समुद्र में रिसे तेल से जीवों और वनस्पति के खात्मे का अंदेशा, मॉरीशस ने मांगा हर्जाना, फ्रांस ने भेजी मदद
मॉरीशस के संरक्षित समुद्र तटीय इलाके में जापानी तेल टैंकर से रिसे तेल ने समुद्री परिस्थितिकी तंत्र के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है। पढ़ें यह रिपोर्ट...
जोहानिसबर्ग, एजेंसियां। मॉरीशस (Mauritius) के संरक्षित समुद्र तटीय इलाके में जापानी तेल टैंकर से रिसे तेल ने समुद्री परिस्थितिकी तंत्र के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है। समुद्री जीवों और वनस्पति को संरक्षित करने की मॉरीशस की 35 साल की मेहनत के बर्बाद होने का खतरा पैदा हो गया है। मॉरीशस सरकार ने तेल रिसने से हुई बर्बादी के लिए शिपिंग कंपनी से हर्जाने की मांग की है।
समुद्र में फंसे तेल टैंकर की स्वामी कंपनी नागाशीकी शिपिंग ने कहा है कि मॉरीशस तट के आसपास रिसा एक हजार टन तेल समुद्र से निकाल लिया गया है। लेकिन यह नहीं बताया जा सकता कि जहाज पर अभी और कितना तेल बाकी है। जबकि मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ मंगलवार को कहा था कि जहाज एमवी वाकाशिओ में अभी दो हजार टन तेल बाकी है।
तेज समुद्री हवाओं के चलते जहाज के टूटने का खतरा है, इसलिए यह तेल मॉरीशस तट के पास समुद्र में फैल सकता है। यह मॉरीशस के लिए भयंकर समुद्री आपदा होगी। यह जहाज 25 जुलाई से मॉरीशस तट के करीब फंसा हुआ है। इसके चलते प्रधानमंत्री ने सात अगस्त को देश में आपातस्थिति की घोषणा कर दी थी। बावजूद इसके समय से कदम न उठाने और तेल टैंकर को खाली न कराने के लिए मॉरीशस सरकार लोगों के निशाने पर है।
मॉरीशस के हजारों लोग समुद्र के पानी से तेल निकालने के प्रयास में जुटे हुए हैं जिससे जलीय जीव-जंतुओं और दुर्लभ वनस्पति को बचाया जा सके। मॉरीशस के अधिकारियों का अनुमान है कि अभी तक 400 टन तेल ही समुद्र से निकाला जा सका है। एक समय अपने उपनिवेश रहे मॉरीशस को फ्रांस ने पूरी मदद का भरोसा दिया है। मॉरीशस की अपील फ्रांस ने नौसेना का एक जहाज, सैन्य विमान और कई विशेषज्ञ मदद के लिए भेजे हैं। जापान सरकार ने भी विशेषज्ञों की मदद भेजने का आश्वासन दिया है।