीलंका की राजनीति पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली है।

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