COVID-19 के बीच सिंगापुर में सियासत गरम, बड़ी जीत के बाद पीएपी ने सरकार बनाने की कसरत शुरू की

दक्षिण चीन मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार पीएपी कार्यकर्ताओं में जीत का उत्‍साह है। उधर पार्टी ने अगली सरकार के गठन की तैयारी शुरू कर दिया है।

By Ramesh MishraEdited By: Publish:Sat, 11 Jul 2020 09:51 AM (IST) Updated:Sat, 11 Jul 2020 11:22 AM (IST)
COVID-19 के बीच सिंगापुर में सियासत गरम, बड़ी जीत के बाद पीएपी ने सरकार बनाने की कसरत शुरू की
COVID-19 के बीच सिंगापुर में सियासत गरम, बड़ी जीत के बाद पीएपी ने सरकार बनाने की कसरत शुरू की

सिंगापुर, एजेंसी। सिंगापुर की सत्तारूढ़ पीपुल्स एक्शन पार्टी (पीएपी) ने शुक्रवार के आम चुनाव में जीत हासिल की है। इसमें विपक्षी वर्कर्स पार्टी (डब्ल्यूपी) ने रिकॉर्ड 10 सीटें जीतीं। दक्षिण चीन मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार पीएपी ने अगली सरकार का गठन किया, जिसमें 93 सीटों में से लगभग 90 प्रतिशत सीटों पर जीत हासिल की। सत्‍तारूढ़ पार्टी ने  93 सीटों में से लगभग 90 प्रतिशत सीटों पर जीत हासिल की है। द स्ट्रेट्स टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार पीएपी ने 61.24 फीसद वोट मिले हैं। पार्टी ने वर्ष 2015 के चुनावों में अपने 69.9 फीसद मिले थे। दक्षिण चीन मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार पीएपी कार्यकर्ताओं में जीत का उत्‍साह है। उधर, पार्टी ने अगली सरकार के गठन की तैयारी शुरू कर दिया है।

कोरोना के कारण चुनाव के नियमों में बदलाव 

कोरोना महामारी के कारण सिंगापुर में मतदान की अवधि दो घंटें बढ़ा दी गई थी। कोरोना महामारी के प्रकोप के बीच मतदाताओं के मध्‍य शारीरिक दूरी के नियमों का पालन किया गया। मतदान केंद्रों लोगों को शारीरिक दूरी के नियमों का पालन करते हुए देखा गया। इसके चलते मतदान केंद्रों पर लंबी-लंबी कतारें लग गईं। मतदान केंद्रों में सभी ने चेहरे पर मास्‍क पहन रखा था। भीड़भाड़ को कम करने के लिए सिंगापुर चुनाव आयोग पिछले चुनाव की तुलना में मतदान केंद्रों की संख्‍या बढ़ाई गई थी। पिछली बार मतदान केंद्रों की संख्‍या 880 थी, जो इसबार बढ़ाकर  1,100 कर दी गई थी। इसका मकसद भीड़ से बचना था।

1950 के बाद से हर चुनाव में जीती पीएपी

इस चुनाव में सत्‍तारूढ़ पीपुल्स एक्शन पार्टी (पीएपी) समेत 11 राजनीतिक दलों ने चुनाव में हिस्‍सा लिया। पिछले 9 दिनों से सभी पार्टियां प्रचार कर रही थीं। प्रधानमंत्री ली ने पिछले महीने तय तारीख से 10 महीने पहले ही चुनाव कराने की घोषणा की थी। ली की पीएपी पार्टी 1950 के बाद से हर चुनाव जीत चुकी है। हालांकि, 2011 में पार्टी का वोट प्रतिशत लगभग 60% तक गिर गया था। पीएपी ने इस चुनाव में किसी भी भारतीय मूल के उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया है। हालांकि, विपक्षी पार्टियों ने 12 ऐसे उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है।

 प्रत्‍येक नागरिक को मतदान करना अनिवार्य

खास बात यह है कि सिंगापुर में प्रत्‍येक नागरिक को मतदान करना अनिवार्य किया गया है। यहां की 93 सीटों के लिए 11 पार्टियों के कुल 192 प्रत्‍याशी खड़े हुए थे। ली सेन लूंग 2004 से सिंगापुर के प्रधानमंत्री हैं। उनकी पार्टी पीएपी ने सितंबर 2015 में हुए चुनावों में 83 सीटों पर जबरदस्‍त जीत हासिल की थी। विपक्ष वर्कर्स पार्टी ने छह सीटों पर जीत दर्ज की थी। पीएम के भाई ली सेन यांग हाल ही में विपक्षी पार्टी 'प्रोग्रेस सिंगापुर पार्टी' में शामिल हुए हैं। हालांकि, वह चुनाव में हिस्‍सा नहीं ले रहे हैं। दोनों भाइयों के बीच संपत्ति के बंटवारे को लेकर विवाद है। ली के पिता देश के पहले प्रधानमंत्री थे। वह 31 साल तक पीएम रहे थे। 

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