दक्षिण कोरिया ने किया पहला स्‍वदेशी स्‍पेस राकेट का टेस्‍ट, वैज्ञानिकों ने बताया बड़ा कदम

दक्षिण कोरिया ने अपना एक स्‍पेस राकेट लांच किया है। हालांकि इसको लेकर अभी कुछ साफ नहीं हो सका है कि ये कितना सफल हुआ है। वैज्ञानिक ये भी जानने में लगे हैं कि इस राकेट ने पेलोड डिलीवर सही से किया है या नहीं।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Thu, 21 Oct 2021 02:57 PM (IST) Updated:Thu, 21 Oct 2021 02:57 PM (IST)
दक्षिण कोरिया ने किया पहला स्‍वदेशी स्‍पेस राकेट का टेस्‍ट, वैज्ञानिकों ने बताया बड़ा कदम
दक्षिण कोरिया के वैज्ञानिकों को है स्‍पेस राकेट से काफी उम्‍मीदें

सियोल (एपी)। दक्षिण कोरिया ने अपना पहला देश में निर्मित स्‍पेस राकेट का टेस्‍ट किया है। अधिकारियों ने इस टेस्‍ट को अपने सेटेलाइट लांच प्रोग्राम में बड़ा कदम बताया है। हालांकि, फिलहाल ये ये साफ नहीं हो सका है कि तीन चरणों वाला दक्षिण कोरिया के नूरी राकेट ने सफलतापूर्वक एक डमी पेलोड को डिलीवर किया है या नहीं। ये पेलोड करीब डेढ़ टन वजनी था, जो स्‍टेनलेस स्‍टील और एल्‍युमीनियम का बना था। राकेट को इसे धरती से 600-800 किमी (372-497 मील) ऊपर डिलीवर करना था।

राकेट की लाइव फुटेज के मुताबिक करीब 154 फीट ऊंचा (47 मीटर) राकेट तेजी के साथ आकाश को चीरता हुआ अंतरिक्ष की तरफ बढ़ रहा था। इसके इंजन में से पीले रंग की आग निकलती हुई दिखाई दे रही थी। इस राकेट को नारो स्‍पेस सेंटर से लांच किया गया था। ये देश का एक स्‍पेसपोर्ट है, जो कि दक्षिण तट से दूर एक छोटा सा टापू है। इस राकेट के लांच के समय वहां पर दक्षिण कोरिया के राष्‍ट्रपति मून जे इन भी मौजूद रहे। हालांकि इसकी लांचिंग में करीब एक घंटे का विलंब हुआ था। इसकी वजह राकेट के वाल्‍व को चैक करने में लगने वाला समय था। इसकी लांचिंग को लेकर वैज्ञानिकों को सबसे बड़ी चिंता तेज हवा का चलना था। इसलिए ये सफलतापूर्वक लांच करना बड़ी चुनौतीपूर्ण था।

कोरिया एयरोस्‍पेस रिसर्च इंस्टिट्यूट की तरफ से कहा गया है कि राकेट ने पेलोड को सफलतापूर्वक डिलीवर किया है या नहीं इसकी पुष्टि करने में उन्‍हें कुछ समय लगेगा। नूरी में लगे फर्स्‍ट स्‍टेज कोर बूस्‍टर के जापान के दक्षिण पश्‍चिम समुद्र में गिरने की बात कही गई है। कहा ये भी जा रहा है कि दूसरे चरण फिलीपींस के पूर्व में पेसेफिक वाटर में गिरा है। ये इस राकेट की लांचिंग साइट से 2800 किमी दूर है। वैज्ञानिकों का कहना है कि देश के स्‍पेस प्रोग्राम में ये पल बेहद खास है। 

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