आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री ने कहा, युवा नहीं-सीमापार से आतंकवाद है कश्मीर की समस्या

सिर्फ योगासन करा देने से वहां के हालात नहीं बदल सकते, बल्कि लोगों के दिल पर जो घाव है उसे दूर करना होगा।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Mon, 19 Nov 2018 08:35 PM (IST) Updated:Mon, 19 Nov 2018 11:46 PM (IST)
आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री ने कहा, युवा नहीं-सीमापार से आतंकवाद है कश्मीर की समस्या
आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री ने कहा, युवा नहीं-सीमापार से आतंकवाद है कश्मीर की समस्या

संजय मिश्र, अबू धाबी। आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक और आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर का मानना है कि कश्मीर में आतंकवाद के सफाये के लिए वहां के युवाओं से संवाद बढ़ाने की जरूरत है। उनको ठीक से समझे बगैर किसी निष्कर्ष पर पहुंचना मुमकिन नहीं। जितना प्रेम बांटेंगे उससे कई गुना मिलेगा भी। दुर्भाग्य से हमारे राजनीतिक दल अपने स्वार्थ में उलझे हैं। उन्हें इसकी वैसी परवाह नहीं है जैसी होनी चाहिए। कश्मीर के युवा तो मुख्यधारा में जुड़ना चाहते हैं, लेकिन उनमें बदलाव का भरोसा भरना होगा।

कश्मीर में हमें सरकारों का सहयोग नहीं मिला: श्रीश्री

पांच दिन की अपनी यूएई यात्रा अबू धाबी में पूरी कर स्वदेश लौटने से पहले दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में श्रीश्री रविशंकर ने कश्मीर में पाकिस्तान पोषित आतंकवाद पर पूरी तरह अंकुश नहीं लग पाने पर चिंता जाहिर की। साथ ही सरकार से इस दिशा में और कारगर कदम उठाने की उम्मीद जताई।

उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया जानती है कि कश्मीर में अशांति कौन फैला रहा है। फिर भी इस पर प्रभावी रोक नहीं लग पा रही है तो सरकार को नए ढंग से सोचना चाहिए। यह ढंग कश्मीर के लोगों को गले लगाकर उनकी समस्या को समझने का होना चाहिए। हम तो वहां लगातार काम कर रहे हैं। हमें सबका साथ और समर्थन मिल रहा है। हमारे स्वयंसेवक दिन-रात युवाओं की परेशानी जानने और उन्हें सकारात्मक दिशा में मोड़ने में लगे हैं। खुशी है कि हम लोगों को जोड़ने में कामयाब हुए हैं।

यूएई यात्रा के दौरान श्रीश्री ने शांति और विकास की उम्मीद में बदलते कश्मीर की छवि विभिन्न मंचों पर पेश की। फुजैरा से लेकर शारजाह, दुबई और अबूधाबी तक लेबर कैम्पों व आम शिविरों में इसका जिक्र किया। फुजैरा के शासक और अबू धाबी सरकार के टॉलरेंस एवं पर्यटन मंत्री को अलग-अलग बातचीत में बताया कि कश्मीर का युवा आतंकवाद से किस तरह दुखी है और बेहतर जीवन के लिए मुख्यधारा में लौट रहा है।

दरअसल, श्रीश्री की संस्था आर्ट ऑफ लिविंग लंबे समय से आतंक प्रभावित इलाकों में युवाओं से संवाद बना रही है। मेडिटेशन के साथ उनमें सकारात्मक बदलाव का आत्मविश्र्वास जगा रही है। उनका दावा है कि आतंकी संगठनों के चंगुल से निकलकर अनेक युवा मुख्यधारा से जुड़े हैं।

हुर्रियत सहित अलगाववादी पार्टियां कश्मीरी युवाओं को पत्थरबाज बनाने में लगी हैं, ऐसे में आप उन्हें किस तरह मुख्यधारा में जोड़ रहे हैं? के जवाब में श्रीश्री ने कहा कि 'यही तो समझने की जरूरत है। आप जितना प्रेम बांटेंगे और लोगों से जुड़ेंगे, उससे दस गुना ज्यादा आपको मिलेगा भी। सरकारें अभी इस बात को ठीक से नहीं समझ पा रही हैं।'

यदि आपसे कहा जाए तो किस तरह से आप कश्मीर समस्या को सुलझाएंगे? इस सवाल पर थोड़ी खामोशी के बाद श्रीश्री कहते हैं कि 'कश्मीर में हम काफी दिनों से काम कर रहे हैं, लेकिन हमें सरकारों का सहयोग नहीं मिला। यह भी सही है कि हमने सहयोग मांगा भी नहीं, लेकिन हमारा काम देखकर सहयोग मिलता तो हम और अधिक लोगों को जोड़ने में कामयाब होते। सरकारें सहयोग दें तो कश्मीर में तेजी से बदलाव दिखने लगेगा।'

उन्होंने हाल ही में कश्मीर में हुए निकाय चुनाव का जिक्र करते हुए बताया कि वहां हमारे शांति और प्रेम के अभियान से जुड़े अनेक युवा आतंकवाद को हराकर चुनकर आए हैं। वे सभी पढ़े-लिखे हैं और माहौल को बदलना चाहते हैं। हमारे साथ आए श्रीनगर के डिप्टी मेयर शेख इमरान भी उन्हीं युवाओं में से हैं जो सीमा पार के आतंकवाद से पीडि़त कश्मीर के हालात बदलने के लिए निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे। हमें युवाओं का भरोसा जीतने वाले ऐसे ही युवा लीडर्स को आगे लाना होगा।

उन्होंने कहा कि शिक्षा की पद्धति पर भी ध्यान देने की जरूरत है। सिर्फ योगासन करा देने से वहां के हालात नहीं बदल सकते, बल्कि लोगों के दिल पर जो घाव है उसे दूर करना होगा। हम प्रेम, संवाद, सहयोग देकर यही काम कर रहे हैं। युवाओं की प्रज्ञा जागृत करने का प्रयास कर रहे हैं। जब प्रज्ञा जागृत होगी तो अपने आप सौहार्द का माहौल बनने लगेगा। आपको सरकार से किस तरह के सहयोग की जरूरत है? इस सवाल पर वह कहते हैं कि इसके बारे में सोचना पड़ेगा। क्या कश्मीर में सरकार के प्रयास सही दिशा में जा रहे हैं? श्रीश्री का जवाब था कि इसका भी विश्लेषण करना पड़ेगा।

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